मध्य प्रदेश

89 दिनों के लिये थी अस्थाई सेल्समैनों की भर्ती, कर दिया लाखों का वारा न्यारा

लाखों की सिल्क बकाया, उर्पाजन का जिम्मा मिला तो उसमें भी कर दी खाईबाजी
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान । शासकीय राशन दुकानों में सेल्समैनों की कमी के चलते विभाग द्वारा अस्थाई रूप से 89 दिनों के लिये सेल्समैनों की भर्ती की गई थी जिसमें 89 दिनों बाद संबंधित सेल्समैनों को पृथक करने का प्रावधान निहित किया गया है लेकिन 89 दिनों के लिये जो भी सेल्समैन भर्ती हुये है वह लगातार कई वर्षों से शासकीय दुकानों का संचालन कर रहे है और शासन को लाखों रूपये का चूना लगा रहे है इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों के द्वारा इन्हें पृथक नहीं किया जा रहा है। इस कड़ी में कई ऐसे सेल्समैन है जिनके द्वारा लाखों रूपये की सिल्क (राशन बंटवारे की राशि) एवं उर्पाजन केन्द्र में कई क्विटल अनाज की घटी है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारियों की कृपा इन पर बरस रही है।
इसी कड़ी में ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत शासकीय उचित मूल्य दुकान मुरवारी, सनकुई, पिंडरई, देवरी बिछिया एवं लालपुर के सेल्समैनों द्वारा व्यापक पैमाने पर अनियमित्ता की गई। सेल्समैन रतन पाण्डेय और आजम खान पर 16 लाख 50 हजार 128 रूपये, सनकुई उचित मूल्य दुकान के विक्रेता दामोदर पटेल और सैल्समैन राजेश दाहिया पर 12 लाख 52 हजार 921 रूपये, पिंडरई दुकान विक्रेता आदर्श ज्योतिषी पर 2 लाख 80 हजार 778, देवरी बिछिया सेल्समैन धर्मेन्द्र कुमार पटेल पर 6 लाख 20 हजार 803 एवं लालपुर विक्रेता मोतीलाल गुप्ता पर 4 लाख 35 हजार की वसूली शेष है। लिहाजा विभाग द्वारा संबंधित सेल्समैनों पर कार्यवाही के नाम पर मात्र नोटिस जारी किये गये है जबकि विभाग द्वारा संबंधित सेल्समैनों को पहले नोटिस जारी करना है और यदि इनके द्वारा राशि जमा नहीं की जा रही तो इनके विरूद्ध एफआईआर दर्ज करवाना था।
यहां पर यह सनद रहे कि उक्त लाखों रूपये का बकाया ऐसे ही नहीं हुआ है बल्कि कई वर्षों से इनके द्वारा सिल्क की राशि जमा नहीं की जा रही है। शासन द्वारा 1 रूपये किलो की दर से अनाज का वितरण किया जा रहा है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी लंबी समय अवधि से उक्त सेल्समैन सिल्क की राशि जमा नहीं कर रहे है।
उर्पाजन के काम में भी भारी धांधली
89 दिनों के लिये भर्ती किये गये सेल्समैनों का करनामा यहीं नही थम रहा। शासन द्वारा इनको समर्थन मूल्य पर उर्पाजन का काम सौंपा गया तो उसमें भी इन्होंने जमकर धाधंली की गई और कई क्विटलों की घटी हुई जिसका नतीजा यह रहा कि संबंधित समिति को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया और खरीदी का जिम्मा किसी अन्य को सौंपा गया। सूत्रों ने बताया कि कई ऐसे उर्पाजन केन्द्र प्रभारी है जिन पर कई क्विटलों की घटी है इसके बाद भी इन पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और विभागीय अधिकारियों द्वारा किसी तरह की कोई कार्यवाही न करना प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है। चूंकि जिन भी केन्द्रों में घटी हुई है उसकी भरपाई संबंधित केन्द्र प्रभारी से की जानी चाहिये, क्योंकि शासन द्वारा उक्त अनाज का भुगतान संबंधित किसान को किया जा चुका है इसके बाद भी घटी कैसे हो गई यह भी एक जांच का विषय है।
इस संबंध में कलेक्टर अवि प्रसाद का कहना है कि संबंधित अधिकारियों को जांच के लिये निर्देशित किया जायेगा। जांच उपरांत आगामी कार्यवाही की जायेगी।

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