ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग गुरुवार, 29 दिसम्बर 2022

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचाग 🧾
गुरुवार 29 दिसम्बर 2022

मंगल श्री विष्णु मंत्र :-
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
*मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
🫅🏻 29 दिसम्बर 2022 दिन गुरुवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। आज तिथिमत के अनुसार श्रीगुरुगोविन्द सिंह जी महाराज की जन्मतिथि है। आज भगवान सूर्य मूल नक्षत्र से गोचर करके पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में (रात्रि 20:11 मिनट पर) चले जायेंगे। आप सभी सनातनियों को गुरुगोविन्द सिंह जी महाराज के जन्म जयन्ती की हार्दिक शुभकामनायें।
।आप सभी पर ईश्वर की असीम अनुकम्पा की वर्षा होती रहे।
☄️ दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
🔮 *शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022*
🌐 संवत्सर नाम-राक्षस
✡️ शक संवत 1944 (शुभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत 5123
☣️ सायन – दक्षिणायन
🌦️ ऋतु – सौर शिशिर ऋतु
🌤️ मास – पौष माह
🌗 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📆 तिथि – सप्तमी 25:03 PM बजे तक उपरान्त अष्टमी तिथि है।
📑 तिथि स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है।
💫 पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र – आज दोपहर पहले 11 बजकर 44 मिनट तक
🪐 नक्षत्र स्वामी – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी गुरु ग्रह है।
📢 योग – व्यतिपात 17:44 PM तक उपरान्त वरियान योग है।
प्रथम करण : गर – 07:55 ए एम तक वणिज – 07:17 पी एम तक
द्वितीय करण : विष्टि – 06:49 ए एम, दिसम्बर 30 तक बव
🔥 गुलिक कालः- गुरुवार प्रात:काल 10:48 से दोपहर 12:07 बजे तक।
⚜️ _दिशाशूल – गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो दही खा कर यात्रा कर सकते है।
🤖 राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 13:30 बजे से 15:00 बजे तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदय – प्रातः 06:47:38
🌅 सूर्यास्त – सायं 17:13:32
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 05:24 ए एम से 06:18 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:51 ए एम से 07:13 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:02 पी एम से 12:44 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:07 पी एम से 02:48 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:23 पी एम से 05:47 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:33 पी एम से 06:55 पी एम
💧 अमृत काल : 06:40 ए एम, दिसम्बर 30 से 08:15 ए एम, दिसम्बर 30
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:56 पी एम से 12:51 ए एम, दिसम्बर 30
💥 व्यतिपात योग – आज दोपहर पहले 11 बजकर 46 मिनट तक
☄️ यायीजय योग – आज दोपहर पहले 11 बजकर 44 मिनट से शाम 7 बजकर 17 मिनट तक
🌍 पृथ्वी लोक की भद्रा – आज शाम 7 बजकर 17 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक
🚓 यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को पीले फल भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
💮 पर्व एवं त्यौहार – गुरु गोविंद सिंह जयंती, सुमित्रानंदन पंत स्मृति दिवस, ओंकारनाथ ठाकुर (हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक) पुण्य तिथि, अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना जन्म दिवस, व्योमेश चन्द्र बनर्जी (राजनीतिज्ञ भारत) जन्म दिवस, अभिनेता राजेश खन्ना जन्म दिवस, रामायण’ के निर्माता – रामानन्द सागर जन्म दिवस, हिन्दू संत – स्वामी विश्वेशतीर्थ पुण्य तिथि, पंचक जारी
✍🏽 विशेष – सप्तमी तिथि को आँवला त्याज्य बताया गया है। सप्तमी तिथि मित्रप्रद तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह सप्तमी तिथि एक शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देवता हैं। यह सप्तमी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह सप्तमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि को सुबह सर्वप्रथम स्नान करके भगवान सूर्य को सूर्यार्घ देकर उनका पूजन करना चाहिये। उसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। इससे जीवन में सुख, समृद्धि, हर्ष, उल्लास एवं पारिवारिक सुखों कि सतत वृद्धि होती है। सप्तमी तिथि में भगवान सूर्य की पुजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
टॉयलेट बनाने के वास्‍तु नियम कभी भी उत्तर-पश्चिम दिशा में टॉयलेट या शौचालय न बनवाएं. हालांकि इस दिशा में सोक पिट बनवा सकते हैं. इसके लिए सोक पिट का गड्ढ़ा थोड़ा सा उत्‍तर या थोड़ा सा पश्चिम में बन सकता है. इसी तरह यदि मजबूरी में टॉयलेट भी बनवाना पड़े तो उसे भी उत्‍तर-पश्चिम के बीचों बीच न बनवाकर किसी भी एक तरफ खिसकाकर बनवाएंगे.
