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जब संतों ने भजन छोड़ खेतों में पहुंचे, संतों ने कहा, गेंहू आप ले लो हमें तो डंठल दे दो, भूसा बनाने का खर्च भी हम देगें

भगवान् का भी भगवान् है -गाय माता
गाय से दूर होना ही दुखों का कारण : संतश्री गोपेश बाबाजी
गोबर और गोमूत्र का खेतों से विनियोग हटना ठीक नहीं

रिपोर्टर : कमल याज्ञवल्क्य
बरेली (रायसेन) । इन दिनों रायसेन जिले के बरेली क्षेत्र में विश्व की सबसे लोक प्रसिद्ध गोसेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के आगर-मालवा (सालरिया) में स्थित विश्व के पहले गो अभ्यारण्य और श्री वृंदावन धाम के पूज्य संतश्री गोपेश कृष्णदास बाबाजी, पूज्य संतश्री नर्मदा शरण जी महाराज एवं वापोली धाम के विख्यात तपस्वी संतश्री पूज्य लाल बाबाजी के परम प्रिय महंत पूज्य संत श्री मुक्तानंदजी महाराज तपती धूप और तेज गर्मी के बीच गाँव गाँव और खेत खेत जाकर किसानों से कह रहें हैं- गेंहू की वाली का अन्न आप ले लेना और हमें तो केवल उसके डंठल (नरवाई) हमें दे देना। संतों का किसानों से यह भी निवेदन है कि किसी भी हालात में खेतों की नरवाई जलाएं नहीं। संभवतः मध्यप्रदेश में ऐसा पहली बार ही हो रहा है कि जब संत-महात्मा भरी दोपहरी खेतों खेत जाकर प्रकृति संरक्षण और गो संवर्धन के लिए सीधे किसानों से अपील कर रहे हैं कि गेंहू की नरवाई में आग न लगाएं। संतों ने कहा कि गोबर और गोमूत्र का खेतों से विनियोग हटना ठीक नहीं है। रायसेन जिले के कलेक्टर अरविंद दुबे भी किसानों से अपील कर चुके हैं खेतों में नरवाई न जलाएं।
गाय माता कष्ट में तो हम भी कष्ट में, गोवंश सुखी तो हमारी पीढियां सुखी
श्रीरामजानकी मंदिर एवं श्रीकृष्ण गोशाला जामगढ़ में क्षेत्र के किसानों से संवाद करते हुए विख्यात संत और गो माता की सेवा में समर्पित तेजस्वी संतश्री गोपेश कृष्णदास जी महाराज “गोपेश बाबाजी” ने कहा कि हमारी गाय माता कष्ट में है, तो हम भी कष्ट में ही है। गाय माता कष्ट में हो तो संतानों को भी कष्ट होना स्वाभाविक है। संतश्री गोपेश बाबाजी जी ने कहा कि मैं सभी सनातनियों बुजुर्गो, युवाओं और बच्चों सहित माताओं और बहनों से अपील करता हूँ कि देव पूज्या, वेद पूज्या हमारे गोवंश की रक्षा और सुरक्षा के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि गाय माता से दूर होना ही दुखों का कारण है। हमारा गोवंश सुखी रहेगा तो हमारी पीढ़ियों को सुख मिलेगा।
दान में केवल गेंहू के डंठल दे दो, नरवाई मत जलाओ
रायसेन जिले के बरेली क्षेत्र में ऐसा पहली बार हुआ कि देश के विश्व विख्यात गोधाम महातीर्थों के ख्यातिप्राप्त तपस्वी संत महापुरुष गांव गांव और खेतों खेत जाकर दान में केवल गेंहू के डंठल (नरवाई) मांग रहें हैं। इसकी शुरुआत ऐतिहासिक गांव जामगढ़ से हुई। यहाँ पूज्य संतों ने खेत में जाकर पहले भूमि और भूसा बनाने की मशीन की वैदिक विधान से पूजा की फिर गोवंश के लिए भूसा बनाने का काम शुरू हुआ। ख्यातिप्राप्त तपस्वी संतश्री गोपेश कृष्णदास जी महाराज “गोपेश बाबाजी” ने इस प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि हमें हजारों ट्राली भूसा की जरूरत है। हम तो सभी किसानों से दान में सिर्फ गेंहू के डंठल नरवाई मांग रहे हैं। भूसा बनाने का पूरा खर्च हम दे रहे हैं। बस किसानों से अपील है कि नरवाई मत जलाएं, हमें गोवंश के लिए भूसा बनाने दें। उन्होंने कहा कि इस पुनीत पुण्य कार्य में हर नागरिक सहभागी बने।
संतों की अपील से प्रशासन को सुविधा
गेंहू की नरवाई में हर साल आग लगाने से रोकने के लिए प्रशासन को काफी मेहनत करना पड़ती है। समय समय पर प्रशासन अपील और आदेशों के माध्यम से खेतों में गेहूँ की नरवाई न जलाने के लिए प्रेरित करता है, किन्तु फिर भी खेत साफ करने के लिए नरवाई जलाई जाती रही है। इस साल क्षेत्र में संतों द्वारा किसानों से संपर्क करके नरवाई में आग न रखेंगेलगाने की अपील का फायदा होगा। काफी किसानों ने संतों की बात मानते हुए कहा कि नरवाई को भूसा बनाने के लिए सुरक्षित।

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