वार्ड नं 13 में बसस्टेंड परिसर में सड़क हुईं दलदली, अंदरुनी क्षेत्र भी अछूते नहीं
रिपोर्टर : देवेन्द्र तिवारी
सांची । वैसे तो इस स्थल पर विकास की बड़ी बड़ी बाते सुनने देखने को मिल जाती है बावजूद इसके जमीनी स्तर से विकास कोसों दूर दिखाई दे रहा है बसस्टेंड परिसर की पिछली सड़क इसका जीता जागता उदाहरण सामने आ रहा है जहां सड़क दलदली हो चुकी है ।
जानकारी के अनुसार इस विश्व विख्यात पर्यटक स्थल पर शासन प्रशासन विकास की बड़ी बड़ी बाते करता दिखाई देता है परन्तु बसस्टेंड परिसर के हालात बद से बद्तर बने हुए हैं तथा नगर के विकास की कल ई खोल रहे हैं वैसे तो इस स्थल को सांची विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय माना जाता है जहां से मप्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभूराम चौधरी प्रतिनिधित्व करते हैं तथा स्थानीय निर्वाचित सरकार का स्वास्थ्य मंत्री डॉ चौधरी के करीबी माने जाने वाले पप्पू रेवाराम नेतृत्व कर रहे हैं इतना ही नहीं बसस्टेंड परिसर वार्ड नं 13 में माना जाता है इसका वार्ड पार्षद के रूप में वार्ड का नेतृत्व डा चौधरी के करीब माने जाने वाले सुनील जैन की पत्नी भाजपा नेत्री निर्मला सुनील जैन नेतृत्व कर रही है बावजूद इसके लोगों से मूलभूत सुविधाएं कोसों दूर दिखाई दे रही है तथा यह स्थली विकास के लिए तरस रही है लोगों को चलने के लिए भी दल-दल का सामना करना पड़ रहा है जबकि कहा जाता है नीचे से ऊपर तक डबल इंजन की सरकार चल रही है परन्तु यहां तो स्थानीय सरकार भी का इंजन भी जुड़ गया है तब यह तिबल इंजन की सरकार चल पडी बावजूद इसके लोगों को दल-दल से होकर गुजरना पड़ रहा है तथा जहां से पानी निकासी होती थी जो बरसों पुराना नाला था उस नाले पर पक्के निर्माण होने से पूरी तरह बंद हो चुका है जिससे सड़कों पर पानी भरने से दल-दल बन चुका है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है तथा बसस्टेंड पहुंच मार्ग पूरी तरह दल-दल से पट गया है हालांकि इस दलदल से निपटने वार्ड पार्षद ने काली गिट्टी तथा डस्ट डलवाकर दल-दल से छुटकारा पाने का प्रयास तो किया परन्तु वह नाकाफी साबित हो चुका है हालांकि इस बसस्टेंड सड़क निर्माण के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं मुख्यमंत्री के विशेष कायाकल्प अभियान अंतर्गत राशि भी आवंटित कर दी थी परन्तु स्थानीय सरकार में निर्वाचित पार्षदों की खींचतान के चलते मुख्यमंत्री की योजना भी खटाई में पड़ गई तथा इस सड़क निर्माण को लेकर काफी बवाल मचा मामला कलेक्टर तक पहुंच गया तथा कलेक्टर का निर्णय भी आ गया। बावजूद इसके कलेक्टर के निर्णय को भी पलीता लग गया । तथा लोगों को बसस्टेंड परिसर में हर जगह से दल-दल से होकर गुजरने पर मजबूर होना पड़ा इतना ही नहीं इस बसस्टेंड परिसर में पहुंचने वाले पर्यटकों से देश-विदेश में इस स्थल की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता दिखाई देने लगा परन्तु इस स्थल से तिबल इंजन की सरकार पर भी विकास को लेकर सवाल खड़े हो चले हैं ऐसा नहीं है कि यह केवल बसस्टेंड परिसर की अव्यवस्था का ही मामला हो इस स्थल के भीतरी हिस्से भी ऐसी अव्यवस्था से अछूते नहीं रहे हैं।तब आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास मात्र जबानी बनकर रह गया ।