मध्य प्रदेश

कमीशन को लेकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहे सहकारी उचित मूल्य की दुकान संचालक

नागरिक सहकारी आपूर्ति निगम के अफसरों की मनमानी घोर लापरवाही उजागर
5 साल से राशन दुकान संचालकों को है कमीशन का इंतजार
रिपोर्टर : शिवलाल यादव, रायसेन।
रायसेन।
शासकीय उचित मूल्य की दुकान संचालकों की एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच सालों से कमीशन की राशि नागरिक खाद्य आपूर्ति निगम रायसेन के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता, मनमानी, हठधर्मिता की वजह से अटकी हुई है। जिससे राशन दुकान संचालक विभागीय अधिकारियों की मनमाने तरीके से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। परेशान राशन दुकान डीलर पहले ही कमीशन की राशि दिलाने के लिए कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, फ़ूड अधिकारी ज्योति जैन, नॉन के अधिकारियों को ज्ञापन देकर अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं। सहकारिता एवं लोक प्रबन्धन मंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को ज्ञापन दे चुके हैं।लेकिन बावजूद इसके उनकी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। इस वजह से शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के संचालकों के सब्र धैर्य का बांध कभी भी फूट सकता है। इसे सुधारने में जिला प्रशासन के अफसरों को काफी मेहनत मशक्कत करनी पड़ सकती है।
ऐसे फंसी कमीशन की करोड़ों रुपये की रकम, राशन दुकान संचालक पड़े संकट में…..
रायसेन जिले के शासकीय उचित मूल्य की दुकानदारों को पिछले लगातार 5 सालों से खाद्यान्न वितरण के एवज में उनकी करोड़ों रुपये की रकम शासन ने पिछले 5 सालों का समय बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया है । जिससे राशन दुकानदारों के बीच नॉन और प्रदेश सरकार की हठधर्मिता को लेकर उनमें लगातार आक्रोश पनप रहा है। राशन दुकान संचालक राजू बैरागी, ज्योति चन्द, पवन नामदेव, संतोष साहू नरवर, मोहन राय, थानसिंह धाकड़, मुईन उल्लाह खान, अलीम खान पार्ट्स, कुद्दुस खान आदि का कहना है कि वर्ष 2016 से अभी तक 5 साल गुजर गए हैं। किंतु उनको कमीशन की रकम का एक धेला भी उन्हें नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में उनको दुकानों का किराया तुलावटियों का वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है।कई दफे अधिकारियों को ज्ञापन के जरिए उनकी समस्या से अवगत कराया जा चुका है। फिर भी जिम्मेदार आला अफसरों की कुंभकर्णी नींद नहीं खुली है। कुछ दुकानें जिले में बड़ी बड़ी हैं उनका बकायदा कमीशन की रकम हर महीने भुगतान की जा रही है। छोटे राशन दुकानदारों को कमीशन राशि के लिए मुंह ताकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। विभाग में हालांकि यह कमीशन की राशि आए हुए पूरे 2 साल हो चुके हैं। लेकिन नागरिक खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आला अधिकारियों की कार्य प्रणाली संदेह के दायरे में है।राशन दुकान संचालकों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नॉन के आला अधिकारी इसमें भी खुद का कमीशन मांग रहे हैं। हम्मालों को भी उनकी पारिश्रमिक राशि अटका रखी है।
गुमराह कर रहे नॉन के अधिकारी, बाबू
नॉन के महाप्रबंधक से लेकर बाबू कमीशन राशि राशन दुकानदारों को गुमराह कर ने से बाज नहीं आते। वर्ष 2016 से 2020 और 2021 तक प्रधानमंत्री खाद्यन्न चावल फ्री वितरित कर चुके हैं। उनकी कमीशन राशि अप्रेल मई की 8400 रुपये से ज्यादा अटकी हुई है। इसके अलावा वर्ष 2021, 2020 की कमीशन की रकम फंसी हुई है।
इस संबंध में विवेक कुमार रंगारे महाप्रबंधक नॉन रायसेन का कहना है कि हमने शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकानदारों की कमीशन की अटकी राशि को केंद्रीय सहकारी बैंक महाप्रबन्धक एमयू सिद्दीकी के पास भेज दी है। नियम अनुसार बैंक सीईओ ही इन राशन दुकान दारों के खातों में डालेंगे। इसमें हमारा कोई कसूर नहीं है। हमारे ऊपर जो राशन दुकान संचालक मोटा कमीशन मांगने के जो आरोप लगा रहे हैं वे सरासर गलत और बेबुनियाद हैं।

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