मध्य प्रदेशव्यापार

बाजार में बंद हो गए एक-दो रुपए के सिक्के, चिल्लर की जगह मिल रही चॉकलेट

रिपोर्टर : प्रशांत जोशी
देवरी । अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी चिल्लर का चलन कम होता जा रहा है। एक और दो रुपए की सिक्के चलन से बाहर हो गए हैं। व्यापारी एक-दो रुपए के सिक्के नहीं ले रहे हैं। अब स्थिति ये आ गई है कि एक और दो रुपए के सिक्के बाजार में कम ही नजर आते हैं। इन सिक्कों के अघोषित रुप से बंद होने से ग्राहकों को चपत लग रही है। कोई भी खरीददारी करने पर एक-दो तीन या चार रुपए वापस नहीं किए जा रहे हैं। उसके बदले या तो सामान या फिर चॉकलेट ग्राहकों को थमाई जा रही है।
इसलिए दुकानदार सिक्के लेने से बच रहे,
एक दुकानदार ने बताया कि उनके पास सिक्का आ रहे थे।लेकिन वे जब माल मंगाते हैं तो उन्हें बड़े नोट देने पड़ते हैं। जिससे माल खरीदते हैं वह सिक्का नहीं लेता। जब बैंक में सिक्का जमा कराने जाते हैं तो बैंक भी सिक्का लेने में आनाकानी करती है। ऐसे में सिक्कों का व्यापारी क्या करे हमारे पास सिक्कों के ढेर लग जाते हैं। ऐसे में हमारी रकम जाम होने लगती है। इसलिए एक -दो रुपए के सिक्के लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा नोटबंदी के बाद बाजार में सिक्के अधिक आए जबकि पहले चिल्लर यानी खुल्ले पैसों का संकट रहता था। नोटबंदी के बाद आरबीआइ ने सिक्के बड़ी मात्रा में जारी किए जिससे बाजार में चिल्लर ज्यादा आ गई। लेकिन बैंक चिल्लर को जमा करने में आनाकानी करते है। इसलिए दुकानदारों ने सिक्के लेना ही बंद कर दिया है।
लोगों को यह हो रही परेशानी
एक व दो रुपए के सिक्कों को दुकानदारों द्वारा न लिए जाने से लोगों को बड़े नोट देने पड़ रहे हैं और ज्यादा सामग्री भी खरीदनी पड़ रही है। ज्यादा सामग्री आने पर एक तरफ उनका बजट बिगड़ रहा है वहीं सामग्री भी खराब होती है। लोगों को एक से चार रुपए तक की सामग्री लेने के लिए 5 या दस का सिक्का खर्च करना पड़ रहा है। जबकि वास्तिविक खर्च की जरुरत उतनी नहीं है। जिनके पास एक व दो रुपए के सिक्के रखे हुए हैं दुकानदारों द्वारा न लिए जाने से सिक्कों की रकम बेकार साबित हो रही है। अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसका असर देखने को मिलने लगा है। सिक्के का इस्तेमाल लोगों ने बंद कर दिया। सिक्के लेने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन लोग भी अब सिक्के लेकर नही आ रहे। न कोई ला रहा न कोई दे रहा। सिक्के न चलने से परेशानी थी। लेकिन अब लोग ऑनलाइन पेमेंट करने लगे है।
कर सकते हैं शिकायत
यदि कोई सिक्के लेने से मना करता है तो उसकी शिकायत संबंधित बैंक या पुलिस से कर सकते हैं। चलन वाले सिक्के न लेने पर संबंधित दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी के तहत कार्रवाई होगी। मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है। सिक्काकरण अधिनियम 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्का भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं। यह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) में निहित प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा प्रत्याभूत हैं। रिजर्व बैंक के निर्देश हैं कि जो भी एक रुपये का छोटा सिक्का नहीं लेगा उसके खिलाफ भारतीय करेंसी का अपमान करने का मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाएगा। बैंकों को भी रिजर्व बैंक के निर्देश हैं कि वे अपनी करेंसी चेस्ट में ये सिक्के लेने में ना-नुकुर नहीं करेंगे। जिस बैंक में ऐसा मामला आएगा उसके प्रबंधक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। दुकानदार या बैंक सिक्के लेने से मना करे तो कलक्टर, एसडीएम और तहसीलदार व पुलिस से शिकायत की जा सकती है।

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