कृषिमध्य प्रदेश

मौसम का हाल: ठंड कम पड़ने का असर… गेहूं और चने की फसलों की ग्रोथ रुकी

रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन । दिसंबर महीने के 23 दिन गुजर जाने के बाद भी कड़ाके की ठंड नहीं पड़ रही है। जिससे किसानों को अपनी रबी सीजन की फसलों को लेकर चिंता सताने लगी है। क्षेत्र में ठंड का मौसम फिलहाल पूरी तरह से गायब है। हवाएं जरूर चल रही हैं, लेकिन उनसे भी ठंड नहीं बढ़ पा रही है। ठंड की आस में बोई गई गेहूं चने की फसल मौसम ठंडा नहीं होने से अब आस छोड़ने लगी है। तापमान कम होने का नाम नहीं ले रहा। किसान फसलों में पानी दे चुके हैं, लेकिन ठंड की बेरुखी लगातार बढ़ती ही जा रही है।
मौसम विभाग के अधिकारियों कीयदि हम मानें तो ठंड की कमी का असर फसल पर होगा। सीहोर कृषि कालेज के मौसम वैज्ञानिक डॉ एसएस तोमर का कहना है कि पिछले साल दिसंबर महीना बहुत ठंडा था। 20 दिसंबर को रायसेन का तापमान 1.9 डिग्री और 21 दिसंबर को 3.5 डिग्री था। जबकि इस बार रात का पारा 21,22 दिसंबर 2021 को 10.5 डिग्री दर्ज किया गया है। वहीं एक दिन पहले 21 दिसंबर को रात का पारा 9 डिग्री दर्ज हुआ।
जनवरी के पहले सप्ताह में नीचे आएगा पारा : मौसम वैज्ञानिक डॉ एसएस तोमर का कहना है कि जनवरी पहले सप्ताह में पारा नीचे आएगा। जबकि दिसंबर मध्य आने तक ठंड तेज हो जाती थी और क्रिसमस डे के आसपास शीतलहर का प्रकोप भी शुरू हो जाता था। तहसील रायसेन के नरवर के उन्नतशील किसान डॉ मनमोहन चौकसे राकेश चौकसे अर्जुन सिंह बघेल का कहना है कि पिछले 1 सप्ताह से मौसम जिस तरह से बना हुआ है ।वह चिंता का विषय बन गया है। इससे गेहूं और चना की बढ़त नहीं हो रही है।
गेहूं की फसल के लिए कड़ाके की ठंड जरूरी….
नकतरा कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ स्वप्निल दुबे ने बताया कि सर्दियों के मौसम में ओस से फसलों के पौधे पानी अवशोषित करते हैं। ओस से अवशोषित पानी से पौधों में नमी बनी रहती है। रबी की फसलों की बढ़ोतरी के लिए नमी होना जरूरी है। ज्यादा तापमान होने पर फसलों पर अच्छा असर नहीं पड़ता है और पत्तियां जल्दी मुरझाने लगती है। उन पर पीलापन आने लगता है, जिससे पैदावार प्रभावित होती है।

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