ज्योतिष

आज का पंचाग बुधवार 19 अक्टूबर 2022

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
🧾 आज का पंचांग 🧾
बुधवार 19 अक्टूबर 2022

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
☄️ दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है।बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। बुधवार के दिन गणेश जी के परिवार के सदस्यों का नाम लेने से जीवन में शुभता आती है
बुधवार के दिन गणेश जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके लड्डुओं का भोग लगाकर उनकी की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
🔮 शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022
🌐 संवत्सर नाम-राक्षस
✡️ शक संवत 1944 (शुभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत 5123
☣️ अयन- दक्षिणायन
🌦️ ऋतु – सौर शरद ऋतु
🌤️ मास – कार्तिक मास
🌘 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथिः- नवमी तिथि 14:15:00 तक तदोपरान्त दशमी तिथि
🗞️ तिथि स्वामीः- नवमी तिथि की स्वामिनी दुर्गा जी हैं तथा दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी हैं।
💫 नक्षत्रः- पुष्य 08:02:00 तक तदोपरान्त अश्लेषा नक्षत्र
🪐 नक्षत्र स्वामीः- पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं तथा अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध देव हैं।
📢 योगः- साध्य 17:31:21 तक तदोपरान्त शुभ
प्रथम करण : गर – 02:13 पी एम तक
द्वितीय करण : वणिज – 03:12 ए एम, अक्टूबर 20 तक विष्टि
🔥 गुलिक कालः- शुभ गुलिक काल 10:40:00 से 12:05:00 बजे तक
⚜️ दिशाशूलः- बुधवार को उत्तर दिशा में जाना अशुभ होता है यदि आवश्यक हो तो घर से धनियां या तेल खाकर निकलें।
🤖 राहुकालः- राहु काल 12:05:00 से 01:31:00 तक राहू काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया हैं।
🌞 सूर्योदय – प्रातः 05:53:18
🌅 सूर्यास्त – सायं 17:20:19
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:43 ए एम से 05:34 ए एम
🌆 प्रातः सन्ध्या : 05:09 ए एम से 06:24 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : कोई नहीं
✡️ विजय मुहूर्त : 02:00 पी एम से 02:45 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:36 पी एम से 06:00 पी एम
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20
🏙️ साध्य योग- आज शाम 5 बजकर 33 मिनट तक
🌸 पुष्य नक्षत्र- सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक
🚕 यात्रा शकुन-हरे फल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-मंदिर में मूंग दान करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय- अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – मातंगिनी हज़ारा – प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी जयन्ती, सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर, खगोल भौतिक शास्त्री, भोलाशंकर व्यास – ‘काशी’, सनी देओल के नाम से प्रसिद्ध अजय सिंह, हिन्दी फ़िल्म अभिनेता जयन्ती, निर्मला देशपांडे जयन्ती, मूल प्रारंभ, 8.02 तक पुष्प नक्षत्र
✍🏽 विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।
🗽 Vastu tips 🗼
झाड़ू को लेकर दीपावली पर ध्यान में रखें ये खास टिप्स: ज्योतिष, वास्तु और पुरानी मान्यताओं के अनुसार झाड़ू की वजह से भी हमारे घर में सुख शांति बढ़ती या घटती है. जिस तरह घर के कचरे में रखीं चीजें नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है, तो वहीं घर में रखी झाड़ू घर में मौजूद सभी बुरी शक्तियों को बाहर कर देती हैं. मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन झाड़ू खरीद कर इसे पूजा के बाद अगले दिन से इस्तेमाल करना चाहिए. झाड़ू का अगर सही तरह से उपयोग किया जाए तो जीवन की कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं, क्योंकि इससे जुड़ीं कई तरह की मान्यताएं भी हैं. यहां जानिए आप झाडू से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स जो आपको इस दीपावली पर खास ध्यान रखना होगा. इस टिप्स में जुड़ा है आपको किस दिन नया झाड़ू खरीदना चाहिए साथ ही किस दिन पुरानी झाड़ू घर से बाहर निकाल फेंकनी चाहिए.झाड़ू से साफ होती है घर की दरिद्रता: वास्तु में ऐसा माना जाता है कि झाड़ू घर से दरिद्रता रूपी कचरे को साफ करके खुशहाली लाती है. अगर आप झाड़ू को सही ढंग से रखते हैं तो ये आपके भाग्य को संवार सकती है. इसी के साथ अगर आप किसी शुभ दिन झाड़ू को खरीदे हैं तो देवी लक्ष्मी की कृपा आप पर हमेशा ही बनी रहती है. झाड़ू को खरीदने, घर में रखने, इसके इस्तेमाल के लिए कोई निश्चित समय होने और झाड़ू को घर से बाहर फेंकने के कुछ वास्तु नियम बनाए गए हैं।
⏹️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
