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मां की गोद में हुई मासूम की मौत, विधायक निधि की दो एंबुलेंस खड़ी थीं, लेकिन पेट्रोल के पैसे नहीं थे….

सरकारी एंबुलेंस व्यस्त थी, इसलिए कॉल के तीन घंटे बाद पहुंची
रिपोर्टर : तारकेश्वर शर्मा
दतिया । प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं का ढर्रा सुधरने का नाम नही ले रहा है। प्रदेश सरकार नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने का करोड़ों अरबों खर्च कर कई दावे करे, हकीकत कुछ और नजर आती है। गरीबी और सिस्टम की लापरवाही किस कदर इंसान को बेमौत मार देती हैं… लाचार मां की गोद में मासूम लाश खुद बयां कर रही है। ये है छह महीने का जिगर, जो अपनी मां की गोद में गुरुवार दोपहर दम तोड़ चुका है। सुबह 11 बजे जब ये दतिया जिले के इंदरगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा था, तब जिंदा था, लेकिन निमोनिया बिगड़ने के कारण सीरियस था। ड्यूटी पर तैनात डॉ. जितेंद्र वर्मा ने इंजेक्शन लगाया, भाप दी। हालत गंभीर थी तो उन्होंने दतिया जिला अस्पताल रैफर कर दिया। खुद अपने फोन से एंबुलेंस 108 को कॉल किया, लेकिन वो 2 बजे तक पहुंची। अस्पताल में ही विधायक निधि से मिलीं दो एंबुलेंस खड़ी थीं, लेकिन गरीब मां रेनू जाटव के पास इन एंबुलेंस के पेट्रोल का खर्च उठाने के पैसे नहीं थे। आखिर मां की गोद में ही जिगर ने दम तोड़ दिया।
इस संबंध में ब्लाक मेडिकल ऑफिसर डॉ. अरुण शर्मा का कहना है कि हमारी एंबुलेंस ले जाने के लिए एसडीएम से परमिशन लेना पड़ती।
वही सीएमएचओ दतिया डॉ. आरबी कुरेले का कहना है कि सेंवढ़ा विधायक ने एंबुलेंस दी, पेट्रोल नहीं दिया। हम क्या करें।

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