पंचायत चुनाव निरस्ती का साइड इफेक्ट:प्रिंटिंग प्रेस पर पोस्टर बैनर ताे दर्जी के यहां कुर्ते सिले रखे,
प्रत्याशी बोले – पेमेंट पूरा किया, अब किस मुंह से लेने जाएं
रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन।मध्यप्रदेश सहित रायसेन जिले में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव निरस्ती का साइड इफेक्ट अब सामने आने लगा है। लंबे इंतजार के बाद पंचायत चुनाव की घाेषणा हुई तो कई लोगों ने नामांकन दाखिल कर दिया। सांची जनपद पंचायत क्षेत्र के पहले चरण की घोषणा 6 जनवरी 2022 को प्रशासन ने की थी।इसीलिए प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह बंटे तो बैनर-पोस्टर भी छपने प्रेस में दे दिए। दर्जी के नया कुर्ता भी सिलने डाल दिया। चुनाव के लिए विजय प्रचार रथ भी गांवों कस्बों में घूमने लगे थे।पंचायत चुनाव के लिए प्रचार सामग्री में लाखों रुपए खर्च करने के बाद जैसा ही चुनाव निरस्त होने की सूचना मिली तो प्रत्याशियों ने सिर पकड़ लिए। कई ने कहा – जो जमा पूंजी दूसरे काम के लिए रखी थी, वह पूंजी चुनाव में खर्च हो गई। अब कुर्ता, प्रचार सामग्री किस मुंह से लेने जाएं। उन्हें हमने रुपए दे दिए हैं, लेकिन अब बैनर-पोस्टर हमारे किसी काम के नहीं हैं।
चुनाव निरस्त होने पर उम्मीदवारों को लगा करारा झटका…..
रायसेन जिले के सांची जनपद पंचायत
के वार्ड – 3 मेहगांव पंचायत से जिला पंचायत सदस्य के लिए पूजा राकेश चौकसे और मेहगांव राजेन्द्र सिंह बघेल ,बीना सुनील शर्मा सिलपुरी चुनावी मैदान में पूरे जोर-शोर से उतरी थीं। चुनाव निरस्त होने के बाद वे काफी निराश हैं। राकेश चौकसे,राजेन्द्र बघेल और सुनील बीना शर्मा ने बताया – सांची ब्लॉक के मेहगांव सामान्य महिला सीट से पत्नी पूजा चौकसे ने फॉर्म भरा था।इसके अलावा बीना शर्मा राजेन्द्र सिंह बघेल ने भी फार्म जमा कर प्रचार शुरू कर दिया था। राकेश पूजा चौकसे ने बताया कि नया घर बनवा रहे हैं। उसके लिए ने कुछ राशि जमा करके रखी थी। पत्नी चुनावी मैदान में उतरीं तो उन्होंने उस राशि का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए कर लिया। उन्होंने पोस्टर, बैनर, प्रचार रथ, डीजे पंपप्लेट आदि पर लाखों रुपए खर्च कर दिए।
घर के सामने रखा प्रचार रथ हटवाया…..
युवा नेता समाजसेवी राकेश चौकसे का कहना है कि अभी शुरुआती दौर में ही ढाई से तीन खर्च रुपए खर्च हो गए। उनके पोस्टर, बैनर अभी भी प्रिंटिंग प्रेस पर ही रखे हैं। पेमेंट पूरा होने के बाद भी अब वह मेरे किस काम के, मैं किस मुंह से उन पोस्टर बैनर को वहां उठाने जाऊं। गांव में लोगों के यहां वोट मांगने भी पहुंचे। चुनाव निरस्ती के बाद बहुत निराश हैं। घर के सामने खड़ा प्रचार रथ भी हमने हटवा दिया है।