ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग बुधवार, 11 अक्टूबर 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
जय श्री हरि
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 11 अक्टूबर 2023

11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है। आज द्वादशी का श्राद्ध करना चाहिए। आज साधू, सन्यासी, योगी एवं वैष्णवों का श्राद्ध भी करना चाहिए। आज सूर्यदेवता हस्त नक्षत्र को छोडकर चित्रा नक्षत्र में रात्री 10:23 PM बजे चले जाएंगे। विवरण:- स्त्री.-स्त्री. सूर्य-सूर्य योग, महिष वाहन, जल नाड़ी, तदिशो बुध: इसलिए खंडवृष्टि का योग है। एकादशी तिथि तारीख 09 अक्टूबर 2023 को दोपहर 12:47 PM बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर 2023 को सायं 15:09 PM बजे तक थी। इसलिए आज 11 अक्टूबर 2023 को पारण का समय सुबह 06:33 AM से 08:54 AM तक है। इस समय के भीतर ही एकादशी व्रत खोलना चाहिए। इसी समय के भीतर आप पारण कर सकते हैं।।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।
बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है।
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – दक्षिणायन
☀️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
⛈️ मास – आश्विन मास
🌒 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – आश्विन माह के कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि है। द्वादशी तिथि 05:37 PM तक उपरांत त्रयोदशी
✏️ तिथि स्वामी – द्वादशी इस तिथि के स्वामी श्री हरि विष्णु जी हैं।
💫 नक्षत्र : नक्षत्र मघा 08:45 AM तक उपरांत पूर्व फाल्गुनी
🪐 नक्षत्र स्वामी : मघा नक्षत्र के स्वामी केतु है, नक्षत्र के देवता होते हैं पितर।
🔊 योग : शुभ योग 08:42 AM तक, उसके बाद शुक्ल योग
प्रथम करण : तैतिल – 05:37 पी एम तक
द्वितीय करण : गर – पूर्ण रात्रि तक
🔥 गुलिक काल : – बुधवार को शुभ गुलिक 10:30 से 12 बजे तक ।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है ।इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा / हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल : – बुधवार को राहुकाल दिन 12:00 से 1:30 तक । राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 05:12:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 06:48:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:40 ए एम से 05:30 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:05 ए एम से 06:19 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:04 पी एम से 02:50 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:56 पी एम से 06:21 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:56 पी एम से 07:11 पी एम
💧 अमृत काल : 04:26 ए एम, अक्टूबर 12 से 06:14 ए एम, अक्टूबर 12
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:43 पी एम से 12:33 ए एम, अक्टूबर 12
🚓 यात्रा शकुन-हरे फ़ल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी बटुक को हरे वस्त्र भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – द्वादशी श्राद्ध/ संन्यासी जनों का महालय/ सूर्य चित्रा नक्षत्र में प्रवेश/ मूल समाप्त/ बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन जन्मोत्सव, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती, भारतीय अभिनेत्री दिना पाठक पुण्य तिथि, भारतीय वैज्ञानिक विजय पी. भटकर जयंती, International Day of the Girl Child: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
✍🏼 विशेष – द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना निषिद्ध है। द्वादशी के दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दिन यात्रा करने से धन हानि एवं असफलता की सम्भावना रहती है। द्वादशी के दिन मसूर का सेवन वर्जित है।
Vastu Tips 🛕
वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे दक्षिण दिशा में शौचालय बनवाने के बारे में। अगर आपके घर की दक्षिण दिशा में शौचालय की संभावना है तो इसे दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के बीच शिफ्ट करने की कोशिश करें। ठीक दक्षिण दिशा में शौचालय का निर्माण कराने से यश और कीर्ति की हानि होती है। मंझली बेटी को अपयश का सामना करना पड़ता है। जीवन की ऊष्मा गुम हो जाती है और आपकी आंखें लगातार परेशान करती रहती हैं। आंखों में कोई न कोई विकार बना ही रहता है और हर सुबह 9 से 11 बजे के बीच मुसीबत भरे संदेश आते हैं। हर साल गर्मी के मौसम में सरकारी विभागों से नोटिसे मिलती हैं और व्यर्थ की प्रताड़ना झेलनी पड़ती हैं। अगर किसी मजबूरी के चलते दक्षिण दिशा में आपका टॉयलेट है तो उसके प्रभावों को कम करने के लिए टॉयलेट के दरवाजे पर तांबे की पत्ती जड़वाने से कुछ राहत हो जाएगी।
🔰 जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
संसाधनों का सही उपयोग अगर प्रकृति ने हमें कुछ दिया है तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप इसका दोहन करें। आप प्रकृति की दी हुई हर चीज का सोच समझ के इस्तेमाल करें। साथ ही कोशिश करें आप संसाधन जैसे बिजली जहां इस्तेमाल लगे वहीं करें। घर में भी कोशिश करें कि प्राकृतिक माहौल में जीवन जीएं। पैदल चलें, साइकिल चलाएं और गाड़ियों का इस्तेमाल कम करें।
देसी चीजों का इस्तेमाल देसी चीजों का इस्तेमाल जैसे लोकल सब्जियों का सेवन करें। घर में फल और सब्जियों को उगाने की कोशिश करें। देसी कपड़े जैसे खादी, सूती, सिल्क और जूट का इस्तेमाल करें। इसके अलावा देसी प्रोडक्ट्स और देसी मसालों का इस्तेमाल करें।
🍵 आरोग्य संजीवनी 🍶
डिप्रेशन या अवसाद एक मनोदशा संबंधी विकार है जो उदासी की लगातार और व्यापक भावनाओं, गतिविधियों में रुचि या आनंद की कमी, कम ऊर्जा जैसे लक्षणों के साथ सामने आती है। इसमें असहायता, निराशा, व्यर्थता का अपराधबोध, पश्चाताप, मृत्यु की कामना या सुसाइड करने जैसे विचार भी शामिल हैं। इससे भूख और नींद के पैटर्न में बदलाव, साथ ही ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे शारीरिक लक्षण हो सकते हैं।
एंग्जायटी डर एक मानवीय भावना है, लेकिन जब ये बढ़ जाती है तब मानसिक बीमारी बन जाती है। इसमें व्यक्ति, भविष्य के खतरे की आशंका में अनुभव करता है। एंग्जायटी डिसऑर्डर में आमतौर पर किसी मानसिक परेशानी या चिंता शामिल होती है। इसमें व्यक्ति लगातार घबराता है। ये स्थितियां तेज दिल की धड़कन और पसीना आने जैसे शारीरिक लक्षण पैदा कर सकती हैं।
📚 गुरु भक्ति योग 🕯️
माण्डव्य ऋषि ने यमराज को क्या श्राप दिया ?
