सामाजिक संगठन ने स्लीमनाबाद पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

एक निर्दोष पर गंभीर धाराओं में पुलिस ने किया फर्जी मामला पंजीबद्ध
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान। मंगलवार को सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं ने स्लीमनाबाद थाना पहुंच कर पुलिस अधीक्षक के नाम एक ज्ञापन सौंपा साथ ही पुलिस पर गंभीर आरोप भी लगाए। सामाजिक संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हाल ही मे कौड़ियां शराब दुकान के पास रविवार को करीब रात 8 बजे भोला साहू उनके साथी एवं सत्यम तिवारी के बीच विवाद हुआ था विवाद को लेकर भोला साहू का पक्ष एवं सत्यम तिवारी दोनों पक्ष अपनी शिकायत दर्ज करवाने थाने पहुंचे थे। जिस पर पुलिस ने बिना जांच तस्दीक के सत्यम तिवारी के साथ साथ सुंदरम तिवारी जो कि घटना स्थल पर नहीं था उस पर भी हत्या करने के प्रयास की गंभीर धाराओं पर मामला पंजीबद्ध किया है।
*सोशल मीडिया में वायरल वीडियो*
आपको बता दें कि पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहा है जिसमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि पूरे विवाद में सत्यम तिवारी, भोला साहू एवं उनके अन्य साथियों से पिटता नजर आ रहा है पुलिस ने जो मामला पंजीबद्ध किया है और जो वीडियो में दिख रहा है उसको देखकर कही न कही पुलिस भी संदेह के घेरे में है। विवाद के पूरे वीडियो में सुंदरम तिवारी कही भी नजर नहीं आ रहा है आखिर क्यों पुलिस ने फर्जी मामला पंजीबद्ध किया क्या किसी प्रेशर में आकर पुलिस ने किया।
*सीसीटीवी फुटेज से हुआ खुलासा*
आपको ज्ञात हो कि पूरा घटना क्रम तकरीबन रात्रि 8 बजे घटित हुआ जिस समय कौड़ियां शराब दुकान के पास ये विवाद चल रहा था उस समय सुंदरम तिवारी अपने गांव चरगंवा में गांव की ही एक किराना दुकान में बैठा था जिसका पूरा खुलासा सीसीटीवी फुटेज से हो रहा है। सीसीटीवी फुटेज पर रात्रि 8,12 बजे सुंदरम तिवारी चरगंवा में है सवाल ये उठता है कि जब सुंदरम तिवारी अपने गांव चरगंवा में है जो सीसीटीवी फुटेज सिद्ध कर रही तो वो विवाद के दौरान कौड़ियां में कैसे हो सकता है अगर वो घटना के दौरान कौड़ियां में नहीं तो उसके ऊपर इतनी गंभीर धाराओं पर मामला पुलिस के द्वारा क्यों पंजीबद्ध किया गया क्या जिले को कानून व्यवस्था सिर्फ निर्दोषों को सजा देने के लिए बनी है।
*एक अन्य वीडियो ने साबित किया सुंदरम की बेगुनाही*
एक वीडियो और भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिसमें स्पष्ट देखा जा रहा है कि फरियादी भोला साहू एवं उनके अन्य साथी थाने में पहुंचकर किसी जायसवाल के ऊपर चाकू चलाने का आरोप लगा रहे है पुलिस कर्मी भी ये सारी सच्चाई सुन रहे है पर इतनी बड़ी सच्चाई को पुलिस ने अनदेखा करते हुए मामला उन पर मढ़ दिया जो निर्दोष थे जिन्होंने कोई चाकू बाजी नहीं की आश्चर्य की बात है जब कानून व्यवस्था ही बिना जांच बिना तस्दीक के इतने बड़े बड़े अपराध निर्दोषों पर मढ़ने लगेगी तो जनमानस क्या करेगा । बेवजह गंभीर धाराओं पर मामला पंजीबद्ध हुआ है उनकी भरपाई की जिम्मेदारी किसकी होगी क्या इतने बड़े मामले का असर उनके निजी जीवन में नहीं होगा।
*डॉक्टर की रिपोर्ट आने का नहीं किया इंतजार*.
मामले का एक अहम हिस्सा जब कोई थाने शिकायत लेकर पहुंचता है तो चोटों का मुलाहिजा होता है और डॉक्टर के रिपोर्ट के आधार पर धाराओं पर मामला पंजीबद्ध किया जाता है लेकिन इस पूरे मामले में बिल्कुल उल्टा हुआ है। मेडिकल रिपोर्ट के पहले ही 307 जैसे गंभीर धाराओं पर मामला पंजीबद्ध कर दिया गया। आपको बता दे कि घायल की मेडिकल रिपोर्ट में डॉक्टर ने सिंपल चोट का उल्लेख किया है डॉक्टर ने बातचीत के दौरान ये भी बताया कि घायल पूरी तरह स्वास्थ्य है यही कारण है कि उसे उपचार के लिए एडमिट नहीं किया बल्कि उसकी चोट पर ड्रेसिंग करके उसे छोड़ दिया गया है। डॉक्टर की रिपोर्ट स्पष्ट कह रही है कि घायल पर किसी धारदार हथियार का प्रयोग नहीं किया गया है तो क्या पुलिस को मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना था आखिर क्यों पुलिस ने निर्दोषों को अपराध की भट्टी में झोंक दिया।
एक पुरानी कहावत है अंधेर नगरी चौपट राजा इस पूरे मामले को देखकर ये कहावत अपने आप में सार्थक होती दिख रही है जो कभी थाने जेल जैसी जगहों पर जाने से कतराता रहा हो और उस पर झूठे आरोपों को सलग्न करके फर्जी मामला पंजीबद्ध कर दिया जाए तो उसकी मनोदशा क्या होगी गंभीर धाराओं के बाद उसने जो भी झेला या झेलेगा क्या उसकी जिम्मेदार पुलिस नहीं होगी।
इस संबंध मे स्लीमनाबाद थाना प्रभारी सुदेश सवन का कहना है कि प्रथम दृष्टया शिकायत के ऊपर दोनों पक्षों पर मामला पंजीबद्ध किया गया है मामला विवेचना में है जो भी तथ्य सामने आयेंगे उन्हीं तथ्यों के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।



