धार्मिक

Today Panchang आज का पंचांग बुधवार, 01 अक्टूबर 2025

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 01 अक्टूबर 2025
01 अक्टूबर 2025 दिन बुधवार को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष कि नवमी तिथि है। आज महानवमी का परम पावन व्रत भी है। नवमी को माता सिद्धिदात्री देवी की पूजा -आराधना से भक्तों को शीघ्र ही मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति सहज ही हो होती है। आज नवमी को उग्रचंडी माता की पूजा आराधना के उपरांत नारियल एवं नींबू आदि कि बलि अवश्य ही चलनी चाहिए। आज नवमी तिथि के अंदर ही ओम आदि कर करा देना चाहिए। क्योंकि आज ही विजय दशमी भी हो रहा है। आज अपराह्न काल में शमी एवं अपराजिता के पौधे की पूजा भी कि जाएगी। आज ही सायंकाल में नवरात्र व्रत का पारण एवं दुर्गा विसर्जन भी किया जाएगा। क्योंकि गज वाहन पर माताजी की विदाई अत्यंत ही शुभ फलदायी एवं सुवृष्टि का योग लेकर आनेवाला है। अतः आज ही विजया दशमी के लगभग सभी कार्यक्रम सम्पन्न हो जाएंगे। आप सभी सनातनियों को “महानवमी व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2025 विक्रम संवत : 2082 कालयक्त विक्रम : 1947 नल
🌐 कालयुक्त संवत्सर विक्रम संवत 2082,
👸🏻 शिवराज शक 352
✡️ शक संवत 1947 (विश्वावसु संवत्सर), चैत्र
☮️ गुजराती सम्वत : 2081 नल
☸️ काली सम्वत् 5126
🕉️ संवत्सर (उत्तर) क्रोधी
☣️ आयन – दक्षिणायन
☂️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
⛈️ मास – आश्विन मास
🌒 पक्ष – शुक्ल पक्ष
📅 तिथि – बुधवार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष नवमी तिथि 07:01 PM तक उपरांत दशमी।
✏️ तिथि स्वामी – नवमी की देवी हैं दुर्गा। इस तिधि में जगतजननी त्रिदेवजननी माता दुर्गा की पूजा करने से मनुष्य इच्छापूर्वक संसार-सागर को पार कर लेता है तथा हर क्षेत्र में सदा विजयी प्राप्त करता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा 08:06 AM तक उपरांत उत्तराषाढ़ा
🪐 नक्षत्र स्वामी – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामी शुक्र है, और इसका वैदिक देवता जल देवता अपस हैं।
⚜️ योग – अतिगण्ड योग 12:33 AM तक, उसके बाद सुकर्मा योग
प्रथम करण : बालव – 06:38 ए एम तक
द्वितीय करण – कौलव – 07:01 पी एम तक तैतिल
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 11:10 से 12:35 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:35 से 2:00 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:14:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:54:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:37 ए एम से 05:26 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:01 ए एम से 06:14 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:09 पी एम से 02:57 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:07 पी एम से 06:31 पी एम
🌌 सायाह्न सन्ध्या : 06:07 पी एम से 07:20 पी एम
💧 अमृत काल : 02:31 ए एम, अक्टूबर 02 से 04:12 ए एम, अक्टूबर 02
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:46 पी एम से 12:35 ए एम, अक्टूबर 02
❄️ रवि योग : 08:06 ए एम से 06:15 ए एम, अक्टूबर 02
🚓 यात्रा शकुन-हरे फ़ल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकले।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी बटुक को कांस्य पात्र भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – रवि योग/ नवरात्रोत्थापन/ महानवमी/ महानवमी उपवास/ आयुध पूजन/ देवी को बलिदान/ सरस्वती बलिदान/ राजनितिज्ञ रामनाथ कोविंद जन्म दिवस, पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों जन्म दिवस, अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस, नेशनल वॉलंटरी ब्लड डोनेशन डे, अंतर्राष्ट्रीय बुजर्ग दिवस, इंटरनेशनल कॉफी डे, राष्ट्रीय घरेलु कुकीज़ दिवस, राष्ट्रीय बाल दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस, नेशनल गर्लफ्रेंड डे, राष्ट्रीय युगल दिवस, विश्व शाकाहारी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस
