मध्य प्रदेश

खनिज विभाग की मिलीभगत से हो रहा अवैध उत्खनन, लाखों की खनिज संपदा की हो रही चोरी

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । तहसील में खनिज संपदा की लूट खसौट धड़ल्ले से जारी है । जिम्मेदारों की मिलीभगत के चलते शासन को लाखों रुपए की रॉयल्टी का चूना लगाया जा रहा है ।
तहसील में काली रेत ( बजरी ) , कोपरा, मुरम, बोल्डर एवं काली मिट्टी का अवैध उत्खनन इन दिनों चरम सीमा पर है ।
उत्खनन करने वाले खनिज माफिया एवं ठेकेदारों को खनिज विभाग, वन विभाग एवं राजस्व विभाग का वरदहस्त प्राप्त है । अवैध कारोबार से जुड़े दो दर्जन से अधिक खनिज माफिया दिन- रात राजस्व भूमि एवं वन विभाग की भूमि से कोपरा , मुरम एवं बोल्डर का अवैध उत्खनन कर रहे हैं । बेशकीमती जमीन को खोद खोदकर खोखला कर दिया है । वही बीना नदी एवं सेमरी नदी से काली रेत ( बजरी ) भी बड़े पैमाने पर निकाली जा रही है । दोनों नदियों के दो दर्जन के करीब घाटों पर से खनिज माफिया बेरोकटोक बजरी की ढुलाई कर रहा है । प्रतिदिन 100 ट्रॉली के करीब काली रेत नगर में विभिन्न स्थानों पर चल रहे निर्माण कार्य स्थलों पर डाली जा रही है ।
जिसकी कोई रॉयल्टी नहीं होती है ।
ग्रामीण अंचल में बैराज निर्माण , सड़क निर्माण एवं अन्य निर्माण कार्यों के लिए भी संबंधित ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से जंगल से सैकड़ों ट्राली बोल्डर एवं मुरम लाकर निर्माण कार्यों में उपयोग की जा रही है ।
वन भूमि पर उत्खनन किए जाने पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी वनकर्मियों की मिलीभगत से अवैध रूप से वनभूमि से मुरम व मिट्टी एवं बोल्डर का परिवहन बेरोकटोक चल रहा है।
खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग तथा वन विभाग द्वारा खनिज माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से अवैध उत्खनन दिन रात जारी है ।
पूर्व में भी प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत निर्माण हुए तब सड़कों एवं निर्माणाधीन सड़कों के लिए अवैध रूप से खनिज संपदा एकत्रित की गई थी और आज भी जारी है ।
कहीं-कहीं तो रिजर्व फॉरेस्ट से भी बोल्डर पत्थर एवं कोपरा की ढुलाई की गई है और चल रही है।
वही खनिज माफिया द्वारा जंगल से बड़ी संख्या में बोल्डर स्टॉक करके गिट्टी बनवाई जाती है।
नगरीय क्षेत्र के निर्माण कार्य हों या फिर ग्रामीण क्षेत्र के निर्माण कार्य सभी में अवैध मुरम , बोल्डर एवं गिट्टी और मिट्टी का उपयोग इसलिए ज्यादा हो रहा है कि सरकार द्वारा तहसील में बोल्डर, कोपरा, मुरम, मिट्टी या फिर काली रेत ( बजरी ) की कोई वैध खदान घोषित नहीं है। जिसकी नीलामी होकर बाकायदा रॉयल्टी से खनिज संपदा का उत्खनन हो सके लेकिन प्रति माह लाखों रुपए की रॉयल्टी का नुकसान हो रहा है, किसको परवाह है ।

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