धार्मिक

शहर में श्रीमद् भागवत कथा का अंतिम दिन: देखि सुदामा की दीन दशा-करुणा करके करुणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छुओ नहीं नैनन के जल सों पग धोए

श्री कृष्ण-सुदामा की मित्रता पर भावविभोर हुए श्रोता
सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का समापन

रिपोर्टर : सत्येन्द्र जोशी
मंडीदीप ।
देखि सुदामा की दीन दशा-करुणा करके करुणानिधि रोए,पानी परात को हाथ छुओ नहीं नहीं, नैनन के जल सों पग धोए। अर्थात मित्रता ही एक ऐसा धर्म है, जिसमें अपने बालसखा के लिए ईश्वर को भी नंगे पैर दौड़ते हुए दरवाजे पर आना पड़ा था। यह बात शनिवार को औद्योगिक शहर मंडीदीप के दशहरा मैदान में चल रही संगीतमय भागवत कथा में कलकत्ता से पधारी कथा व्यास अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक एवं प्रेरक वक्ता जया किशोरी ने कही।शनिवार को यहां भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा के मिलन की कथा के वर्णन साथ श्रीमद्भागवत का समापन हो गया। कथा के समापन पर शनिवार को सुबह हवन अनुष्ठान किया गया।
कथा में जया किशोरी ने बताया कि विश्व में शांति का माहौल तैयार करना है तो श्रीकृष्ण.सुदामा जैसी मित्रता को महत्व देना होगा। सच्ची मित्रता में कोई गरीब या अमीर नहीं होता। मित्रता के लिए किसी भी प्रकार की दौलत की आवश्यकता नहीं होती। सुदामा दरिद्र होते हुए भी भगवान श्रीकृष्ण के मित्र थे। सुदामा विद्वान थे। वे अपनी विद्वता से धनार्जन कर सकता थे, लेकिन सुदामा ने विद्वता को कभी धन कमाने का साधन नहीं बनाया। इसलिए वो गरीब होते हुए भी अमीर थे। उन्होंने कहा कि दरिद्र सुदामा भगवान श्री कृष्ण से मिलने पहुंचे। वहां द्वारपालों द्वारा उन्हें रोक दिया गया। जिससे वह चोटिल हो गए। परंतु जैसे ही भगवान श्री कृष्ण को पता लगा कि उनके बचपन के मित्र उनसे मिलने आए हैं तो वह अपना सब राजकाज छोड़कर सुदामा से मिलने दौड़े चले आए। फिर अपने आंसुओं से सुदामा के चरण धोए। इस तरह कृष्ण सुदामा के मिलन का दृश्य देखकर पांडाल में मौजूद लोग भावुक हो गए।
इस अवसर पर भोपाल हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा, भोपाल बैरसिया विधायक विष्णु खत्री, ननि के अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान विशेष रूप से मौजूद रहे।

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