मध्य प्रदेश

बर्थ डे मनाना भारतीय परंपरा नहीं : मुनि श्री

रविवार को भगवान का दीक्षा कल्यायणक मनाया जाएगा
रिपोर्टर : फारूक मंसूरी
बम्होरी। जन्म जन्म की साधना तथा पुण्य के फल स्वरुप मानव जीवन की सर्वोच्च पर्याय के रुप में तीर्थंकर बालक का जन्म होता है,वह माता बहूत ही पुण्यशाली होती है जो कि ऐसे महान दिव्य महापुरुष को जन्म दैने का सौभाग्य हांसिल करती है।उपरोक्त उदगार संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज ने बम्होरी ग्राम में चल रहे पंचकल्याणक महा महोत्सव के चतुर्थ दिवस जन्मकल्याणक के अबसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि संसारी आत्माओं का जन्म होता है, लेकिन जब कभी कोई दिव्य महापुरुष अथवा तीर्थंकर बालक का जन्म होता है, तो स्वर्गलोक से सौधर्म इन्द्र और समस्त देवी देवता मिलकर के जन्मोत्सव को जन्मकल्याणक के रुप में मनाते है। मुनि श्री ने कहा सामान्यतः आप लोग अपने बच्चों का जन्मदिवस केक कटबा कर या मोमबत्ती बुझवाकर मनाते हो इस प्रकार से बर्थ डे मनाना काटना और वुझाने की भारतीय परंपरा नहीं, यह तो पाश्चात्य परंपरा है अपने बच्चों का जन्मदिन दीप प्रज्वलित कर भारतीय परंपरा से मनाइये उनको जिनाभिषेक एवं गुरू महाराज के पास ले जाकर आशीर्वाद दिलाऐं तथा उनको उनके जीवन के उद्देश्य से अवगत कराकर संस्कारित करें। इस अवसर पर मुनि श्री महासागर जी महाराज एवं मुनि श्री निषकंप सागर जी महाराज तथा ऐलक श्री निश्चयसागर जी महाराज ने भी सम्वोधित कर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया।
जन्मकल्याणक के अवसर पर आस पास के ग्रामीणों की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी एवं विदिशा, सिलवानी, गौरझामर, टड़ा, केसली एवं बकस्वाहा, रायसेन, भोपाल तथा जेसीनगर, नन्ही देवरी, सागर से बड़ी संख्या में भक्त पधारे।
प्रातःकाल भगवान का अभिषेक एवं विश्व कल्याण की भावना से निर्यापक मुनि श्री समतासागर महाराज के मुखारविंद से शांतिधारा की गयी जिसमें सभी प्रमुख पात्रों के साथ शांतिधारा कर्ता परिवारों के साथ सकल दि. जैन समाज एवं सभी कार्यक्रम में भाग लेंने वाले परिवारों के सुख स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की गयी।
दौपहर में जन्मकल्याणक का चल समारोह निकाला गया ऐरावत हाथी पर सौधर्म नगर के मुख्य मार्गों निकल कर कार्यक्रम स्थल पहुंचा जन्माभिषेक किया गया।सांयकाल गुरू भक्ती एवं महाआरती की गयी। रविबार को भगवान का दीक्षा कल्यायणक मनाया जाऐगा।

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