गंगा झिरिया संतों की है तपोभूमि जहां प्रकृति और आस्था का है अद्भुत संगम
दमोह जिला मुख्यालय से 25 किमी दूरी पर
ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
जबेरा । जनपद पंचायत जबेरा के बीजाडोगरी गांव से एक किलो मीटर दूरी पर पर्वत श्रृंखलाओं के बीच व्यारमा नदी के समीप सिद्ध क्षेत्र गंगा झिरिया है आध्यात्मिक होने के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्य के पुरातन समय जानी जाती हैं यही बजह है संतों की तपस्या के लिए उपयुक्त गंगा झिरिया में आध्यात्मिक ज्ञान की बजह से अनेकों संतों ने तपस्या जिनके चमत्कारों की नित्य अनुभूति होने की बजह से यह तपोभूमि के रूप प्रसिद्ध है। जहां पर दादा ब्रम्हचारी महराज ने अनेकों बर्ष तपस्या में लीन रहें। और इसी स्थान में समधिलीन हो गए जिनकी समधि भी इस स्थान पर बनी हुई और श्रद्धालु नित्य समधि के दर्शन करते हैं। दूसरे बारे बाबा महराज जी भी मानें संत तीसरे ब्रम्हलीन संत जै जै सरकार फतेहपुर जी की साधना स्थली के रूप में गंगा झिरिया को जाना जाता है अब छोटे सरकार राम अनुग्रहदास जी के सानिध्य में यह तपोभूमि है जहां पर पहले साथ जलकुंड दो गुप्त हुए अब पांच जलकुंडों में से तीन जलकुंडों का जल कभी खाली नही होता है। बीजाडोगरी की गंगा झिरिया तपोभूमि मैं अनेकों आध्यात्मिक महत्व वाले स्थान है जिसमें सिद्ध महराज पुरातन काल संकट मोचन हनुमान प्रतिमा सहित चमत्कारिक 7 जल कुंड होने की बात पुजारी सीताराम दुवे बताते हैं जिनका कहना है कि हमारे पूर्वजों से इस स्थान का विसेष आध्यात्मिक महत्व रहा है पूर्वज बताते थे कि यहां पहले सात जलकुंड हुआ करते थे जो दो कुछ समय से लुप्त हो गए 5 जलकुंडों को देखा है जिसमें दो लुप्त तीन जलकुंडों में जल कभी भी खाली नहीं होता है।