मध्य प्रदेश

ठेकेदारों ने बनाया सिंडीकेट अब एमआरपी से ज्यादा रेट में बेची जा रही है शराब

ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
हटा । हटा विधानसभा नया ठेका होने के बाद शराब कारोबारियों ने आबकारी नीति को ठेंगा दिखाते हुए सिंडीकेट बनाकर शराब के शौकीनों को लूटना शुरू कर दिया है। देशी और विदेशी शराब की बोतलों पर दर्ज एमआरपी को न मानते हुए शराब दुकानों में न केवल मनमानी की जा रही है, बल्कि एमआरपी से बढ़कर कीमत वसूलते हुए मोटी और अतिरिक्त कमाई भी की जा रही है। शासन-प्रशासन हमेशा उपभोक्ताओं को एमआरपी पर सामान न खरीदने और मोलभाव करने। के लिए प्रेरित करता है।और शराब की बोतल पर लिखा होता है एम आरपी यानी मिनिमम सेलिंग प्राइस और एमआरपी अर्थात मैक्सिमम रिटेल प्राइस इसका अर्थ है कि ठेकेदार इन दोनों मूल्यों के बीच में शराब बेचे पर फिलहाल एमआरपी से 10 से 20 प्रतिशत तक ऊपर शराब बेचकर अंधाधुंध कमाई शराब ठेकेदार कर रहे है। हटा विधानसभा में 15 शराब दुकानों हैऔर यह दुकानों अष्टभुजा कंपनी इन दुकानों को संचालित कर रही और करीब एक माह पहले शराब के ठेका होने पर अन्य ठेकेदारों की होड़ को लेकर अष्टभुजा कंपनी
ने शराब दुकानों अधिक मूल्य लगाकर ठेका प्राप्त कर लिया लेकिन इसकी वसूली अधिक रेट पर शराब विक्रय करके ग्राहकों से वसूली अष्टभुजा कंपनी के द्वारा की जा रही है सरकार की गाइडलाइन के रूप शराब दुकानों में पूर्ण रूप से आहता बंद कर दिए गए हैं और प्रत्येक दुकान की शराब की दुकान में बाहर रेट सूची का चशपा होना अति आवश्यक है लेकिन दोनों ही सरकार के नियमों को दरकिनार करते हुए अष्टभुजा कंपनी के द्वारा आहता संचालित कर रही है और रेट सूची भी दुकान के बाहर चशपा नही है , पहले ठेकेदार ने जमकर 10 से 25 प्रतिशत एमआरपी से ज्यादा मूल्य की वसूली की, जा रही शासकीय कंपोजिट शराब दुकान चंडी जी वार्ड में खुलेआम एमआरपी मूल्य से अधिक मूल्य पर शराब बेची जा रही है। रुपये है और इसी दुकान में मसाला पाव का न्यूनतम मूल्य 85 अधिकतम मूल्य ₹100 है लेकिन ठेकेदार की मनमानी के चलते यह ₹120 में विक्रय की जा रही है।
जिला आबकारी अधिकारी रविंद्र खरे ने कहा शराब ज्यादा रेट पर विक्रय की जा रही है निश्चित कार्यवाही की जाएगी और रेट सूची के लिए निर्देशित किया जाएगा।

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