✍🏼 तिथि विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।
🌷 Vastu tips_ 🌸
मनी प्लांट को क्या मुख्य द्वार पर रख सकते हैं? जी हां! मनी प्लांट को घर के मुख्य द्वार पर रखने में कोई खराबी नहीं है। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर रखा मनी प्लांट घर में बरकत लाता है। हालांकि द्वार की उत्तर दिशा की ओर ही इसे रखें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि मनी प्लांट के आस पास जूते-चप्पल, कूड़ा आदि न हो। ऐसा करने से मनी प्लांट की सकारात्मक ऊर्जा खराब हो सकती है।
मनी प्लांट लगाने के शुभ परिणाम मनी प्लांट लगाने से न केवल आपके घर में धन की बरकत होती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी आपके जीवन में आती है। साथ ही मनी प्लांट के सकारात्मक प्रभाव से आपके जीवन की कई परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। मनी प्लांट को घर में रखने से घर के लोगों की मानसिकता और स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। हालांकि, इसे लगाते से वास्तु के नियम का पालन आपको हमेशा करना चाहिए।
🔊 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
दर्द से दिलाए राहत यह दर्द भी कम करता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी पत्तियां पट्टी के रूप में लगाने से सारा दर्द खींच लेती है और आपको दर्द से राहत दिलाती है। इसमें दर्द को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं। इस पौधे का इस्तेमाल आपकी पुरानी चोट से हो रहे दर्द को भी कम करने की क्षमता रखता है। इसलिए चोट लगने पर चिकित्सक के पास नहीं जाना चाहते तो यह पौधा आपकी मदद कर सकता है।
सूजन कम करता है बेहया के पौधे में सूजन रोधी गुण यानि एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों को गर्म करके सूजी हुई त्वचा पर लगाने से सूजन ठीक हो जाती है। बेहया की पत्तियों से बने लेप को सूजी त्वचा पर लगाने से भी सूजन काम होती है। यह सूजन को 3 से 4 घंटे में ही ठीक करने लगता है। इस तरीके से पुरानी से पुरानी सूजन भी ठीक की का सकती है। सूजन को कम करने के लिए प्राचीन समय से इस पौधे को काफी लाभकारी माना जाता है।
दांतों के लिए अच्छा बेहया से दांतों के रोगों को भी ठीक किया जाता है। पायरिया भी दांतों से जुड़ी एक समस्या है। यह मसूड़ों को भी प्रभावित करता है। इससे दांतो की जड़ें कमज़ोर होने लगती हैं। यह जबड़ों की हड्डी को कमज़ोर करने लगता है। मात्र बेहया की टहनी से दातून करने से इस रोग को ठीक किया जा सकता। इससे दातून करने से दांत में कीड़े भी नहीं लगते। या फिर आप इससे उपरी तौर पर भी दांतों पर रगड़ सकते हैं।
🍒 आरोग्य संजीवनी 🍓
आंखों की रोशनी बढ़ाए तगर चूर्ण नियमित रूप से तगर के सेवन से आंखों की रोशनी तेज होती है। आजकल बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को चश्मा लगाते हुए देखा जा सकता है, लेकिन ऐसे में तगर चूर्ण का सेवन फायदेमंद हो सकता है। बच्चे, वयस्क और बुजुर्ग सभी इसे आसानी से ले सकते हैं। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ेगी, आपकी आंखें कभी खराब नहीं हों
नींद न आने की समस्या में फायदेमंद तगर अपने निद्राशामक गुण के लिए काफी प्रसिद्ध है। इसका इस्तेमाल अनिद्रा कए किया जा सकता है। नींद न आने की समस्या में इसका सेरना काफी फायदेमंद होता है। बीच में नींद टूट जाना, अच्छी नींद न आने पर भी इसका सेवन किया जा सकता है। नींद की से थकान, सिरदर्द, चक्कर आना, सिर और शरीर में भारीपन में प इसका इस्तेमाल कर सकते है
तनाव-चिंता कम करे नींद पूरी न होनसे कई तरह के मानसिक विकार भी होने लगते हैं। जैसे तनाव, अकेलापन उदासी , चिंता और अशांत मन में भी आप इसका सेवन कर सकते हैं।
मूत्र विकारों को करे दूर तगर पावडर लेने से मूत्र विकार दूर होते हैं। अगर आपको बहुत ज्यादा पेशाब आता है, तो भी आप इसका सेवन कर सकते हैं। इससे आपकी समस्या दूर हो सकती है।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
