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संविधान दिवस पर भूख से मौत, भूख को संवैधानिक अधिकार दे सरकार..

भोपाल में भूख और कर्ज  से परेशान एक परिवार के पांच सदस्यों ने आत्महत्या का प्रयास किया। दो लोगों की मौत हो चुकी है।
    *कल हुई इस मौत के तांडव पर कुशाभाऊ ठाकरे के एक चादर और एक जोड़ी जूते से खड़े संगठन के विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और पदाधिकारियों की मिंटो हॉल में वैभवशाली जिंदगी और संविधान से प्राप्त अधिकारों के दुरुपयोग पर बहुत गुस्सा आया।*
   ठाकरे जी की सादगीपूर्ण विचारधारा को ठोकर मारकर चादर से शुरू हुआ संगठन कालीन और ब्रांडेड जूते पहनकर
बैठकें करने में मदमस्त है। ये सोचकर शर्म से सिर झुक गया कि इस बैठक में सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, नेताओं-कार्यकर्ताओं को नसीहत दे रहे थे मानवता की सेवा करें, दिखावे के कार्यक्रम न करें।
   *श्रीमान ! यदि संगठन की बैठक में बैठे माननीयों के ब्रांडेड जूतों को उतरवाकर नीलाम कर दिया जाता, तो इस जोशी परिवार का कर्ज और भूख मिट जाती और ठाकरे जी की आत्मा को शांति मिलती।*
     कल ही संविधान दिवस मनाकर रस्म अदा की। संविधान में उल्लेख है भारत का संविधान  नागरिकों के बीच धर्म, जाति, मूलवंश, लिंग या जन्म के आधार पर विभेद का निषेध करता हैं। जबकि दूसरी तरफ नागरिकों को कानून का समान संरक्षण   धर्म, जाति, वर्ग के आधार पर अप्राप्त है। संविधान में मौलिक अधिकार तो प्राप्त हैं, *लेकिन भूख को संवैधानिक अधिकार का दर्जा नहीं दिया गया। भूख मिटाने की संवैधानिक गारंटी आजादी के अमृत महोत्सव पर भी सरकार नहीं दे सकी। वास्तविक रुप से अमृत नेताओं के हिस्से आया और आम नागरिक के हिस्से जहर।*
   राज्य की संपत्ति पर पहला हक नागरिकों का है। इस संपत्ति की सुरक्षा की पूरी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमंडल की है । श्रीमान ! स्वागत सम्मान के लिए बहुत खर्चीले समारोह आयोजित करना बंद होना चाहिए । इस समय वैभव, विलासिता, रैलियों, विज्ञापन और आंकड़ों में चल रही है सरकार। समय आ गया सरकार तमाशा, फिजूलखर्ची बंद करें।
    *भूख और कर्ज से होने वाली मौत की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए और संविधान में भूख को संवैधानिक अधिकार मिले।*
14-15 अगस्त मध्य रात्रि को संविधान सभा में पंडित नेहरू ने कहा था “हम भारत की, उसके लोगों की और इससे अधिक मानवता की सेवा करेंगे …लेकिन सत्ता के मोह में संपन्न दलों के गिरोह मानवता की सेवा के नाम पर  अमृत पान कर रहे हैं। गरीब कुपोषित हो रहा है। वोट के लिए फ्री को प्रोत्साहन दिया लेकिन भूख को राज्याश्रय प्राप्त नहीं हुआ। *सोलह मिनट में मिंटो का नाम मिटाने वाली शिव सरकार सोलह साल में भूख नहीं मिटा सकी।*
1 नबंवर को  मध्य प्रदेश स्थापना दिवस, 15 नबंवर को जनजातीय गौरव दिवस के नाम पर सरकार ने करोड़ों रुपए फूंक कर भूख की मजार ( लाल घाटी परेड मैदान ) पर कुपोषित प्रदेश में उत्सव मनाया।  *जब प्रदेश का आम आदमी कुपोषित है, बेरोजगार, निठल्ला बैठा है। तब सरकार, संगठन उत्सव  मना रही है। जो निंदनीय है।*
   श्रीमान ! अभी भी समय है वैभव, विलासता पूर्ण जिंदगी को त्याग कर आम आदमी की सेवा करें, नहीं तो एक दिन… इंकलाब आकर रहेगा..
लेखक-  हरीश मिश्र
एंटी हॉर्स ट्रेडिंग फ्रंट राष्ट्रीय संयोजक
संपादक- दैनिक दिव्य घोष, मासिक मूक माटी

कर्ज और भूख से आत्महत्या करने वाला परिवार
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