आज का पंचांग आज का पंचांग रविवार, 03 मार्च 2024

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला मुख्यालय हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 03 मार्च 2024
03 मार्च 2024 दिन रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज माता जानकी जी की जन्म जयन्ती है। आज मध्यान्ह में माता जानकी जी की जन्म जयन्ती मनायी जाएगी। विशेषयतो मिथिलायां उत्सव:। आज अष्टका श्राद्ध भी करने का विधान है। आज अष्टका श्राद्ध करने से सन्तान के प्राप्ति की गारंटी हो जाती है। अथवा कुल में सन्तति की वृद्धि न रुके इसलिए भी आज का श्राद्ध करना चाहिए। आप सभी सनातनियों को “जानकी जन्म जयन्ती” की हार्दिक शुभकामनायें।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – उत्तरायण
☀️ ऋतु – सौर बसन्त ऋतु
⛈️ मास – फाल्गुन मास
🌗 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – रविवार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि 08:45 AM तक उपरांत अष्टमी
📝 तिथि स्वामी : सप्तमी तिथि के देवता हैं चित्रभानु। सप्तमी तिथि को चित्रभानु नाम वाले भगवान सूर्यनारायण का पूजन करने से सभी प्रकार से रक्षा होती है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र अनुराधा 03:55 PM तक उपरांत ज्येष्ठा
🪐 नक्षत्र स्वामी – अनुराधा नक्षत्र का स्वामी शनि है, तथा राशि का स्वामी मंगल है।
📣 योग – हर्षण योग 05:24 PM तक, उसके बाद वज्र योग
⚡ प्रथम करण : बव – 08:44 ए एम तक
✨ द्वितीय करण : बालव – 08:53 पी एम तक कौलव
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 16:34 बजे से 17:56 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:14:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:46:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 05:05 ए एम से 05:54 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:30 ए एम से 06:44 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 12:10 पी एम से 12:56 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:30 पी एम से 03:16 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 06:20 पी एम से 06:45 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 06:22 पी एम से 07:36 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 12:08 ए एम, मार्च 04 से 12:57 ए एम, मार्च 04
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को स्वर्ण भेंट करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भानु सप्तमी/ कालाष्टमी/ मूल प्रारंभ/ माता जानकी जयन्ती/ प्रभु श्री राम की परम भक्त शबरी जयन्ती, विश्व वन्यजीव दिवस, विश्व श्रवण दिवस, बुल्गारिया मुक्ति दिवस, उपन्यासकार हरि नारायण आप्टे स्मृति दिवस, छत्रपति राजाराम महाराज पुण्य तिथि, भारतीय अभिनेता जसपाल भट्टी जन्म दिवस, भारतीय उद्योगपति जमशेदजी टाटा जन्म दिवस, भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक ग़ुलाम मुस्तफ़ा ख़ान जन्म दिवस, क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री जयन्ती, मुग़ल बादशाह औरंगजेब स्मृति दिवस
✍🏼 विशेष – सप्तमी तिथि को आँवला त्याज्य बताया गया है। सप्तमी तिथि मित्रप्रद तिथि मानी जाती है। इतना ही नहीं यह सप्तमी तिथि एक शुभ तिथि भी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि के स्वामी भगवान सूर्य देवता हैं। यह सप्तमी तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह सप्तमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस सप्तमी तिथि को सुबह सर्वप्रथम स्नान करके भगवान सूर्य को सूर्यार्घ देकर उनका पूजन करना चाहिये। उसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। इससे जीवन में सुख, समृद्धि, हर्ष, उल्लास एवं पारिवारिक सुखों कि सतत वृद्धि होती है। सप्तमी तिथि में भगवान सूर्य की पुजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
🏘️ Vastu tips 🏚️
नलों से टपकता पानी: वास्तु सिद्धांतों के अनुसार घर में टपकते पानी के नल को अशुभ माना जाता है। यह अनावश्यक व्यय का प्रतीक है और वित्तीय तनाव का कारण बन सकता है। विशेष रूप से, टपकते रसोई के नल को हतोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह आग और पानी के तत्वों को मिलाता है, जो संभावित रूप से स्वास्थ्य समस्याओं, व्यावसायिक घाटे और घर में नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है। इन प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और घर के भीतर संतुलन बहाल करने के लिए ऐसे लीक को तुरंत ठीक करने की सलाह दी जाती है।
पानी के नल की उचित दिशा:
वास्तु पानी के नल सहित घर के प्रत्येक तत्व के लिए विशिष्ट दिशा निर्धारित करता है। आदर्श रूप से, पानी के नल को अनुकूल ऊर्जा के साथ संरेखित करने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा का सामना करना चाहिए। इस दिशा में नल लगाने से न केवल घरेलू परेशानियां दूर होती हैं बल्कि समृद्धि और वित्तीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है।