हनुमान जी जिनसे सभी बल, बुद्धि, विद्या देने की कामना करते हैं। लेकिन मां को तो हर बात का ध्यान रखना होता है ना इसलिए हनुमान जी की शिक्षा के लिए उनकी माता बड़ी चिंतित थी
सन्तान के चरित्र-निर्माण में माता की भूमिका आधारशिलास्वरूप होती है इसीलिए महीयसी “माता को प्रथम गुरु” का सम्मान दिया गया है।
अंजनादेवी परम सदाचारिणी, तपस्विनी एवं सद्गुण-सम्पन्न आदर्श माता थीं। वे अपने पुत्र श्रीहनुमानजी को श्लाघनीय तत्परता से आदर्श बालक का स्वरूम प्रदान करने की दिशा में सतत जगत और सचेष्ट रहती थीं।
पूजनोपरान्त और रात्रि में शयन के पूर्व वे अपने प्राणाधिक प्रिय पुत्र को पुराणों की प्रेरणाप्रद कथाएं सुनाया करतीं थीं। वे आदर्श पुरुषों के चरित्र श्रीहनुमानजी को पुनः-पुनः सुनातीं और अपने पुत्र का ध्यान उनकी ओर आकृष्ट करती रहतीं।
माता अंजनादेवी जब भगवान् श्रीरामजी के अवतार की कथा सुनाना प्रारम्भ करतीं, तब बालक श्रीहनुमानजी का सम्पूर्ण ध्यान उक्त कथा में ही केन्द्रित हो जाता। निद्रा एवं क्षुधा उनके लिए कोई अर्थ नहीं रखतीं। सहजानुराग से श्रीहनुमानजी पुनः-पुनः श्रीराम-कथा का श्रवण करते और खो जाते।
माता को चिंता सताने लगी। श्री हनुमानजी की आयु भी विद्याध्ययन के योग्य हो गई थी। माता अंजनीदेवी एवं वानरराज केसरी ने विचार किया- ‘अब हनुमान को विद्यार्जन के निमित्त किसी योग्य गुरु के हाथ सौंपना ही होगा। अतएव माता अंजना और कपीश्वर केसरी ने श्रीहनुमानजी को ज्ञानोपलब्धि के लिए गुरु-गृह भेजने का निर्णय किया।
अपार उल्लास के साथ माता-पिता ने अपने प्रिय श्रीहनुमानजी का उपनयन- संस्कार कराया और उन्हें विद्यार्जन के लिए गुरु-चरणों की शरण में जाने का स्नेहिल आदेश किया, पर समस्या यह थी कि श्रीहनुमानजी किस सर्वगुण-सम्पन्न आदर्श गुरु का शिष्यत्व अंगीकृत करें।
माता अंजना ने प्रेमल स्वर में कहा- ‘‘पुत्र ! सभी देवताओं में आदि देव भगवान् भास्कर को ही कहा जाता है और फिर, सकलशास्त्र मर्मज्ञ भगवान् सूर्यदेव तुम्हें समय पर विद्याध्ययन कराने का कृपापूर्ण आश्वासन भी तो दे चुके हैं। अतएव, तुम उन्हीं के शरणागत होकर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शिक्षार्जन करो।’’
श्रीहनुमान जी माता-पिता के श्रीचरणों में अपने सादर प्रणाम निवेदित कर आकाश में उछले तो सामने “सूर्यदेव के सारथि अरुण” मिले। श्रीहनुमानजी ने पिता का नाम लेकर अपना परिचय दिया और अरुण ने उन्हें अंशुमाली के पास जाने को कहा। आंजनेय ने अतीव श्रद्धापूर्वक भगवान् सूर्यदेव के चरणों का स्पर्श करते हुए उन्हें अपना हार्दिक नमन निवेदित किया।
विनीत श्रीहनुमानजी को बंद्धाजलि खड़े देख भगवान् भुवन भास्कर ने स्नेहिल शब्दों में पूछा- ‘बेटा ! आगमन का प्रयोजन कहो।’ श्रीहनुमानजी ने विनम्र स्वर में निवेदन किया- ‘प्रभो ! मेरा यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न हो जाने पर माता ने मुझे आपके चरणों में विद्यार्जन के लिए भेजा है। आप कृपापूर्वक मुझे ज्ञानदान कीजिए।’
सूर्यदेव बोले- ‘‘बेटा ! मुझे तुम्हें अपना शिष्य बनाने में अमित प्रसन्नता होगी, पर तुम तो मेरी स्थिति देखते ही हो। मैं तो अहर्निश अपने रथ पर सवार दौड़ता रहता हूं। सूर्यदेव की बात सुनकर पवनपुत्र बोले-‘प्रभो वेगपूर्वक चलता आपका रथ कहीं से भी मेरे अध्ययन को बाधित नहीं कर सकेगा। हां आपको किसी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए। मैं आपके सम्मुख रथ के वेग के साथ ही आगे बढ़ता रहूंगा।’
श्रीहनुमानजी सूर्यदेव की ओर मुख करके उनके आगे-आगे स्वभाविक रूप में चल रहे थे।
सूर्यदेव को ये देख हैरानी नहीं हुई क्योंकि वे जानते थे कि हनुमानजी खुद बुद्धिमान हैं लेकिन प्रथा के अनुसार गुरु द्वारा शिक्षा गृहण करना जरुरी है इसलिए सूर्यदेव ने कुछ ही दिनों में उन्हें कई विद्याएं सिखाई ।जिसमें नौ विद्याएं भी शामिल हैं ।
ॐ भास्कराय नमः 🙏 जय श्री हनुमान 🌺🌺🙏🙏
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⚜️ नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।।
आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।।

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