धार्मिक

श्रद्धा, आस्था के साथ हनुमान दरबार में मनोकामना करने से होती है मनोकामनाएं पूर्ण

हनुमान प्रकटयोत्सव पर सोजनीधाम में उमड़ेगा श्रद्धालुओ का सैलाब
प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में दर्शन को पहुंचते है श्रद्धालु

रिपोर्टर : शिवकुमार साहू
सिलवानी । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त, अनंत बलवंत, पवन पुत्र हनुमानजी महाराज के दरबार में पहुंच कर सच्चे मन से की गई मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है। जिसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्वालु दरबार में पहुंचकर कार्य सिद्धी की मनोकामना करते है, सच्चे मन से आस्था के साथ की गई मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होती है। ऐसा ही हनुमानजी महाराज का दिव्य मंदिर तहसील के सोजनी धाम में स्थित है। जहां प्रति मंगलवार और शनिवार को श्रद्वालु पहुंच कर पूजा अर्चना करते है। मंगलवार होने व हनुमान प्रकटयोत्सव होने के कारण सोजनीधाम में आज श्रद्वालुओ का सैलाब उमड़ेगा।
जमीन पर हनुमानजी महाराज की एक प्रतिमा विराजित थी। यह प्रतिमा कहां से आई इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। उस समय संत हनुमान दास महाराज जो कि मूर्ति की सेवा करते थे साथ ही पूजन आदि कार्य भी करते थे जिनके द्वारा सोजनीधाम में बरगद के पेड़ के पास एक छोटा सा मंदिर का निर्माण कराया जाकर हनुमान की मूर्ति को मंदिर में विराजित कर दिया गया। तब से लगातार पूजा अर्चना करने का क्रम जारी है। मंगलवार और शनिवार को दर्शन करने के लिए अन्य स्थानो से भी श्रद्वालु पहुंचते हैं।
मंगलवार का दिन होता है खास –
तहसील मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर साईखेड़ा ग्राम पंचायत के तहत आने वाले सोजनीधाम हनुमानजी महाराज का प्राचीन मंदिर स्थित है, जो कि एक सौ साल से अधिक का बताया जा रहा है, इस मंदिर का निर्माण कब व किसने कराया इसका प्रमाण किसी के पास नही होना बताया जा रहा है। यहां पर प्रति मंगलवार को श्रद्धालु पहुंचते है तथा पूजा, अर्चना, आरती कर मनोकामना पूर्ण होने की गुहार लगाते है।
होती है मनोकामना पूर्ण
हनुमान मंदिर में विराजमान भगवान हनुमान की मूर्ति देखने मे सामान्य लगती है। लेकिन यह प्रतिमा स्वयं में आकर्षण लिए हुए है। बताते है कि हनुमान की मूर्ति के सामने खड़े होकर दर्शन करने व मनोकामना करने से मांगी गई मुराद अवष्य ही पूर्ण होती है। मनोकामना की पूति के लिए प्रति मंगलवार को सैंकड़ो की संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर हनुमान मंदिर में पवनपुत्र हनुमान की पूजा अर्चना कर भोग लगाते है। व हनुमानजी महाराज से मनोकामना की पूर्ति के लिए अनुनय विनय करते है। यहां पर मुख्य रुप से हनुमानजी महाराज की विराजित मूर्ति के पीछे वाले हिस्से में पछीत वाले दादाजी की मूर्ति भी स्थापित है। साथ ही धुनी वाले दादाजी व पीपल के पेड़ के नीचे भगवान श्री भोलेनाथ का मंदिर भी बना हुआ हैं। सभी स्थानो की श्रद्धालुओं के द्वारा भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना की जाती है। ग्रामीण बताते है कि लगभग एक सौ साल पूर्व सोजनीधाम में बरगद के पेड़ के नीचे हनुमानजी महाराज की एक प्रतिमा विराजित थी। यह प्रतिमा कहां से आई इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। उस समय संत हनुमान दास महाराज जो कि मूर्ति की सेवा करते थे साथ ही पूजन आदि कार्य भी करते थे जिनके द्वारा सोजनीधाम में बरगद के पेड़ के पास एक छोटा सा मंदिर का निर्माण कराया जाकर हनुमान की मूर्ति को मंदिर में विराजित कर दिया गया। तब से लगातार पूजा अर्चना करने का क्रम जारी है। मंगलवार को दर्षन करने के लिए अन्य स्थानो से भी श्रद्वालु पहुंचते हैं।
मंगलवार और शनिवार का दिन होता है खास
मंगलवार और शनिवार का दिन बेहद खास माना गया है इस दिन सैंकड़ो की संख्या में सिलवानी, सांईखेड़ा सहित सैंकड़ो किलो मीटर दूर से भी श्रद्वालु यहां आते हैं इस दिन सोजनीधाम में मेले सा नजारा रहता है। यहां पर प्रसाद के साथ ही महिलाओं के सौंदर्य सामग्री की दुकानो के साथ ही बच्चों के लिए खेल खिलौने की दुकाने भी लगती है। मंगलवार और शनिवार को सोजनीधाम पहुंचने वाले श्रद्वालुओं में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक देखी जाती है। हालांकि पुरुष श्रद्वालु भी पहुंचकर पूजा अर्चना आराधना करते है, लेकिन पुरुषो की संख्या महिलाओं के मान से कम ही देखी जाती है। मंदिर के पुजारी मिथलेश भार्गव ने बताया कि प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंच कर पूजा अर्चना करते है व मनोकामना भी करते है, जो कि अवश्य ही पूर्ण होती है।

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