टॉयलेट दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनाना सबसे अच्‍छा होता है क्‍योंकि इसे विसर्जन की दिशा मानी जाती है. सीवेज की पाइप लाइन भी इसी दिशा से निकालना अच्‍छा होता है.
यदि उत्‍तर-पश्चिम में टॉयलेट बना हो तो हमेशा कर्ज बना रहता है इसलिए कर्ज लेने से बचना ही बेहतर है. यदि मजबूरी में लेना पड़े तो ऐसे नक्षत्रों या दिन में लें, जब कर्ज उतरने की संभावना ज्‍यादा रहती हो.
घर में टॉयलेट की गलत दिशा पिता से रिश्‍ते खराब करती है. ऐसे घर में किरायेदार रखना भी कई समस्‍याएं पैदा करता है.
यदि घर में उत्तर-पश्चिम दिशा में टॉयलेट बन चुका है और उसे हटाना संभव नहीं हो तो उस हिस्‍से में हमेशा सफेद रंग कराएं और उस दिशा में सफेद फूल वाले गमले रखें.
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
मान्यता अनुसार अगर उल्लू बार बार उच्च स्वार में बोले तो आर्थिक हानि का संकेत है।
मान्यता अनुसार अगर रात में आप यात्रा के लिए निकल रहे हैं और उल्लू प्रसन्नता पूर्वक मध्यम स्वर में बोले तो यह शुभ संकेत है।
कहते हैं कि उल्लू का दाहिनी तरफ देखना या बोलना हमेशा अशुभ होता है, लेकिन उल्लू का बांई ओर देखना शुभ रहता है।
अगर उल्लू किसी घर की छत पर आकर बैठकर आवाज करता है, तो इसे किसी की मृत्यु की सूचना माना जाता है।
यदि सुबह के समय पूर्व की दिशा की ओर उल्लू दिखाई दे या फिर उसकी आवाज सुनाई दे तो अचानक धन की प्राप्ति होने की संभावना रहती है।
यह भी कहा जाता है कि यदि उल्लू किसी रोगी को छूते हुए निकल जाए या उसके उपर से उड़ता हुआ निकल जाए तो गंभीर रोग ठीक होने के संभावना बढू जाती है।
यदि किसी को दरवाजे के पास उल्लू 3 दिन तक रोता है तो उसे चोरी, डकैती या अन्य किसी रूप में आर्थिक क्षति होने की संभावना बढ़ जाती है।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
♦ खाना खाने के बाद चुटकीभर काली मिर्च को एक चम्मच घी के साथ मिलाकर खाने से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती है।
♦ मूली के 4-5 ग्राम बीज पीसकर उसे गरम पानी के साथ फांके अथवा मूली खाली पेट बिना नमक के चबा-चबाकर खाएं या उसका रस पीए, तो आवाज में जान आ जाएगी।
♦ लहसून की तीन-चार कलियों को सिरके में भिगोकर चबाकर खाने से भी गला सुरीला होता है।
♦ यदि आवाज बहुत फट रही हो तो एक गिलास गरम पानी में 3-4 ताजी लहसून की कलियों का रस मिलाकर पीने से आवाज ठीक हो जाती है।
♦ बीस-बीस ग्राम सौंठ और मिश्री को पीसकर उसे शहद में अच्छी तरह से मिलाकर गोली बना कर रख लें। इसे दिन में कई बार थोड़ी-थोड़ी देर में चूसते रहें। आवाज में सुरीलापन बना रहेगा।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
आचार्य श्री गोपी राम नें अपने शास्त्र में कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है जो कि आपको जीवन जीने का सही तरीका सिखाती हैं. साथ ही आप अपने आस-पास के लोगों को भी आसानी से परख सकते हैं. ताकि आपको धोखे का सामना न करना पड़ें. अगर आप अपनों से धोखा मिलता है तो हमारी इन 5 बातों को ध्यान में रखें।
