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राजनीति में नैतिकता कुछ नहीं होती, सफलता ही सब कुछ है

अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक  दिवस पर विशेष
दिव्य चिंतन : हरीश मिश्र, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार स्वरदूत अनुक्रमांक – ९५८४८१५७८१
     आज अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक  दिवस है । ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2023 में 40 अंक प्राप्त किये। मतलब हम भ्रष्टाचार को रोकने में असफल हुए हैं और भ्रष्टाचार को शिष्टाचार के रुप में स्वीकार कर चुके हैं।
    संसद में इस दिवस से एक दिन पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया।
(कल की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। )
     *भाजपा के जोशी मठ के भक्त प्रह्लाद ने ममतामई वातावरण में विपक्ष के चेहरे पर कालिख पोतकर होलिका उत्सव  मनाया।* संसद भवन को भ्रष्ट कदाचरण ( महुआ की दुर्गंध ) से मुक्त कर ( इत्र छिड़क कर ) शुद्धिकरण किया और संकल्प लिया कोई भी सांसद पैसे लेकर सवाल नहीं पूछेगा।
     दूसरी तरफ गुलाबी शहर जयपुर में जीवन भर जन-सेवा कर  धीरज के साथ गुलाबी कमाई से नोटों का पहाड़ खड़ा करने वाले *कांग्रेसी सांसद धीरज साहू* पर विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद *राहुल काल* में आयकर और ई डी ने छापा मारकर 300 करोड़ जब्त कर  *तिल्ली में से तेल निकाल लिया।*
   भारत के संसदीय इतिहास में कल एक काला अध्याय तब जुड़ गया जब तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की कैश फॉर क्वेरी मामले में संसद की सदस्यता खत्म कर दी।
    सत्ता पक्ष ने एथिक्स कमिटी की सिफारिश के बाद महुआ को निष्कासित करने के फ़ैसले
को संवैधानिक ठहराया । *वहीं विपक्ष अधीर होकर रंज मना कर छाती पीटता रह गया ।
    कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने सवाल किया कि आखिर प्रस्ताव पास करने में सरकार इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है।  लेकिन यह वक्त-वक्त की बात है। वह हरित क्रांति, टोपी का वक्त था, यह भगवा क्रांति, टीके का वक्त है। वक्त पर सबका लेखा है, वक्त ने सब कुछ देखा है। 2005 में जब 10 सांसदों को निष्कासित किया गया था, उसी दिन रिपोर्ट पेश की गई थी, उसी दिन चर्चा हुई थी और उसी दिन सांसदों को निष्कासित किया गया था। जिस पथ पर कांग्रेस जुलूस निकालती थी, उसी पथ पर भाजपा निकाल रही है। *भाजपा राम नाम का जप और कृष्ण नीति का अनुसरण कर रही है।*
   इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने तर्क दिया ”बिना मौका दिए निष्पक्ष सुनवाई कैसे हो सकती है ? तब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ”पुराने अध्यक्ष की तय की गई परंपरा का हमेशा से अगले अध्यक्ष पालन करते हैं।” लोकसभा पीठाधीश्वर ने ॐ नमो भंजनाय ! ॐ कुरु ममताय् फट् स्वाहा !! का उच्चारण कर बंगाल के काले जादू का काट ढूंढ लिया।
  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी महुआ से शराब बनाना आता है। महुआ के फूलों को पानी में डाला जाता है और सड़ जाने पर शराब बनती है। जब महुआ ( कैश लेकर सवाल पूछती रही ) शराब बनाती रही, तब ममता को आघात नहीं लगा। *जब निष्कासन हुआ तो देश के संसदीय लोकतंत्र के साथ ‘‘विश्वासघात’’ दिखाई दे रहा है। लेकिन  बंगाल में हो रही हत्या, लूटपाट से आघात नहीं लग रहा।*
    कल सदन में कोई भी पक्ष या विपक्ष का सांसद आत्मा की आवाज पर भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं बोला।निष्पक्षता, भुजबल, और धनबल से मुक्ति यह सब बातें भाषण के लिए होती हैं, अपनाने के लिए नहीं। *जो भी सांसद बोले अपने दल की भाषा में बोल रहे थे ।* सच है राजनीति में नैतिकता नहीं होती…पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चन्द्रशेखर ने मेरी जेल डायरी में लिखा है….
इन्दिरा जी ने कहा था-  *राजनीति में नैतिकता कुछ नहीं होती, सफलता ही सब कुछ है।* विपक्ष ने नैतिकता के लिए रंज मनाया और भाजपा ने नैतिकता की दुहाई देकर सफलता प्राप्त कर ली। *लेकिन इन दोनों घटनाओं से एक बात स्पष्ट है काजल की कोठरी में सब काले हैं। कुछ पकड़ लिए जाते हैं, कुछ जकड़ लिए जाते हैं, कुछ छोड़ दिए जाते हैं।

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