ओबीसी महासभा की गर्जन रैली, आदिवासी जमीन प्रकरण में आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग

एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन, राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत, करोड़ों की धोखाधड़ी, अवैध कब्जों और पुलिस संरक्षण के गंभीर आरोप
रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान । ढीमरखेड़ा में मंगलवार को ओबीसी महासभा ने एक अभूतपूर्व शक्ति प्रदर्शन करते हुए विशाल रैली निकाली, जिसमें सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता, ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए । रैली तहसील मुख्यालय से निकलकर एसडीएम कार्यालय पहुंची, जहां विरोध प्रदर्शन के बीच एसडीएम के माध्यम से कलेक्टर कटनी को एक विस्तृत और गंभीर आरोपों से भरा ज्ञापन सौंपा गया । महासभा ने स्पष्ट कहा कि आदिवासियों की जमीन खुर्द-बुर्द करने, जमीन के नामांतरण में अनियमितता करने, करोड़ों की धोखाधड़ी करने और कमजोर वर्गों को छलने के आरोपी सुरेंद्र तिवारी, मनीष पांडेय और दिलीप दुबे पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज की जाए और कठोरतम कार्रवाई की जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि ढीमरखेड़ा क्षेत्र में बीते वर्षों से महर्षि महेश योगी संस्थान से जुड़े कुछ लोग राजस्व अधिकारियों की खुली मिलीभगत से संस्थान की जमीन को बेचने, सिकमी नामा करने और दूसरे रसूखदार लोगों के नाम स्थानांतरित करने का खेल चला रहे हैं। आरोप है कि पिछड़े वर्ग और आदिवासी परिवारों को भरोसे में लेकर उनसे जमीन बेचने के नाम पर करोड़ों रुपये की भारी-भरकम रकम वसूली गई, लेकिन न जमीन दी गई, न रजिस्ट्री कराई गई। इसी प्रकार की कई शिकायतें ग्रामीणों द्वारा थाना ढीमरखेड़ा और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस स्लिमनाबाद को कई बार लिखित रूप में दी गईं, लेकिन किसी भी शिकायत पर ठोस कार्रवाई न होना पुलिस प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
ज्ञापन के अनुसार ग्राम खिरवा पोंड़ी के खसरा नंबर 20/1, 20/2, 21/1 और 21/2 की जमीन रिकॉर्ड में हेरफेर कर सुरेंद्र तिवारी के नाम दर्ज कर दी गई, जिसकी जांच न सिर्फ आवश्यक है, बल्कि तत्काल सख्त कार्रवाई करना जरूरी है ताकि राजस्व विभाग में व्याप्त अनियमितताओं पर रोक लग सके। इसी तरह देवरी बिछिया निवासी श्यामलाल पिता पुकऊ कोल की खसरा नंबर 137 की भूमि पर गीता बाई द्वारा अवैध कब्जा किए जाने और अदालत में केस जीतने के बाद भी आदिवासी परिवार को जमीन न सौंपने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। इससे आदिवासी समाज में गहरा आक्रोश है कि न्यायालय के फैसला देने के बाद भी राजस्व विभाग और स्थानीय प्रशासन उसे लागू कराने में असमर्थ या अनिच्छुक दिखाई दे रहा है।
ज्ञापन में बताया गया कि मनीष पांडेय, दिलीप दुबे और मुकेश पटेल द्वारा महर्षि महेश योगी संस्थान की जमीन बेचने के नाम पर रणजीत पटेल से लगभग 32 लाख रुपये की राशि ली गई, लेकिन न रजिस्ट्री की गई और न ही पैसा वापस किया गया । स्थानीय नागरिकों द्वारा इस मामले की शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद थाना ढीमरखेड़ा की पुलिस द्वारा आरोपियों को संरक्षण देने की बात सामने आई है, जिससे पीड़ितों में गहरी नाराजगी है। महासभा ने मांग की है कि इन आरोपियों को तत्काल पुलिस हिरासत में लेकर ठोस कार्रवाई की जाए, ताकि किसानों और गरीब परिवारों को ठगने का यह सिलसिला समाप्त हो सके।
एक अन्य गंभीर मामला ढीमरखेड़ा पटवारी हल्का 36 की भूमि से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1981 से रामबिहारी पिता दादूराम के नाम दर्ज खसरा नंबर 548/1 (नया खसरा 862) की भूमि को वर्ष 2003 के बाद किसी अन्य व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया । इस प्रकरण में न्यायालय में केस लंबित है, लेकिन इस दौरान आरोप है कि भूमि को हड़पने के प्रयास बढ़ गए हैं और किसान को आए दिन पुलिस द्वारा परेशान किया जा रहा है। ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया है कि यह व्यवहार गरीब किसानों को प्रताड़ित करने वाली मानसिकता को दर्शाता है, और इसकी उच्च स्तरीय जांच बेहद जरूरी है।
ओबीसी महासभा ने ज्ञापन में क्षेत्र में हो रहे अवैध मुरुम खनन, शराब की अवैध बिक्री, तथा आदिवासियों को उनके क्षेत्रों से जबरन विस्थापित करने जैसी गतिविधियों का उल्लेख करते हुए इन्हें तत्काल रोकने की मांग की । साथ ही यह भी कहा गया कि जिन आदिवासी परिवारों के पास कृषि योग्य भूमि नहीं है, उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत भूमि पट्टे उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
महासभा ने चेतावनी दी कि यदि इन गंभीर मामलों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो पिछड़ा, दलित और आदिवासी समाज संयुक्त रूप से उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगा । संगठन ने कहा कि यदि सामाजिक सौहार्द बिगड़ा या कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई, तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस तंत्र की होगी, जिसने समय रहते पीड़ितों की आवाज नहीं सुनी और आरोपियों को संरक्षण प्रदान किया।
ओबीसी महासभा ने कहा कि उनका संघर्ष संविधान की रक्षा, न्याय की स्थापना और समाज के कमजोर तबकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जारी रहेगा, और वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता है।



