मध्य प्रदेश

सेन महाराज की जयंती परंपरागत रूप से मनाई गई

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । सेन समाज की ओर से रविवार को शहर में सेन महाराज की जयंती धूमधाम के साथ मनाई गई। इस दौरान शोभायात्रा निकाली गई। यात्रा में श्रद्धालुओं ने सेन महाराज के जयकारों से संपूर्ण वातावरण को धर्ममय कर दिया। सर्व प्रथम शहर के शिवालय मंदिर में विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई।
इसके बाद शोभायात्रा रवाना हुई जो नगर के पुराना बस स्टैंड नया बस स्टैंड दशहरा मैदान होती हुई त्रिवेणी मंदिर पहुंची जहां पर मंचासीन कार्यक्रम आयोजित कर भोजन एवं भंडारा संपन्न कराया गया।
शोभा यात्रा में युवा हाथों में धर्म ध्वजा लिए हुए सेन महाराज के जयकारे लगाते व ढोलकों की थाप पर लेझमें बजाते और अखाड़े के विभिन्न कर्तव्य दिखाते हुए चल रहे थे।
शोभा यात्रा का विधायक निवास पर विधायक देवेंद्र पटेल, पंचमुखी हनुमान मंदिर पर हिंदू उत्सव समिति अध्यक्ष संजय सोलंकी, ब्लॉक के गेट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापभानु शर्मा, यादव महासभा की ओर से बबलू यादव, भाजपा कार्यालय पर दुर्गेश प्रताप सिंह राजपूत आदि ने कार्यकर्ताओं के साथ रस शोभा यात्रा का अभूतपूर्व स्वागत किया।
त्रिवेणी मंदिर पर मंच सीन कार्यक्रम में अतिथियों रायसेन से पधारे जमुना सेन, सागर से राजेश्वर सेन, रामेश्वर प्रसाद शर्मा, दुर्गेश प्रतापसिंह राजपूत, नपा अध्यक्ष संदीप लोधी, पूर्व अध्यक्ष मलखान सिंह जाट, कमल साहू, डॉ. जितेंद्र तोमर, आदि का फूल मालाओं से स्वागत किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं ने अपने संबोधन में बताया कि
भक्तमाल के सुप्रसिद्ध टीकाकार प्रियदास के अनुसार संत शिरोमणि सेनजी महाराज का जन्म विक्रम संवत 1557 में हुआ था।
इनके पिता का नाम श्रीचंद्र एवं माता का नाम सुशीला व कांता था। कहीं कहीं पिता का नाम चन्दन्यायी भी बताया जाता है। बचपन में इनका नाम नंदा रखा गया। इनका विवाह विजयनगर मध्यप्रदेश के राज वैद्य शिवैया की सुपुत्री गजरा देवी के साथ हुआ था। इनके पुत्र का नाम भद्रसेन था। वह क्षेत्र जहां सेनजी महाराज रहते थे अब सेनपुरा के नाम से जाना जाता है। यह स्थान बघेलखंड के बांधवगढ़ के अंतर्गत आता है। बिलासपुर-कटनी रेल लाइन पर जिला उमरिया से 32 किलोमीटर की दूरी पर बांधवगढ़ स्थित है। तत्कालीन रीवा नरेश वीरसिंह जूदेव के राज्य काल में बांधवगढ़ का नाम पड़ा था। आज कल इसे रीवा के नाम से जाना जाता है।
सेनजी महाराज ने स्वामी रामानंदजी से दीक्षा प्राप्त की। दीक्षित होकर साधु-संतों की सेवा व सत्संग में प्रवचन के माध्यम से वे भक्ति ज्ञान, वैराग्य संत सेवा की शिक्षा का प्रचार प्रसार करते थे। सेन महाराज विष्णु जी के अनन्य उपासक थे। संत सेनजी महाराज बचपन से ही विनम्र, दयालु और ईश्वर में दृढ़ विश्वास रखते थे। सेन महाराज ने गृहस्थ जीवन के साथ-साथ भक्ति के मार्ग पर चलकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप जनमानस को शिक्षा और उपदेश के माध्यम से एकरूपता में पिरोया
भक्तों ने उपस्थित लोगों से सेन महाराज द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने का आवाहन किया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से सेन समाज अध्यक्ष राजा बाबू सेन, नव युवक अध्यक्ष विक्की सेन, वरिष्ठ रामगोपाल सराठे, वृंदावन सेन, राकेश श्रीवास, रघुवीर प्रसाद सेन, राजू सराठे, पत्रकार अनिल सराठे, संजय सेन, प्रभु दयाल सेन, आनंद सेन, खुमान चंद सेन, माधव सेन सहित अनेक समाज बंधु व्यवस्थाएं करते नजर आए।

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