क्राइम

रिश्वत मांगने वाले मंडी सचिव को न्यायालय ने सुनाई सजा

सफाई कार्य एवं मुख्यमंत्री कृषक भोजनालय के लंबित बिल भुगतान के ऐवज में मांगी गई थी रिश्वत
ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
दमोह । न्यायालय विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, डॉ.आरती शुक्‍ला पाण्‍डेय जिला दमोह की अदालत ने आरोपी कमलेश कुमार रैकवार, तत्कालीन सचिव कृषि उपज मंडी दमोह को दोषसिद्ध पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 13(1)(डी) सहपाठित 13(2) मे 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 8000 रुपये अर्थदण्‍ड से दण्डित किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक अनंत सिंह ठाकुर द्वारा प्रभारी जिला अभियोजन अधिकारी कैलाश चंद पटेल के मार्गदर्शन में की गई.बताया गया कि दिनांक 19 दिसंबर 2017 को आवेदक राजेश व्यास पिता स्व. सीताराम व्यास उम्र 50 वर्ष निवासी सागर नाका जिला दमोह (मप्र) ने अनावेदक कमलेश कुमार रैकवार, तत्कालीन सचिव कृषि उपज मंडी दमोह के विरुद्ध एक शिकायत पत्र रिश्वत मांग संबंधी पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष प्रस्तुत किया था कि, आवेदक द्वारा कराये गये सफाई कार्य का बिल एवं अमानत राशि एवं मुख्यमंत्री कृषक भोजनालय का बिल भुगतान किया जाना है. जिसके संबंध में आरोपी कमलेश कुमार रैकवार, सचिव कृषि उपज मंडी दमोह से मिला भुगतान करने के एवज में रिश्वत की मांग की जा रही है.आवेदक,अनावेदक को रिश्वत नहीं देना चाहता है, बल्कि उसे रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़वाना चाहता है.प्रस्तुत शिकायत के सत्यापन हेतु रिश्वत मांग संबंधी बातचीत रिकॉर्ड की गई. उक्त तस्दीकोपरांत दिनांक 03 जनवरी 2018 को ट्रेप का आयोजन किया गया. ट्रैप कार्यवाही के दौरान लोकायुक्त पुलिस के द्वारा आरोपी के शासकीय निवास में आरोपी से रिश्वत राशि 10,000 रुपये बरामद की गई. समस्त कार्यवाही एवम विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह के समक्ष प्रस्तुत किया गया. मामला न्यायालय में आने के बाद दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तर्को से सहमत होकर माननीय न्यायालय द्वारा दिनाँक 28 अक्टूबर 2023 को पारित निर्णय में आरोपी कमलेश कुमार रैकवार, तत्कालीन सचिव कृषि उपज मंडी दमोह को दोषसिद्ध पाते भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 03 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 13(1) (घ) सहपाठित 13(2) मे 04 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 8000 रुपये अर्थदण्‍ड़ से दण्डित किया गया.

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