सिकुड़ने से होती है समस्या दरअसल टेंपरेचर कम होने से Arteries सिकुड़ने लगती हैं और शरीर में खून की सप्लाई बनाए रखने के लिए ज़्यादा फोर्स लगती है और ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। इसके अलावा वर्कआउट की कमी, तला, भुना, नमकीन खाना, कम पानी पीना और वज़न बढ़ना भी ब्लड प्रेशर का लेवल अप कर देते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि अपना बीपी बैलेंस रखें। चक्कर आएं, सिरदर्द हो, चेस्टपेन हो, घबराहट-बेचैनी हो तो तुरंत बीपी चेक कराएं। क्योंकि ये सब हाइपरटेंशन के ही लक्षण हैं, जिनका पता होना ज़रूरी है। क्योंकि जब बीमारी का ही पता नहीं होगा तो इलाज कैसे होगा। हार्ट और ब्रेन पर मंडराता खतरा कैसे रुकेगा।
क्या एहतियात बरतें इसलिए आज हम ना सिर्फ हाई बीपी क्योर करने के उपाय स्वामी जी से जानेंगे बल्कि ये भी समझेंगे कि उसके लक्षण को पहचानकर क्या एहतियात बरतें कि बीपी की गोली ना खानी पड़े।
🥝 आरोग्य संजीवनी 🍶
ट्रामा या चोट पीठ के निचले हिस्से में चोट लगने, गिर जाने, फिसल जाने जैसी अन्य दुर्घटनाएं रीड की हड्डी को चोट पहुंचा सकती हैं जो की कमर के दर्द का मुख्य कारण बन सकती है।
स्पाइनल ट्यूमर कई स्पाइनल ट्यूमर के कोई लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जो अत्यधिक पीठ दर्द और सुनता सहित न्यूरोलॉजिकल कमी का कारण बनते हैं।
बढ़ती उम्र के साथ-साथ हड्डियों और मांसपेशियों पर भी इसका असर पड़ता है और यह धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। कमर दर्द और पीठ दर्द के लिए जिम्मेदार हैं। इसके अलावा ये परेशानी खराब लाइफस्टाइल, व्यायाम न करना, डायबिटीज का अनियंत्रित होना, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल इत्यादि स्पॉन्डिलाइटिस ये मुख्य वजहें हो सकती हैं।
रीढ़ की हड्डी के दर्द के लक्षण जब रीढ़ की हड्डी में समस्या होती है तो इसमें सुन्नपन या झुनझुनी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। जकड़न, गर्दन दर्द, पीठ दर्द, कमर में दर्द, लिखते-पढ़ते समय परेशानी, भोजन करने में दिक्कत और चलने में कठिनाई जैसे गंभीर मामलों में टॉयलेट तक जाना भी मुश्किल काम लगने लगता है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
हिन्दुओं के चार धामों में से एक ब्रद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थल है। हां प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जंगली बेरी बद्री के कार इस धाम का नाम बद्री पड़ा। यह पहले शिव और पार्वतीजी का स्थान था। इस स्थान पर शंख बजाना मना है। आखिर क्या है इसका पौराणिक और वैज्ञानिक कारण?
बद्रीनाथ में शंख क्यों नहीं बजाया जाता | मंदिर में बदरीनाथ की दाहिनी ओर कुबेर की मूर्ति भी है। उनके सामने उद्धवजी हैं तथा उत्सवमूर्ति है। उत्सवमूर्ति शीतकाल में बरफ जमने पर जोशीमठ में ले जाई जाती है। उद्धवजी के पास ही चरणपादुका है। बायीं ओर नर-नारायण की मूर्ति है। इनके समीप ही श्रीदेवी और भूदेवी है। भगवान विष्णु की प्रतिमा अपने आप धरती पर प्रकट हुई थी। बद्रीनाथ में एक मंदिर है, जिसमें बद्रीनाथ या विष्णु की वेदी है। यह 2,000 वर्ष से भी अधिक समय से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान रहा है।
पौराणिक मान्यता : पुराणों के अनुसार प्राचीनकाल में हिमालय क्षेत्र में असुरों का बड़ा आतंक था। वो इतना उत्पात मचाते थे कि ऋषि-मुनि न तो पूजा कर पाते थे और न ही ध्यान साधना। न मंदिर में और न आश्रम या गुफा में। ये असुर ऋषि मुनियों को खा जाते थे। असुरों के इस उत्पात को देखकर ऋषि अगस्त्य ने सहायता के लिए मां भगवती का आह्‍वान किया। जिसके बाद माता कुष्मांडा देवी के रूप में वह प्रकट हुईं और अपने त्रिशूल और कटार से सारे असुरों, राक्षसों और दानवों का वध कर दिया।
लेकिन आतापी और वातापी नाम के दो असुर मां कुष्मांडा के क्रोध से बचकर भागने में कामयाब हो गए। इसमें से आतापी मंदाकिनी नदी में छुप गया जबकि वातापी बद्रीनाथ धाम में जाकर शंख के अंदर घुसकर छुप गया। इसके बाद से ही बद्रीनाथ धाम में शंख बजाना वर्जित हो गया और यह परंपरा आज भी चलती आ रही है।
वैज्ञानिक कारण : वैज्ञानिकों के अनुसार विशेष आवृत्ति वाली ध्वनियां पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में पहाड़ी इलाकों में भूक्षरण भी हो सकता है। ऐसे इलाकों में इस तरह की आवाजें नहीं करना चाहिए‍ जिससे की भूस्खलन होगो। बद्रीनाथ में शंख नहीं बजाने के पीछे का कारण यह भी है कि वहां का अधिकांश क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है और शंख से निकली ध्वनि पहाड़ों से टकरा कर प्रतिध्वनि पैदा करती है। जिसकी वजह से बर्फ में दरार पड़ने व बर्फीले तूफान आने की आशंका रहती है।
●●●●●★᭄ॐ नमः श्री हरि नम: ★᭄●●●●●
⚜️ नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।
आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।
नवमी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति भाग्यशाली एवं धर्मात्मा होता है। इस तिथि का जातक धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर शास्त्रों में विद्वता हासिल करता है। ये ईश्वर में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं। धनी स्त्रियों से इनकी संगत रहती है तथा इसके पुत्र गुणवान होते हैं।
।।नारायण सभी का नित्य कल्याण करें सभी सदा खुश एवं प्रशन्न रहें।।

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