♻️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
💉 आरोग्य संजीवनी 🩸
जोड़ो का दर्द और गुठनो का दर्द कैल्शियम की कमी के कारण हो सकता है कैल्शियम शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है। यह न केवल शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाता है,बल्कि शरीर के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। अक्सर हम खाना तो अच्छा खा लेते हैं, लेकिन शरीर को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल पाता। इससे शरीर में कई तरह की परेशानियां जन्म ले लेती हैं शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण कई तरह की बीमारियाँ जन्म ले लेती है |
शरीर का 99 % कैल्शियम दांतों और हड्डियों में होता है जो कंकाल की संरचना और उसके कार्यों को सपोर्ट करता है बाकि बचा हुआ 1% कैल्शियम शरीर के और कर्यो को सपोर्ट करता है आइये अब सबसे पहले जानते है की कैल्शियम की कमी से होने वाली समस्याएँ क्या है फिर हम इसके कुछ स्रोतों के बारे में जानेगे तो लेख को अंत तक पढ़ते रहें |
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
हम चाहें या न चाहें, हमारा सच्चा गुरु तो परम पिता परमेश्वर के अतिरिक्त कोई और हो ही नहीं सकता।
परंतु, सांसारिक संदर्भ में गुरु शब्द की परिभाषा न करते हुए हम यह मान कर चल रहे हैं कि गुरु शब्द में हर प्रकार के औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षक, प्रशिक्षक और सलाहकार शामिल हैं। (मेरे धर्म-पंथ में इस प्रकार के गुरुओं को पहले अधिकरण कहा जाता था, अब निमित्त कहने का चलन है।)
इस संदर्भ में पहली बात तो यह है कि इंसान को जो कुछ भी करना आता है, वह अपनी क्षमता की सीमा में वही कुछ कर सकता है। उसे जो करना नहीं आता वह काम वह चाह कर भी नहीं कर सकता।
बहुत से काम ऐसे होते हैं जो इंसान नैसर्गिक रूप से करना जानता है, जैसे सांस लेना, रोना, हँसना, खाना, पीना, उठना, बैठना, चलना आदि। इनके लिए उसे दृष्ट तौर पर कोई शिक्षा लेने की आवश्यकता नहीं होती।
इसी प्रकार कुछ काम वह प्राकृतिक रूप से अपने अनुभवों के आधार पर सीखता रहता है। जैसे बाहरी वातावरण के अनुकूल स्वयं को ढालना, तेज़ या धीरे चलना, धीरे या चिल्ला कर बोलना, अपने शरीर का सर्दी-गर्मी से बचाव करना आदि। इनके लिए भी उसे प्रायः अलग से शिक्षा लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
परंतु, बाक़ी के अधिकतर कामों के लिए उसे बाहरी स्रोतों से सीखने की आवश्यकता पड़ती ही है। ये स्रोत आवश्यक तौर पर मानव के रूप में नहीं होते। बल्कि विभिन्न जानवर और जड़ प्रकृति भी हो सकती है।
वैसे तो जिससे भी हम कुछ सीखते हैं, वे एक प्रकार से हमारे गुरु होते हैं; परंतु प्रायः जिन लोगों से हम औपचारिक रूप से शिक्षा लेते हैं, उन्हें ही गुरु कहने की प्रथा है, जबकि इंसान मानवों से औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार से शिक्षा लेता है।
अतः यद्यपि हर पल हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं; फिर भी यदि हमें औपचारिक रूप से सिखाने वाला कोई व्यक्ति नहीं हो, तो हम कह देतें हैं कि हमारा कोई गुरु नहीं है।
उपरोक्त बात में ही आपके प्रश्न का उत्तर छिपा है कि हमें मूल ज्ञान तो किसी न किसी से लेना ही पड़ता है, उसे आप गुरु की संज्ञा दें या न दें यह आपकी अपनी सोच है।
हाँ, मूल ज्ञान को हम अपने पूर्व ज्ञान और अनुभवों के आधार पर स्वयं से मनन और चिंतन करके ज़्यादा से ज़्यादा परिमार्जित कर सकते हैं। परंतु, हमारा अनुभव तो यह भी कहता है कि इस परिमार्जन की क्रिया के दौरान हमारे अंदर अनेक संशय और जिज्ञासाएँ उठती हैं और उनके समाधान के बिना परिमार्जन क्रिया रुक सी जाती है। उन संशयों और जिज्ञासाओं के समाधान के लिए भी हमें जिन ज्ञानियों से चर्चा करने की आवश्यकता पड़ती है, वे भी एक प्रकार से हमारे गुरु होते हैं। उन्हें आप गुरु का दर्जा दें या न दें यह पुनः आपकी अपनी सोच है।
अतः अंततः यही कहा जा सकता है कि —
गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मैटैं न दोष।।
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⚜️ सोमवार और शुक्रवार कि सप्तमी विशेष रूप से शुभ फलदायी नहीं मानी जाती बाकी दिनों कि सप्तमी सभी कार्यों के लिये शुभ फलदायी मानी जाती है। सप्तमी को भूलकर भी नीला वस्त्र धारण नहीं करना चाहिये तथा ताम्बे के पात्र में भोजन भी नहीं करना चाहिये। सप्तमी को फलाहार अथवा मीठा भोजन विशेष रूप से नमक के परित्याग करने से भगवान सूर्यदेव कि कृपा सदैव बनी रहती है।
शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति का जन्म सप्तमी तिथि में होता है, वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। इस तिथि में जन्म लेनेवाला जातक गुणवान और प्रतिभाशाली होता है। ये अपने मोहक व्यक्तित्व से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की योग्यता रखते हैं। इनके बच्चे भी गुणवान और योग्य होते हैं। धन धान्य के मामले में भी यह व्यक्ति काफी भाग्यशाली होते हैं। ये संतोषी स्वभाव के होते हैं और इन्हें जितना मिलता है उतने से ही संतुष्ट रहते हैं।