ज्योतिष

Aaj ka Panchang आज का पंचांग रविवार, 10 दिसम्बर 2023

आचार्य श्री गोपी राम (ज्योतिषाचार्य) जिला हिसार हरियाणा मो. 9812224501
✦••• जय श्री हरि •••✦
🧾 आज का पंचांग 🧾
रविवार 10 दिसम्बर 2023

10 दिसम्बर 2023 दिन रविवार को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष का त्रयोदशी तिथि है। आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत है। आज आप यदि भगवान शिव के मन्दिर में शमी पत्र के साथ विल्वपत्र भी शहद के लेपन के बाद चढ़ाते हैं, तो आपके बंद किस्मत का ताला खुल जायेगा। आप सभी सनातनियों को “प्रदोष व्रत” की हार्दिक शुभकामनायें।।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
🔮 शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन
🌐 संवत्सर नाम अनला
🔯 शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)
☸️ काली सम्वत् 5124
🕉️ संवत्सर (उत्तर) पिंगल
☣️ आयन – दक्षिणायन
☀️ ऋतु – सौर हेमंत ऋतु
⛈️ मास – मार्गशीर्ष मास
🌖 पक्ष – कृष्ण पक्ष
📆 तिथि – मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष दिन वार रविवार द्वादशी तिथि 07:13 AM तक उपरांत त्रयोदशी
✏️ तिथी स्वामी : त्रयोदशी तिथि के देवता हैं त्रयोदशी और शिव। त्रयोदशी में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है।
💫 नक्षत्र – नक्षत्र स्वाति 11:50 AM तक उपरांत विशाखा
🪐 नक्षत्र स्वामी – स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं।स्वाति नक्षत्र का संबंध विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती से भी है।
🔊 योग – अतिगण्ड योग 10:34 PM तक, उसके बाद सुकर्मा योग
प्रथम करण : तैतिल – 07:13 ए एम तक
द्वितीय करण : गर – 07:17 पी एम तक
🔥 गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 02:53 पी एम से 04:17 पी एम
🤖 राहुकाल (अशुभ) – सायं 16:34 बजे से 17:56 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।
🌞 सूर्योदयः- प्रातः 06:46:00
🌅 सूर्यास्तः- सायं 05:14:00
👸🏻 ब्रह्म मुहूर्त : 04:52 ए एम से 05:44 ए एम
🌇 प्रातः सन्ध्या : 05:18 ए एम से 06:35 ए एम
🌟 अभिजित मुहूर्त : 11:47 ए एम से 12:31 पी एम
✡️ विजय मुहूर्त : 02:00 पी एम से 02:44 पी एम
🐃 गोधूलि मुहूर्त : 05:40 पी एम से 06:06 पी एम
🏙️ सायाह्न सन्ध्या : 05:42 पी एम से 07:00 पी एम
💧 अमृत काल : 03:17 ए एम, दिसम्बर 11 से 04:54 ए एम, दिसम्बर 11
🗣️ निशिता मुहूर्त : 11:43 पी एम से 12:35 ए एम, दिसम्बर 11
🚓 यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏽 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शिव जी का संतरे के रस से अभिषेक करें।
🪵 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व एवं त्यौहार – भद्रा/प्रदोष व्रत/ दत्तात्रेय जयंती, त्रिपुरा महाविद्या तथा अन्नपूर्णा जयंती, मानवाधिकार दिवस, राष्ट्रीय लेगर दिवस , अंतर्राष्ट्रीय पशु अधिकार दिवस, नोबेल पुरस्कार दिवस, डेवी दशमलव प्रणाली दिवस, विश्व प्रसारण बाल दिवस, जीव अधिकार दिवस, शहीद वीर नारायण सिंह बलिदान दिवस, गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
✍🏼 विशेष:- त्रयोदशी तिथि को बैंगन त्याज्य होता है। अर्थात आज त्रयोदशी तिथि में भूलकर भी बैंगन की सब्जी या भर्ता नहीं खाना चाहिए। त्रयोदशी तिथि जयकारी अर्थात विजय दिलवाने वाली तिथि मानी जाती है। यह त्रयोदशी तिथि सर्वसिद्धिकारी अर्थात अनेकों क्षेत्रों में सिद्धियों को देनेवाली तिथि मानी जाती है। यह त्रयोदशी तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह त्रयोदशी तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ और कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी होती है।
🗽 Vastu tips 🗼
इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण है कि वास्तु के सिद्धांतों का पालन करके बनाये गए निर्माणों में धन यश एवं मनवांछित सफलता की अल्प प्रयासों से ही प्राप्ति हो जाती है ।
भारतीय शास्त्रों में प्रत्येक छोटे बड़े स्थान के देवता के रूप में वास्तुपुरुष को मान्यता दी गयी है । किसी भी भवन के निर्माण के समय वास्तु पुरुष की पूजा अनिवार्य मानी जाती है जिससे भवन के निवासियों को जीवन में सभी तरह के सुखों के साथ साथ धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति हो।
प्रत्येक भवन में वास्तुपुरुष का अस्तित्वं माना जाता है । वास्तुपुरुष भवन में अपने हाथ पैरों को एक विशेष स्तिथि में मोड़कर उलटे लेते रहते है । भवन में वास्तु पुरुष का सर ईशान कोण एवं उनके पैर नैत्रत्य कोण में माने जाते है।
वास्तु दोष :- अगर आपके भवन में रहने वाले लोग बार बार बीमार पड़ते है,
उस भवन में रहने वालो के बीच आये दिन कलह रहती है,
परिवार के सदस्यों में प्रेम और सहयोग की कमी रहती है,
पर्याप्त मेहनत के बावजूद भी धन की कमी रहती है,
अनावश्यक खर्चो का सामना करना पड़ता है,
बनते हुए कार्यों में अड़चने आ जाती है,
संतान मनमाना कार्य करती है,
भवन में रहने वाले तनाव में रहते है,
भवन में भय लगना है,
रात में बुरे बुरे सपने आते है,
भवन के आसपास ऊळ्ळू या चिमगादड़ नज़र आते है तो,
आपके भवन में वास्तु दोष हो सकता है इसका तुरंत उपाय करें अन्यथा शायद जीवन भर पछताने के सिवाय कुछ भी हाथ ना लगे ।
❇️ जीवनोपयोगी कुंजियां ⚜️
शराब हमारी यादाश्त पर भी बुरा प्रभाव डालता है। शराब पीने से नेत्रों की ज्योति भी कमजोर होती है।
शराब स्त्रियों के लिए तो बहुत ही ज्यादा खतरनाक है । इससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। उनकी होने वाली संतानो पर इसका बहुत ही दुषप्रभाव पड़ता है। वह कमजोर, मानसिक रूप से दुर्बल और विकलांग तक पैदा हो सकती है ।
शराब की वजह से महिलाओं में कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।
इसके अतिरिक्त शराब की वजह से तमाम बुराइयों को भी बढ़ावा मिलता है क्योंकि शराब पीने के बाद व्यक्ति को किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता है । वह सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है ।
शराब के नशे की वजह से घरेलू हिंसा, बलात्कार, मारपीट और आत्महत्या जैसे मामले बहुत ज्यादा बढ़ जाते है । जो लोग सक्षम नहीं है उनकी इस आदत की वजह से परिवार को बहुत ज्यादा आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है ।
उसके पत्नी बच्चो और परिवार के अन्य सदस्यों की बहुत सी आवश्यकतायें भी पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए आल्कोहल के इस बुरे असर से आम लोगों को बचाने की बहुत ही जरूरत है।
🍵 आरोग्य संजीवनी 🍶
सौंफ़, जीरा, शक्‍कर तीनों को बराबर लेकर पाउडर बना लें। इसे एक चम्मच एक गिलास पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
हाई ब्लड प्रैशर में पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं।
उच्च रक्त चाप में मरीजों को सुबह शाम एक टुकड़ा अदरक का काली मिर्च के साथ चूसना चाहिए ।
लाल मिर्च के सेवन से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।
बिना आते से चोकर निकाले गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा- चबाकर खानी चाहिए ।
पाँच ग्राम मेथीदाना पावडर पंद्रह दिनों तक सुबह-शाम पानी के साथ लें। इससे भी बहुत लाभ मिलता है।
प्रतिदिन नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट जरूर चलें, इससे ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है।
📖 गुरु भक्ति योग 🕯️
मैं एक सिद्ध गुरु तक कैसे पहुंच सकता हूँ?
जब मैं 8वीं कक्षा में था, तो मेरे अध्यापक ने मुझे घर से करके लाने के लिए कुछ प्रश्न दिए। मैं अगली सुबह विद्यालय गया।
अध्यापक ने पूछा, “क्या तुम सवालों के उत्तर लिख कर लाये हो?”
