पर्यावरणमध्य प्रदेश

गौरैया एवं बेजुबानों की प्यास बुझाने के लिए पानी के पात्र और रहने के लिए घोसला बनवाए

रेंजर की अनूठी पहल
ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । बढ़ते शहरीकरण से गौरैया के आवास नष्ट हो रहे हैं। इससे ईको सिस्टम और फूड चेन को खतरा है। संरक्षणवादी और द नेचर फॉरएवर सोसाइटी के संस्थापक, मोहम्मद दिलावर, गौरैया के संभावित विलुप्त होने के लिए विवेकहीन शहरीकरण को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि पक्षी अपना प्राकृतिक आवास खो रहे हैं और “वह आवश्यक मानवीय स्पर्श भी खो रहे हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है और वे पनपते हैं” यही सब देखते हुए वन परिक्षेत्र अधिकारी अरविंद अहिरवार ने अनोखी अनूठी पहल की है भीषण गर्मी में तालाब कुएं का पानी सूख जाता है बेजुबान जानवर बेजुबान पंछी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भागते है और पानी की तलाश में भटकते हुए या संक्रमित पानी पीने से मौत हो जाती हैं कहा जाता है कि जल ही जीवन है
होली के बाद ही गर्मी की शुरुआत हो जाती है इस समय दूर-दूर तक बेजुबान पंछियों को पानी की कोई व्यवस्था नहीं रहती है बेहाल होकर बेजुबान पंछी प्यास बुझाने के लिए भटकते नजर आते हैं वह या तो घरों से निकलने वाला व्यर्थ पानी या फिर नालियों में बह रहे पानी को पीने के लिए मजबूर हो जाते हैं। विलुप्त होती ऐसी कई प्रजाति के परिंदों को बचाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं ने कोई पहल नहीं की है।
बेगमगंज रेंजर का कहना है कि पक्षियों के लिए घरों की चोटी,छत पर लोगों को दाना डालना चाहिए, ज्यादातर लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और पानी का पात्र रखें तो कई बेजुबान पक्षियों की जान बचाई जा सकती है।
एक समय था जब घर कच्चें हुआ करते थे तथा आंगन में नानी एवं दादी रोटी पकाती थी, तो उनके हाथ में लगा आटा वो मसल मसल कर आंगन में फैंकती थी, झुंड के झुंड गौरैया उसको फुर्र से खाने आती और फुर्र से उड़ जाती थीं। बच्चें उनको देखकर खुश होते थे तथा उनको पकड़ने के लिए दौड़ते भी थे
अजब नजारा घर में बच्चों एवं गौरैया के बीच नजर आता था। लेकिन घरों को चहचहाने वाली गौरैया की चहक कम होने के साथ ही लुप्त सी ही होती जा रही है।
पक्षियों की सेवा करने वाले लोगों का मानना है कि जिनका बुध कमजोर होता है पक्षियों को दाना खिलाने से ठीक हो जाता है
साथ ही घरों पर पक्षियों के लिए दाना पानी रखने से घर में सुख शांति समृद्धि भी आती है जेठ के माह में जलदान महादान होता है जेठ और आषाढ़ के महीने में जलदान का काफी महत्व रहता है शास्त्रों में लिखा है इस महीने अग्नि का दान जेठ आषाढ़ और सावन के महीने में जल दान करने से पाप धुल जाते हैं घर के बाहर या बालकनी में बर्तन में हर रोज पानी भरकर रखें पानी को हमेशा ठंडी और छायादार जगह पर ही स्थान बनाकर रखें बर्तन में पानी गर्म हो जाने पर उसे जरूर बदले या मिट्टी का जल पात्र में पानी और दाना रखें इसका आप नियम बना लें पानी का बर्तन जानवर या पक्षी के अनुसार होना चाहिए ।
बेगमगंज रेंजर अरविंद अहिरवार ने बेजुबान पंछियों के लिए दाना पानी और रहने के लिए घोंसला बनवाए है ।
लगभग 2000 से ज्यादा छायादार पेड़ों पर उन घोसलों को टंगवा रहे है।
रेंजर अहिरवार की ये अंगूठी पहल लोगों को प्रेरणा दे रही है कि अपने लिए तो सारा जीवन हर कोई जीता है लेकिन परिंदों के लिए भी कुछ समय निकलने से अपने आसपास का वातावरण फिर वही दादी नानी के दौर का वापस ला सकते हैं थोड़े से प्रयासों से।

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