मध्य प्रदेशराजनीति

रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य पर राजनेताओं की चुप्पी देखी !!

अप्रैल माह का लेखा-जोखा
दिव्य चिंतन : हरीश मिश्र, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार
प्रस्तुत है, अप्रैल माह का लेखा-जोखा। अप्रैल में शक्ति, शौर्य, आदर्श के प्रतिनिधि , मर्यादा पुरुषोत्तम रामलला का सूर्य तिलक होते एवं जैन तीर्थ कुण्डलपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को आचार्य पद पर विराजमान होते देखा।ओला-पानी, आंधी-तूफान,
गरज-चमक के साथ उन नेताओं को जो कल तक रोली का टीका लगवाने से परहेज़ करते थे, आज टोपी उतार ,चोटी रख, रोली का टीका लगवाते देखा। मुद्दा विहीन लोकसभा चुनाव में कम मतदान होते देखा।
पांच साल के बाद लोकतंत्र का उत्सव देखा। जिन्होंने शपथ ली जनता का दर्द दूर करने की, दर्द दूर नहीं हुआ, दिक्कत वही यथावत देखी । नेताओं के अच्छे दिन, जनता के हिस्से में सिर्फ आफत देखी।
किसान आसमानी आफत से, आम-आदमी मंहगाई से, कर्मचारी चुनावी ड्यूटी से परेशान होते देखा। सेवादारों को रोड पर रेंगते , हुंकार भरते देखा ।
माह के पहले दिन मादरेवतन के पुश्तैनी रखवालों,चौकीदारों को जनता को अप्रैल फूल बनाते देखा। भारत की माटी के लाल , राम रथी लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित होते देखा। धर्म से धन कुबेर बने श्री रावतपुरा सरकार को पत्रकारिता में विस्तार के लिए आशीर्वाद देते देखा। मंत्री पुत्र की गुंडागर्दी , मंत्री जी का पुत्र मोह में वर्दी उतरवाते देखा और माह के अंत में स्वच्छता के शहर में भाजपा के बम निरोधक दस्ते को गंदगी में पड़े कांग्रेसी सुतली अक्षय बम को डिफ़्यूज़ करते फुस्स बम को मोहन के गले लगते, महफ़ूज़ होते देखा। सूरत में कमल खिलते देखा। कर्नाटक सेक्स स्कैंडल में देह शोषण करने वाले विधायक , सांसद भेड़ियों की नसबंदी कराने के बजाय मंगलसूत्र पर हुंकार भरने वालों को भेड़ियों के इस दुष्कर्म पर मौन होते देखा ।
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के विशेषज्ञों को
भोजशाला के पाषाण में
हिन्दू-मुस्लिम इतिहास के साक्ष्य ढूंढते देखा। राष्ट्रीय खांसी पुरुष को जेल में गीता-रामायण -इंसुलिन मांगते देखा । राष्ट्रीय खांसी पुरुष यदि पहले गीता पढ़ लेते तो सत्ता का मोह नहीं होता, मोह नहीं होता तो सत्ता में रहते राम के आदर्श पथ पर चल सकते थे और सत्ता के नशे में मदहोश नहीं होते । मदहोश नहीं होते तो इंसुलिन की जरुरत ही नहीं पड़तीं। विश्वास टूटने के कारण खांसी को जेल में बंद होने पर भी जनता में आक्रोश नहीं देखा।
सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव और बाल कृष्ण को योग करते, माफ़ी मांगते देखा। आईपीएल में रनों का इतिहास बनते देखा।
ममता ने मतदाताओं से कहा सांप पर भरोसा कर लें, भाजपा पर नहीं… और ममता को संदेशखाली में केंचुए से काया परिवर्तन कर सांप बने शेख शाहजहां पर भरोसा करते देखा। मणिपुर को फिर जलते देखा। कांग्रेस से भाजपा में गए मेयर को कांग्रेस में वापस आते देखा। अजीत पवार को चौकीदार बनने के बाद 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले और 25 हजार करोड़ के बैंक घोटाले से स्वच्छ निकलते देखा। 10 वीं 12 वीं के परीक्षा परिणाम में 500 में से 495 अंक लाते बच्चों को देखा और राजनैतिक दलों को अंगूठा छाप नेताओं को टिकट देते देखा।
जब संविधान बदले बिन सत्तारूढ़ दल अपना घोषणापत्र लागू कर सकता हैं, वहां संविधान बदलने का प्रोपेगेंडा और संविधान बचाने वालों को छाती पीटते देखा।
बढ़ती आर्थिक विसंगतियों , रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के मुद्दों पर राजनेताओं की चुप्पी देखी।

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