दूसरों की गलतियों से सीखें मनुष्य को केवल अपनी ही नहीं बल्कि दूसरों की गलतियों से भी सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए. ऐसा इसलिए कि जब इंसान दूसरों की गलतियों से सीखता है तो खुद से गलती होने की संभावना कम हो जाती है।
दूसरों को न बताएं कमजोरी कहते हैं कि मनुष्य को कभी भी अपनी कमजोरियां सबके सामने व्यक्त नहीं करनी चाहिए. कोशिश ये होनी चाहिए कि आपकी कमजोरियां सामने वाले के सामने न उजागर हो, क्योंकि लोग आपकी कमजोरी का गलत फायदा उठा सकते हैं. जिसकी वजह से आपको धोखा खाना पड़ सकता है।
आचार्य श्री गोपी राम कहते हैं कि जिस तरह सोने की परख उसे आग में तपाकर, घिसकर, काट कर और पीट कर की जाती है, वैसे ही व्‍यक्ति की कुछ चीजों को परखना जरूरी है. इसी से उसके अच्‍छे या बुरे होने की पहचान होती है।
सत्य का मार्ग झूठ बोलने वाले व्यक्ति को एक समय के बाद केवल निराशा ही हाथ लगती है. वहीं, सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति विकट परिस्थितियों में भी खुद को बचाने में कामयाब रहता है.आचार्य श्री गोपी राम के मुताबिक सत्य का साथ देने वाले व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है. अगर ऐसे व्यक्ति के साथ कोई धोखा कर भी दो वो जल्द ही उससे उबर जाता है।
लालच से दूरी कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के करीब जाने से पहले यह देख लेना चाहिए कि वह किसी लालच से तो नहीं जुड़ा है. शास्त्र के अनुसार, लालची व्यक्ति ज्यादा समय तक साथ नहीं देते हैं. ऐसे में लालची लोगों से हमेशा सावधान और बचकर रहना चाहिए।
●●●●●★᭄ॐ नमः श्री हरि नम: ★᭄●●●●●
⚜️ सोमवार और शुक्रवार कि सप्तमी विशेष रूप से शुभ फलदायी नहीं मानी जाती बाकी दिनों कि सप्तमी सभी कार्यों के लिये शुभ फलदायी मानी जाती है। सप्तमी को भूलकर भी नीला वस्त्र धारण नहीं करना चाहिये तथा ताम्बे के पात्र में भोजन भी नहीं करना चाहिये। सप्तमी को फलाहार अथवा मीठा भोजन विशेष रूप से नमक के परित्याग करने से भगवान सूर्यदेव कि कृपा सदैव बनी रहती है।
शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म सप्तमी तिथि में होता है, वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इस तिथि में जन्म लेनेवाला जातक गुणवान और प्रतिभाशाली होता है। ये अपने मोहक व्यक्तित्व से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की योग्यता रखते हैं। इनके बच्चे भी गुणवान और योग्य होते हैं। धन धान्य के मामले में भी यह व्यक्ति काफी भाग्यशाली होते हैं। ये संतोषी स्वभाव के होते हैं और इन्हें जितना मिलता है उतने से ही संतुष्ट रहते हैं।

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