धार्मिक

ब्राह्मण, गौवंश, दीन, हीनो की सेवा जो सेवा करता है। वह यश वैभव कीर्ति तीनों प्राप्त करता है : स्वामी सदाशिव नित्यानंद गिरी महाराज

सिलवानी। सिलवानी तहसील के ग्राम हमीरपुर में चल रही रही श्रीमद्भागवत कथा एवं दुर्लभ सत्संग के पांचवे दिवस पर कथा व्यास स्वामी सदाशिव नित्यानंद गिरि महाराज के दिव्य मुखारविंद से अमृत सत्संग संदेश में व्यक्त की । स्वामी गिरी जी ने कहा कि भक्त पर कष्ट हो तो भगवान दुखी हो जाते है । जिस प्रकार भक्त भगवान का चिंतन करते है । उसी प्रकार भगवन भक्त का चिंतन करते है। संसार में कही भी जाओ नि:स्वार्थ भाव से जाओ निष्काम भावना से जाओ । तो मन हमेशा शान्ति ओर सुख की अनुभूति होगी । स्वामी नित्यांनद गिरी ने बताया कि सत्संग से ज्यादा दुर्लभ इस कलयुग मे कुछ भी नही है । सत्संग से व्यक्तिगत जीवन मे सुधार आता है । अगर इस संसार में हमारा व्यक्तिगत जीवन सुधर गया तो समझिये की भगवान की बडी कृपा है । स्वामी जी ने कहा श्रीमद्भागवत एंव रामायण पढते सुनते तो सब है । पर उस पर अमल (प्रेक्ट्रीकल) कोई नही करता श्रीमद्भागवत एंव रामायण मे भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन रामायण की हर एक चौपाई हर एक दोहा श्रीमद्भागवत का हर श्रलोक हमें जीवन जीने की कला सिखाते है । स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय अर्थात कलयुग में अच्छा बनना आश्चर्य है। बुरा बनना आश्चर्य नही है । क्योकि बुरे लोग दूसरों को दुखः देने बाले दूसरो का नुकसान करने बाले कुसंगति करने वाले तो जगह. जगह मिल जाएंगे। परन्तु दूसरों का हित करने वाले दूसरों के लिए जीने वाले बहुत कम मिलते है । स्वामी जी ने सत्संग मे कहा कि जो व्यक्ति सत्संग करता है एवं ब्रह्मण गाय एंव दीन, हीन की सेवा करता है । वह यश वैभव कीर्ति तीनों प्राप्त करता है।

Related Articles

Back to top button