धार्मिक

न्याय, सत्य, सत्कर्म पर चलने वाला मानव समृद्वि के साथ भगवान को प्राप्त करता है श्री श्री 1008 ब्रहाचारी

मंगल भवन रघुवंशी मैरिज गार्डन में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन, श्रद्वालु कर रहे हैं कथा का श्रवण
पंडित ब्रहाचारी महराज ने कथा के पंचम दिवस के अवसर पर भगवान की भागवत कथा का भगतो को कराया रसपान
सिलवानी।
श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन केशव प्रसाद शर्मा एवं उनके परिजनों द्वारा मंगल भवन रघुवंशी मैरिज गार्डन में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन करवाया जा रहा है। पंचम दिवस के दिन पंडित ब्रहाचारी ने बताया की सात्विक व्यक्ति को ही श्रीमद् भागवत कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। अनाचार, अत्याचार आदि कषायों में लिप्त व्यक्ति को कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त नही हो सकता हैं। श्रीमद् भागवत महापुराण में भगवान की वाणी का समावेश किया गया है। प्रत्येक जीव को चाहिए कि वह सद्कर्म करता रहे, ताकि उसे भगवत कथा पुराण सुनने का अवसर प्राप्त होता रहे।
यह उद्गार श्री श्री 1008,ब्रहाचारी जी बापोली धाम मागरोल से पधारे पंडित ब्रहाचारी महराज द्वारा कथा के पंचम दिवस पर व्यक्त किए। वह नगर की मंगल भवन रघुवंशी मैरिज गार्डन में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के आयोजन आयोजित संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस दिन शनिवार को कथा स्थल पर मौजूद श्रद्वालुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि न्याय, सत्य, सत्कर्म पर चलने वाला मानव निरंतर समृद्वि को प्राप्त करता है जबकि अनाचार, अत्याचार, व्यसनो में लिप्त व्यक्ति रसातल की तरफ कदम बढ़ाता जाता हैं, ऎसा व्यक्ति कभी भी
सुख समृद्वि को प्राप्त नहीं कर सकता है। वर्तमान समय में सभी जीवो को प्रतिदिन भगवान का भजन पूजन करने का नियम लेना चाहिए। लिए गए नियम का पालन भी आवश्यक रुप से करना चाहिए। संकल्प के साथ लिया गया नियम और उसका पालन करने से मानव का जीवन सुख व शांति को प्रांत होता है। साथ ही सफलता के द्वार भी खोलता है।
कथा वाचक ने कहा कि अभिमानी व्यक्ति कभी भी धर्म ज्ञान को प्राप्त नही कर सकता है। धर्म का ज्ञान प्राप्त करने के लिए मृद्भाषी, सुविचार होना आवश्यक है। तभी व्यक्ति धर्म की परिभाषा को समझ सकता है। अभिमानी व्यक्ति को यह अभिमान हो जाता है कि उसे बड़ा ज्ञानी इस बसुंधरा पर कोई नहीं है। यही अभिमान व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। मोह, माया में फसे व्यक्ति का मन भटकता रहता है उसका मन स्थिर नहीं रहता है। मन को स्थिर रख कर दिन भर के कार्य का निर्धारण करो तथा सुबह जागने के बाद भगवान का स्मरण करो, कहो कि हे भगवन आपके कारण ही में आज का दिन देख पा रहा हूं।
पंडित ब्रहाचारी ने बताया कि अधिकांशतः देखा जाता है कि बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर माता पिता व घर से दूर हो जाते है। बच्चों के दूर हो जाने की गलती अभिभावको की होती है। बच्चों को वचपन से ही संस्कारित किया जाना चाहिए। बच्चें को जन्म से ही धर्म की शिक्षा दी जाना अति आवश्यक है। बच्चो को भी चाहिए कि वह अपने माता पिता की सेवा करे। माता पिता को बोझ ना समझा जावे। उन्होने कहा कि भयभीत रहने वाला व्यक्ति कभी भी जीत नही सकता है और ना ही मंजिल को प्राप्त कर सकता है। जीत हासिल करने के लिए जज्बा होना आवश्यक है। परोपकार करना, दीन, हीन,लाचार, अपाहिज लोगों की सेवा करना व अहंकार ना करना यही सच्ची शिक्षा और भक्ति है। ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त करना चाहिए, ज्ञान कहीं भी किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए आयु का बंधन नही होता है। कथा श्रवण करने बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहंच रहे है। पंचम दिवस की कथा का समापन के बाद भागवत भगवान की आरती कर भगतो को प्रसाद वितरण किया गया

Related Articles

Back to top button