दुपहरी में 37 दिन से धरना दे रही आंगनवाड़ी महिला, हड़ताल से आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन ठप्प
टीकाकरण हुआ प्रभावित, मांगों को नजरअंदाज कर रही प्रदेश सरकार
सिलवानी। लंबित मांगों के निराकरण की मांग को लेकर लगातार प्रशासन का ध्यान मांग पत्र के माध्यम से आकर्षित कराने के बाद भी निराकरण न होने से परेशान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं ने मप्र बुलंद आवाज नारी शक्ति आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका संगठन द्वारा बीते 37 दिन से अनिश्चित कालीन धरना आंदोलन तहसील परिसर में दिया जा रहा है।
धरना के 37 दिन बीतने के बाद भी प्रदेश सरकार द्वारा आंदोलनकारियों की मांगों पर विचार तक नहीं किया। जिससे आंदोलनकारी महिलाओं में प्रदेश सरकार के खिलाफ तीव्र अंसतोष व्याप्त है। यह अंसतोष कभी भी लावा बन कर फूट सकता है। तपती दुपहरी में छोटे बच्चों को गोद में लिए महिलाएं धरने पर बैठी है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा 15 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश संगठन द्वारा तय कार्यक्रम के तहत निराकरण की मांग को लेकर धरना आंदोलन आयोजित किया जा रहा है। 37 दिन से लगातार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा धरना दिया जाकर मांगों के समर्थन व प्रशासन के खिलाफ नरेबाजी की जा रही है। आंदोलन के चलते आंगनवाड़ी केन्द्रों का संचालन ठप हो गया है, बल्कि टीकाकरण सहित अनेक योजनाओं भी प्रभावित हो रही है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी एवं विधायक रामपालसिंह राजपूत के सिलवानी आगमन पर काफिले को थाने के पास रोक कर ज्ञापन सौपा गया था और खरी खोटी सुनाई थी। आंदोलन स्थल पर पहुंचकर कांग्रेस के पूर्व विधायक व जिलाध्यक्ष देवेन्द्र पटेल द्वारा समर्थन दिया जा चुका है। इसके अतिरिक्त विधायक रामपाल सिंह राजपूत के निर्देश पर भाजपा नेता तरूवर सिंह राजपूत, मंडल अध्यक्ष विजय शुक्ला ने आंदोलन कारियों से चर्चा कर मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दे चुके है।
आंदोलनकारी महिलाओं द्वारा भाईदूज का पर्व आंदोलन स्थल पर मनाने के साथ ही सुंदरकांठ पाठ सहित अनेक अनुष्ठान भी आयोजित किए जा चुके है। आंदोलनकारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मांग है कि माह अक्टूबर 2018 से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को बडे़ हुए मानदेय के एरियर्स का भुगतान किया जाए। नियमितीकरण कर राज्य शासन का कर्मचारी घोषित किया जाए व मासिक वेतन भी क्रमश: 25 हजार व 20 हजार रूपए की जाए। सेवा निवृत्ति पर कार्यकर्ताओं को 5 लाख तथा सहायिकाओं को 3 लाख रूपए दिए जाए। मोबाइल पर कार्य करने का प्रशिक्षण दिया जाए तथा हिंदी भाषा में कार्य कराए जाए। कार्यकर्ताओं को निजी मोबाइल पर कार्य करने का दबाव नहीं बनाया जाए। साथ ही अन्य मांगों का भी समावेश किया है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।