धार्मिकमध्य प्रदेश

पितृदेवों की प्रसन्नता से ही मिलता है सुख आनंद और वैभव : पूज्य ब्रम्हचारीजी

पितृदेवों की विदाई,परिजनों ने मांगी क्षमा
सदैव श्रृद्धा से मिलता है पितृदेवों का आशीर्वाद

रिपोर्टर : कमल याज्ञवल्क्य
बरेली, रायसेन। पितृदेवों की श्रृद्धा और सेवा के सोलह दिवसीय पितृ महापर्व का समापन शनिवार को पितृ मोक्ष अमावस्या कोश्रृद्धा और भक्ति के साथ साथ हो गया। मैया नर्मदा के पवित्र तटों सहित नदियों और गांवों के सरोवरों पर सुबह से ही सोलह दिनों से जारी तर्पण का क्रम आज पूरा हो गया। माँ नर्मदा के मंग्लेश्वर तीर्थ मांगरोल तट पर परम पूज्य तपस्वी प्रकाण्ड विद्वान संतश्री पूज्य ब्रम्हचारी जी महाराज वापोली- मांगरोल धाम वालों के सानिध्य और मार्गदर्शन में बरेली – उदयपुरा क्षेत्र के करीब चालीस गांवो के श्रृद्धालुओं ने श्रृद्धा सहित अपने अपने पितृदेवों का पुण्य स्मरण करते हुए वैदिक विधान से तर्पण और श्राद्ध किया। कई बर्षो से मांगरोल तीर्थ पर अपने पितरों के निमित्त तर्पण करने आ रहे पंडित नरसीप्रसाद शर्मा ने बताया कि मैया नर्मदा जी के पावन घाट पर विद्वान तपस्वी संतश्री ब्रम्हचारी जी महाराज के सानिध्य और मार्गदर्शन में पितरों को वैदिक विधान से तर्पण करके अदभुत अनुभूति होती है और कहीं न कहीं समापन पर यह अहसास भी हो जाता है कि पितृदेव प्रसन्न है। सोलह दिनों तक जामगढ़ के जामवंत सरोवर पर श्रीरामजानकी मंदिर के पुजारी पंडित सुजय पाराशर के मार्गदर्शन में अपने पितरों के निमित्त वैदिक विधान से तर्पण करने वाले पटेल शशिमोहन शर्मा ने कहा कि बैसे तो सदैव ही पितृदेवों के प्रति तर्पण करना चाहिए किन्तु इन सोलह दिनों में तो जरूर तर्पण करें, इससे पितृदेवों का आशीर्वाद मिलता है। जामवंत सरोवर एक तरफ श्रीरामजानकी मंदिर से लगा है तो दूसरी ओर विंध्याचल पर्वत है। इसलिए यहाँ तर्पण का बिशेष महत्व माना जाता है। यहीं पर अपने पितृदेवों को नियमित रूप से तर्पण करने वाले मनीष याज्ञवल्क्य ने कहा कि सोलह दिनों के इस पितृ महापर्व का अपना महत्व है। पितृदेवों की कृपा पाने के लिए वैदिक विधान से तर्पण श्राद्ध आदि कर्म को अपना धर्म मानकर पूरी श्रृद्धा सहित सहित करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पितृदेवों की कृपा जरूर मिलती है। कर्मकाण्ड भास्कर पूज्य गुरूजी चित्रकूट वाले भी इसी जामवंत सरोवर पर अपने पितृदेवों को तर्पण और श्राद्ध करते रहे हैं।
चाहिए पितृदेवों का आशीष तो सदैव रखिए श्रृद्धा: ब्रम्हचारीजी
ज्ञान,भक्ति और वैराग्य की त्रिवेणी परम तपस्वी पूज्य गुरूजी वापोली वालों के कृपापात्र तपस्वी विद्वान संतश्री ब्रम्हचारी जी महाराज ने शनिवार को नर्मदा मैया के मांगरोल तीर्थ पर पितृ मोक्ष अमावस्या के महापर्व पर करीब चालीस गांवों से अपने पितृदेवों को तर्पण करने के साथ ही विदाई देने आए श्रद्धालुओं को तर्पण और श्राद्ध का वैदिक महत्व बताते हुए काफी सरल शब्दों में बताया कि पितृदेवों की प्रसन्नता से सुख आनंद और वैभव मिलता है। पूज्य ब्रम्हचारी जी महाराज ने इसके लिए काफी सरल उपाय यह बताया कि पितरों की कृपा तो केवल सच्ची श्रृद्धा से ही मिल जाती है। इसमें कुछ खर्च भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि परिवार में सुख शांति चाहिए तो सदैव पितृदेवों के प्रति बिना दिखावे की सच्ची श्रृद्धा रखें।

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