मैंने कहा, “मैंने मन में ही उन गणित के सवालों का समाधान कर लिया है।”
इससे मेरे अध्यापक आवेश में आ गए और कहा, “ये कोई गीता है, जिसे तुम ऐसे ही पढ़कर आ गए। महोदय यह गणित है, गीता नहीं। इसमें अध्यापक, पेन, और कॉपी की जरूरत होती है। गणित कोई गीता जैसी पुस्तक नहीं है, जिसे तुम मन में ही रट लो।”
यह शब्द मुझ पर प्रभावी हुए। मुझे यह जानने की जिज्ञासा हुई कि आखिर यह गीता कौन-सी पुस्तक है, जिसे इतनी आसानी से समझा जा सके। मैंने घर आकर पिताजी से पूछा, तो उन्होंने इसके बारे में बहुत बड़ी-बड़ी बाते बताईं।
परन्तु जब मैंने गीता पढ़नी शुरू की, तो तीन सालों में 4 अध्याय भी नहीं समझ सका। मुझे वह अध्यापक याद आ गये, जिन्होंने कहा था कि यह कोई गीता नहीं जिसे तुम इसे ऐसे ही पढ़ो।
उसी समय मेरी किसी योगी से मेरी मुलाकात हुई और समझ आया कि जब 8वीं की किताब पढ़ने के लिए मुझे अध्यापक की जरूरत है, तो गीता तो स्वयं इस ब्रह्माण्ड की रचना करने वाले विराट स्वरूप ने लिखी है—इसे मैं बिना किसी गुरु के कैसे समझ सकता हूँ।
मैं कुछ सालों तक गीता के मर्म तक न पहुँच सका। गुरु की तलाश रही। इस बीच कई बार मैं गीता को समझने का प्रयास करता रहा। एक दिन निश्चय कर लिया कि अब आखरी बार गीता पढूंगा। यदि आज न समझ आयी, तो फिर कभी नहीं।
संयोग से, उसी दिन पिताजी अपने गुरूजी से मिलकर आते हैं, और शाम को गीता की एक पुस्तक लाते हैं। वह पुस्तक मुझे मिलती है, और मैं उसी पुस्तक से गीता पढ़ने लगता हूँ। इस बार थोड़ा-थोड़ा समझ आया, पर दूसरे अध्याय के आगे फिर सब चौपट।
बीच में मैंने गीता फिर से बन्द कर दी। समय के साथ साथ जीवन से कुछ कड़वे अनुभव भी मिले; दूसरे लोगो के कार्य का कष्ट मुझे उठाना पड़ा। दिमाग में तनाव तथा नकारत्मकता चरम पर थी।
उस समय आखिरी बार मैंने गीता को समझने का प्रयास किया। इस बार जब पढ़ने लगा, तो लगा जैसे श्री कृष्ण ने हर शब्द मेरे लिए ही कहा हों। कभी-कभी तो उन सब चीज़ों को पढकर अश्रुपात होने लगता। इस बार गीता ज्यादा अच्छे तरीके से समझ आने लगी थी। इसी तरह मैंने लगभग एक महीने में गीता पूरी कर दी।
अंत में मुझे मेरे सवाल का जवाब मिला चूका था कि गुरु कैसे ढूँढें।
आज यही प्रश्न आपका है। आपको योग्य गुरु ढूंढने की आवश्यकता नहीं है; यदि आप योग्य शिष्य जैसे आचरण करेंगे, तो योग्य गुरु स्वयं आपके ढूँढ लेंगे। वे आप तक स्वयं आ जायेंगे।
हम सब योग्य गुरु ढूँढ रहे हैं, पर इससे पहले स्वयं को योग्य शिष्य तो बनाना होगा; एक शिष्य जैसा आचरण करना होगा। और जब हम योग्य शिष्य की भांति तैयार हो जाएंगे, तो उस समय गुरु खुद आ जायेंगे, और आकर आपको पार लगा देंगें।
कुछ समय तो उस गुरु से सीखना है, पर फिर वह तत्वदर्शी गुरु आपमें परमात्मा को प्रकट कर देगा। स्वयं श्री कृष्ण अंतरात्मा से उस तरह आपका मार्गदर्शन करने लगेगें, जिस तरह अर्जुन का मार्गदर्शन किया था।
अंत मैं बाद इतना ही कहना चाहूंगा कि हमें गुरु की खोज छोड़कर स्वयं में उस शिष्य की खोज आरम्भ करनी होगी, जो उस गुरु के योग्य हों—जिसकी खोज में हम भटक रहे हैं।
जो इंद्रियो सहित बुद्धि को वैज्ञानिक बना दें और अस्तित्व के दार्शनिक हों, ऐसे गुरु की मैं वंदना करता हूँ।
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
⚜️ त्रयोदशी तिथि के देवता मदन (कामदेव) हैं। शास्त्रानुसार भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के पुत्र हैं भगवान कामदेव। कामदेव प्रेम और आकर्षण के देवता माने जाते हैं। जिन पुरुषों अथवा स्त्रियों में काम जागृत नहीं होता अथवा अपने जीवन साथी के प्रति आकर्षण कम हो गया है, उन्हें आज के दिन भगवान कामदेव का उनकी पत्नी रति के साथ पूजन करके उनके मन्त्र का जप करना चाहिये। कामदेव का मन्त्र – ॐ रतिप्रियायै नम:। अथवा – ॐ कामदेवाय विद्महे रतिप्रियायै धीमहि। तन्नो अनंग: प्रचोदयात्।।
आज की त्रयोदशी तिथि में सपत्निक कामदेव की मिट्टी कि प्रतिमा बनाकर सायंकाल में पूजा करने के बाद उपरोक्त मन्त्र का जप आपका वर्षों का खोया हुआ प्रेम वापस दिला सकता है। आपके चेहरे की खोयी हुई कान्ति अथवा आपका आकर्षण आपको पुनः प्राप्त हो सकता है इस उपाय से। जो युवक-युवती अपने प्रेम विवाह को सफल बनाना चाहते हैं उन्हें इस उपाय को करना चाहिये। जिन दम्पत्तियों में सदैव झगडा होते रहता है उन्हें अवश्य आज इस उपाय को करना चाहिये।

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