धार्मिक

22 दिसम्बर 2023 : मोक्षदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय

Astologar Gopi Ram : आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
🔮 22 दिसम्बर 2023 : मोक्षदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और उपाय
🌨️ मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. मान्यतानुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस बार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी. इसी दिन दान करने का भी महत्व है.
📚 मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष पाने के लिए व्रत किया जाता है. इस बार 14 दिसंबर दिन मंगलवार को मोक्षदा एकादशी है. मान्यता है कि जो जातक इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और भागवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करते हैं उनके कई जन्मों के पाप कट जाते हैं. मोक्षदा एकादशी व्रत के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी बताया गया है. व्रत से एक दिन पहले ही व्रत से जुड़े नियम शुरू हो जाते हैं.
⚛️ मोक्षदा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त
आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार, मोक्षदा एकादशी इस बार 22 दिसंबर को मनाई जाएगी. एकादशी तिथि का प्रारंभ 22 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 16 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 23 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर होगा. मोक्षदा एकादशी का पारण इस बार दोपहर 1 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक होगा.
➡️ मोक्षदा एकादशी व्रत पारण समय – दोपहर 01.20 – दोपहर 03.27 (23 दिसंबर 2022)
❄️ रवि योग – 3 दिसंबर 2022, सुबह 07:04 – 4 दिसंबर 2022, सुबह 06:16
🤷🏻‍♂️ क्यों मनाई जाती है गीता जयंती ?
संसार में किसी भी धर्म-संप्रदाय के ग्रंथ मनुष्यों ने लिखे या संकलित किए हैं, लेकिन गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसका जन्म स्वयं भगवान कृष्ण के मुंह से हुआ है. यही वजह है कि सिर्फ श्रीमद्भागवत गीता ही ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. गीता के 18 अध्यायों में जीवन का सत्य, ज्ञान और गंभीर सात्विक उपदेश दिए हैं जो मनुष्य के दुखों को दूर कर सुख का आभास कराते हैं.
🍱 मोक्षदा एकादशी पूजन विधि
इस दिन भगवान विष्णु और उनके कृष्ण अवतार दोनों की पूजा की जाती है. मोक्षदा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान विष्णु और कृष्ण की स्थापना करें. लाल या पीले कपड़े में लपेट कर गीता की नई प्रति भी स्थापित अब फल, मिष्ठान्न और पंचामृत अर्पित करें और श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें. गीता का सम्पूर्ण पाठ या अध्याय 11 का पाठ करें. अंत में अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करें. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्र में प्राप्त होता है.
👉🏽 मोक्षदा एकादशी उपाय
मोक्षदा एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जरूर जलाएं. इसके साथ ही ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए तुलसी के पौधे के आसपास 11 परिक्रमा करें. एकादशी के दिन तुलसी के पौधे पर जल न चढ़ाएं क्योंकि इस दिन तुलसी माता निर्जला व्रत रखती हैं. मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय पीले रंग के गेंदे के फूल चढ़ाएं. अगर गेंदे के फूल नहीं हों तो कोई भी पीले रंग के फूल चढ़ा सकते हैं.
🗣️ मोक्षदा एकादशी कथा
प्राचीन समय में गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक दिन राजा ने स्वप्न आया कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं. अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा. उसने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न का मतलब पूछा. ब्राह्मणों ने उन्हें पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछने की सलाह दी. राजा ने ऐसा ही किया.
जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए. उन्होंने कहा कि- हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है. मोक्षदा एकादशी का व्रत और उसका फल अपने पिता को अर्पण करने उनकी मुक्ति हो सकती है. राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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