अवैध उत्खनन पर प्रशासन सख्त !
दिव्य चिंतन : हरीश मिश्र : लेखक, स्वतंत्र पत्रकार स्वरदूत अनुक्रमांक -९५८४८१५७८१
जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर प्रकृति की गोद में, वनों से आच्छादित , पत्थर की चट्टान पर बसे इस गांव में रहमदिल एक हकीम रहते थे। हकीम साहब खड़े-खड़े नब्ज़ देखकर जटिल रोगों का उपचार करते थे। इसलिए इस गांव का नाम हकीमखेडी पड़ा।
अब इस गांव में हकीम साहब तो रहे नहीं। लेकिन गांव में उपचार की परम्परा आज भी कायम है, बस पद्धति बदली है। अब इस गांव के लोग खड़े-खड़े, हाथों में पत्थर, हॉकी, रॉड़ लेकर उपचार करते हैं । बिडम्बना यह है कि नब्ज़ देखने वाले हाथों में पत्थर दिखाई दे रहे हैं।
इस क्षेत्र में वन , पत्थर और मुरम प्रचुर मात्रा में मिलती है। यहां वन विभाग, खनिज विभाग और नेताओं की अदृश्य हिस्सेदारी में जंगल काटना और अवैध उत्खनन का कारोबार वर्षों से चल रहा है। शनिवार को वन विभाग के ईमानदार वन मंडलाधिकारी द्वारा अवैध उत्खनन रोकने के लिए रास्ते में गड्ढा खुदवाया था रहा था, कि अचानक ग्रामीणों ने पत्थर , हॉकी, रॉड़ से हमला कर दिया। इस हमले में डिप्टी रेंजर लालसिंह आर्य लहूलुहान हो गए।
इस बार जो कुछ हुआ वो प्रशासन व पुलिस के लिए खुली चुनौती था । अवैध उत्खनन कर्ताओं की गहराई का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां कानून का राज नहीं चलता। जिसकी जहां मर्जी वहां जंगल काटते हैं, अवैध उत्खनन करते हैं ।
यदि डिप्टी रेंजर पर हमला हुआ है तो यह सोचना पड़ेगा कि इन्हें भस्मासुर बनने का आशीर्वाद किसने दिया ? जो हाथ नब्ज़ देखते थे, उन हाथों में पत्थर कैसे आ गए ? रहम दिल हकीम इतने कठोर कैसे हो गए ?
कलेक्टर अरविंद दुबे और पुलिस अधीक्षक विकास शहवाल ने अधिकारियों को निर्भय होकर कानून की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी । उसके बाद वन विभाग, खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग का सोया हुआ पुरुषार्थ जागा। जिससे वे आत्मविश्वास के साथ संविधान अनुसार परिणाम दे सकें।
हकीमखेड़ी में जिला प्रशासन, पुलिस, वन विभाग, खनिज, राजस्व विभाग ने जिस प्रकार की कार्रवाई की है ,वह कठोर होते हुए भी अनिवार्य है। *यदि कानून का राज्य स्थापित करना है तो सड़े हुए अंगों की शल्यक्रिया जरूरी है । कल तक जहां अवैध उत्खनन कर्ताओं का डंडा गड़ा था, उस पर प्रशासन, पुलिस ने अपना झंडा लगा दिया है।* स्वच्छता अभियान के साथ ही सामाजिक स्वच्छता का अभियान भी जरूरी है। लेकिन यह कार्रवाई हकीमखेडी तक ही सीमित ना हो। प्रशासन, पुलिस को जिला मुख्यालय के आस-पास ग्रामीण क्षेत्र सुंड, परसोरा, पोहरा, पाली, मूरैलकला, मिर्जापुर, टपरा पठारी में अवैध उत्खनन, ईंट भट्टों और जंगल माफियाओं के विरुद्ध भी कर झंड़े गाड़कर गणतंत्र दिवस मनाना चाहिए।