मध्य प्रदेश

अस्पतालों में लुटते रहे मरीजों के परिजन, अपनों को खोया कोई नहीं आए सामने

हीलाहवाली : डेढ़ महीने बाद भी रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन सिलेंडरों की जांच ठंडे बस्ते में


रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।


रायसेन। कोरोना संक्रमण की जिले भर में दूसरी लहर में लोग अस्पतालों, दवा दुकानों में लुटते रहे। यहां मुंह मांगी रकम भी कोरोना संक्रमण बीमारी की चपेट में आए मरीजों की जान हर कीमत में बचाने परिजनों ने जमा की।अफसोस इस बात का रहा कि बावजूद इसके रकम खर्च करने के बाद भी उन्होंने अपनों को खो दिया।पुलिस ने जब इनकी कालाबाजारी, मुनाफाखोरी रोकने इस मामले की जांच करने एसआईटी का गठन भी किया। लेकिन शिकायतों के डेढ़ महीने का समय बीत जाने के बाद मामले बजाय कार्यवाही के फाइलों में ठंडे बस्ते में कैद होकर रह गई हैं।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करने वाले भी इस मामले को लेकर गायब हो गए है। यही कारण है कि एसआईटी टीम ने डेढ़ महीने बाद भी जांच बेनतीजा निकली।
उल्लेखनीय हैं कि एसपी मोनिका शुक्ला रायसेन ने हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर जिले के प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों के साथ इलाज के नाम पर हुई दवाओं ऑक्सीजन सिलेंडरों की ब्लैक मार्केटिंग, रेमडसेवियर इंजेक्शन, जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी की जांच करने एसआईटी टीम गठित की गई थी। इधर भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि अब तक की जांच पड़ताल में जिले भर के प्राइवेट हॉस्पिटलों एवं मेडिकल स्टोरों पर दवाओं, चिकित्सा उपकरणों में जमकर की गई कालाबाजारी और मुनाफाखोरी कोई महत्वपूर्ण साक्ष्य पुलिस एस आईटी टीम को हाथ नहीं लगे हैं। पुलिस ने इस मामले से जुड़े लोगों को तलाश करना तक मुनासिब नहीं समझा गया।
पुलिस ने जारी किया था हेल्पलाइन नंबर
दवाओं की कालाबाजारी, रेमडेसिविर इंजेक्शनों, चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी करने रायसेन जिले की पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था।वजिला पुलिस अधीक्षक मोनिका शुक्ला ने लोगों से यह अपील भी की थी। यह है कि प्रायवेट अस्पतालों, दवा दुकानों में कोरोना महामारी दूसरी स्ट्रेज में मुनाफाखोरी के शिकार लोग इस हेल्पलाइन नंबर पर तुरन्त शिकायतें कर सकते थे। उस हेल्पलाइन नंबर पर लोग कॉल अथवा वाटसएप कर मैसेज कर सकते थे।पुलिस ने शिकायतकर्ताओं के नाम गोपनीय रखने का एलान कर भरोसा दिलाया था। पर किसी ने भी साहस नहीं दिखाया।
दवाईयां पकड़ी कार्यवाही सिर्फ एफआईआर तक सिमटी
जिले के मंडीदीप, बरेली, ओबेदुल्लागंज और बेगमगज बाड़ी में रेमडेसिविर इंजेक्शन, ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों और टेमूफ्ल्यू टेबलेट की कालाबाजारी पकड़ी जाने पर पुलिस थानों में संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज की गई थी। मेडिकल स्टोर के कार्टूनों में से अलग अलग कंपनियों की टेबलेट, नकली रेमडसिविर इंजेक्शन का मामला सामने आने के बाद भी गदर हंगामा मचने के बाद भी आखिर में शांत कर दिया गया है।
इस संबंध में पुलिस अधीक्षक रायसेन मोनिका शुक्ला का कहना है कि थाना प्रभारियों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट का परीक्षण किया जा रहा है।जांच रिपोर्ट सामने आ जाने के बाद संबंधितों के अनुसार उचित कार्यवाही की जाएगी।

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