लंबी कहानी को संक्षेप में कहें तो ऋषि मांडव्य को शाही आभूषणों की चोरी के संदेह में एक शासक राजा द्वारा एक तेज नुकीली छड़ी पर बैठाकर दंडित किया गया था, जो जमीन पर मजबूती से टिकी हुई थी। सज़ा बहुत क्रूर थी क्योंकि कील बार-बार शरीर में घुसती रहती थी। यह चोरों के लिए एक मानक सज़ा थी। इस प्रकार मांडव्य के साथ सूली पर चढ़ाए गए सभी चोर मर गए, लेकिन अपनी तपस्या के कारण मांडव्य बच गए। उन्होंने सज़ा का विरोध नहीं किया और न ही राजा में दोष पाया। यह जानकर कि मांडव्य अभी भी जीवित है, राजा को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ, उसने उनसे क्षमा मांगी और उनके शरीर से छड़ी को अलग करने का प्रयास किया। हालाँकि, सर्जन इसे अलग नहीं कर सके, लेकिन जितना संभव हो सके इसे काट दिया, जिससे उसके शरीर के भीतर एक छोटा सा हिस्सा रह गया। वह जीवन भर उस दर्द और परेशानी के साथ रहे।
जब वह दूसरी दुनिया में पहुंचे, तो उन्होंने यम से पूछा कि उनकी पीड़ा का कारण क्या है। यम ने उत्तर दिया कि मांडव्य जब छोटा लड़का था, तो उसने एक प्राणी (मक्खी जैसा कुछ) के पंख काट दिए थे और उसे पीड़ा पहुंचाई थी।
यह जानकारी जानकर मांडव्य क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा कि सज़ा अनुपातहीन है। बचकानी शरारतों को दंड के योग्य ‘पाप’ नहीं माना जाएगा क्योंकि उन्हें ‘अपराध’ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि अपराधी इसे इस ज्ञान और जागरूकता के बिना करता है कि यह एक अपराध था। इसके बाद उन्होंने फैसला सुनाया कि १४ साल की उम्र तक के बच्चों द्वारा किया गया कोई भी काम दंडनीय नहीं है। (यह नाबालिगों को दंडित न करने का आधार हो सकता है)
उन्होंने यम को अनुचित दंड देने की मूर्खता के लिए मनुष्य के रूप में जन्म लेने का शाप दिया। यम ने शूद्र स्त्री के गर्भ से विदुर के रूप में जन्म लिया, उन्हें शासन करने का कोई अधिकार नहीं था, और उन्हें अपने भाई धृतराष्ट्र के लिए दूसरी भूमिका निभाते हुए लंबे जीवन का कष्ट सहना पड़ा।
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⚜️ द्वादशी तिथि का नाम यशोबला भी है, क्योंकि इस दिन भगवान श्री विष्णु जी / भगवान श्रीकृष्ण जी का आंवले, इलाइची, पीले फूलो से पूजन करने से यश, बल और साहस की प्राप्ति होती है।
द्वादशी को श्री विष्णु जी की पूजा , अर्चना करने से मनुष्य को समस्त भौतिक सुखो और ऐश्वर्यों की प्राप्ति होती है, उसे समाज में सर्वत्र आदर मिलता है, उसकी समस्त मनोकामनाएं निश्चय ही पूर्ण होती है।
द्वादशी तिथि के दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना अत्यन्त श्रेयकर होता है। द्वादशी के दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
भगवान विष्णु के भक्त बुध ग्रह का जन्म भी द्वादशी तिथि के दिन माना जाता है। इस दिन विष्णु भगवान के पूजन से बुध ग्रह भी मजबूत होता है ।
यदि द्वादशी तिथि सोमवार और शुक्रवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। द्वादशी यदि रविवार के दिन पड़ती है तो क्रकच योग बनाती है, यह अशुभ माना जाता है, इसमें भी शुभ कार्य करना मना किया गया हैं।

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