संसार की सभी ममता राघव व माधव में समाहित होनी चाहिए : स्वामी रामभद्राचार्य
श्री मद भगवत कथा द्वितीय दिवस
रिपोर्टर : राजकुमर रघुवंशी
सिलवानी । सिलवानी नगर के नीगरी मोड़ रघुकुल भवन पर धर्मचक्रवर्ती पदम् विभूषण जगतगुरु परम पूज्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के द्वारा श्री मद भागवत कथा का वाचन किया जा रहा।
श्रीमद भागवत कथा साकेतवासी आचार्य श्री डॉ रामाधार उपाध्याय के प्रथम श्राद्व के उपलक्ष्य पर उनके शिष्य पडरिया पटेल शिववरण सिंह रघुवंशी, प्रशांत सिंह रघुवंशी के द्वारा भागवत ज्ञान सप्तदिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा का वर्णन करते हुए जगतगुरु ने कहा की सबसे पहले भागवत को समझो श्रीमद भागवत कथा है क्या ? श्री राम भद्राचार्य जी ने बताया की भागवत ये संस्कृत का शब्द है श्रीमद भागवत भगवान का ही रूप है। वेदाव्यास जी ने श्रीमद भागवत में उनकी चर्चा की हैं जो भगवान से जुड़ गया है। जिन्होंने भगवान के गुणों का गायन किया है। उस ग्रंथ का नाम भागवत है।
जगतगुरु ने दूसरे दिन की कथा का वाचन करते हुए, भगवान से प्रेम का वर्णन कर श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। कथा के बीच-बीच में भक्तगण तालियां बजा रहे थे। स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवान से ममता हो जानी चाहिए। यही वास्तविक प्रेम है। संसार की सभी ममता राघव व माधव में समाहित होनी चाहिए। प्रभु से इतना प्रेम करो, जितना गृहस्थ अपने बेटे से करता है। विश्वास इतना करो, जितना मनुष्य अपने मि़त्र से करता है। डर ऐसा होना चाहिए, जैसे स्वामी से होता है। बच्चों को देखकर भगवान का स्मरण हो जाता है। भगवान के बाल रूप की उपासना होनी चाहिए।
