मध्य प्रदेश

पैक्ड फ़ूड हो सकता है सेहत के लिए घातक, महीनों से बन्द दुकानों में रखा नमकीन बेच जा रहा

रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन ।
जिले में 54 दिनों के कर्फ्यू के दौरान कोल्डड्रिंक, मिठाई, बेकरी की दुकानें पूरी तरह से बंद थीं। अनलॉक के बाद खुली दुकानों पैक्ड फूड, जंक फूड,की गुणवत्ता परखे बिना ही धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। लंबे समय तक बंद दुकानों में रखा, नमकीन, बेकरी और मिठाई आयटम आपको सेवन करने के बाद बीमार कर सकता है। हालांकि जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि हमने कारोबारियों के इसके बारे में सचेत कर दिया है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक 8 अप्रैल से 31 मई तक जिलेभर में कोरोना कर्फ्यू लागू किया गया था। इस दौरान कोल्डड्रिंक, मिठाई की दुकानें और बेकरी की दुकानें संपूर्ण रूप से बंद थी। अनलॉक में खोली गई दुकानों से पुरानी पैक्ड बिना गुणवत्ता की परख किए धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। जिला प्रशासन ने गुणवत्ता की परख किए बेचे जा रहे सामग्री बिक्री को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की है।
पिछले साल चला था ऑफर….
पिछली मार्च 2020 में कुछ ऐसे ही हालात बने थे। अचानक लॉक डाउन की घोषणा कर कुछ दिनों के लिए रियायत दी गई थी। इस दौरान पैक्ड फ़ूड ,मिठाई, जंक फूड, नमकीन बिस्कुट और कोल्ड ड्रिंक को जल्द बेचने के लिए ऑफर चलाया था।मिठाईयां उनके कर्मचारियों ने गरीब बस्तियों में बांट दी गई थी। लेकिन इस बार अनलॉक में पुराना स्टॉक आराम से बेचा जा रहा है।
इन चीजों से बच्चों की सेहत को ज्यादा खतरा…..
चिप्स, कैक, नमकीन, बिस्किट, चॉकलेट, मैग्गी, न्यूडल्स जैसे आयटम बच्चों के लिए खासे लुभावने होते हैं।लंबे समय तक लोग घरों में रहने के बाद अनलॉक होते ही उनके बच्चों की डिमांड इन्हीं आयटमों के लिए बढ़ी है।ऐसे में गुणवत्ता से समझौता कर इनकी खरीदी करना भारी पड़ सकता है।
न एक्सपायरी डेट, न मैन्युफैक्चरर की डिटेल
शहर में ऐसे अधिकांश प्रतिष्ठान हैं। जहां साधारण पैकेजिंग में नमकीन सहित अन्य पैक्ड फ़ूड बेचे जाते हैं।अपने ही प्रतिष्ठान का नाम बताकर दुकानदार ऐसे उत्पाद बेच रहे हैं। ऐसे में इनकी गुणवत्ता की परख करना बड़ा मुश्किल हो रहा है।
एक्सपर्ट व्यू…
कोरोना संक्रमण के दौरान पैक्ड फ़ूड का उपयोग बच्चों के साथ सभी के लिए नुकसानदायक है। मौसम में आए बदलाव और कोरोना की तीसरी लहर की संभावना के बीच गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थों का सेवन बच्चों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। बच्चों के अभिभावकों को इस मामले में सतर्क रहना चाहिए।

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