धार्मिकमध्य प्रदेश

अंधेली बाग मैदान में 24 कुण्डीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ का हुआ भूमि पूजन

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान l विराट 24 कुण्डीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ का भूमि पूजन क्षेत्रीय विधायक विजय राघवेंद्र सिंह, सरपंच अटल ब्यौहार, मास्टर शिवकुमार चौरसिया द्वारा किया गया । प्रथम दिवस शनिवार 14 जनवरी 2023 सदज्ञान, ज्ञान गंगा सदग्रंथ शोभायात्रा परम पूज्य गुरूदेव का जीवन दर्शन, संगीतमय सत्संग प्रवचन कथा। 15 जनवरी 2023 यज्ञ का ज्ञान विज्ञान। देवपूजन एवं गायत्री महायज्ञ, नारियों जागो स्वयं को पहचानो। तृतीय दिवस सोमवार 16 जनवरी 2023 संस्कार परम्परा आओ गढे संस्कारवान पीढी एवं कन्या किशोर कौशल। चतुर्थ दिवस मंगलवार 17 जनवरी 2023 शांति कुंज हरिद्वार से पधारे ऋषि पुत्रो की विदाई। इस यज्ञ का उद्देश्य हैं संसार के समस्त धर्मों का गुणगान किया जावे या उनका गुणानुवाद या धर्म-मंथन किया जावे तो पायेंगे कि हरेक धर्म का सिरहाना शांति जैसे अमूल्य तत्व पर रखा गया है। कहें धर्म के कलेवर में शांति उसका मस्तिष्क है। हर धर्म में शांति का चित्रण है और यहाँ-वहाँ नहीं है सर्वोपरि है वह धर्म का प्राण भी किंतु शांति की बात का शुभारंभ अहिंसा के पाठ से होता है। वर्तमान पाँच प्रतिशत के सोच और व्यवहार से शांति का प्रकाश जुगजुगाता रहेगा शेष तो अंधकार फैलाकर ही मरेंगे। अंधकार माने अशांति, माने पाप, माने वही हिंसा सहित सातों व्यसन।मगर हमें घबराना नहीं चाहिए न हतोत्साह होना चाहिए क्योंकि वे इने गिने पुण्यात्मा सदा मानवता कि रक्षा करते रहेंगे। उनकी शक्ति शेष 95 प्रतिशत से अधिक आंकी जावेगी।संसार के नब्बे प्रतिशत लोग शांति चाहते हैं, लेकिन फिर भी अशांति क्यों है।इसका कारण यह है की दुनिया में ऐसे लोग बहुत थोड़े हैं, जो शांति के लिए कुछ त्याग करना चाहते हैं। शांति के लिए इच्छा और शांति के लिए अपने स्वार्थों का त्याग दो अलग चीजें हैं।किसी भी परिवार, देश या समाज में शांति बनाये रखने के लिए सिर्फ अपने हित में सोचने के स्थान पर व्यापक लोकहित में सोचें। लोगों में श्रेष्ठ नागरिकता की भावना विद्यमान हो। अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करने एवं किसी अन्य के अधिकारों का हनन करने से असंतोष पैदा होता है एवं बढ़ता है जो अशांति का कारण ही बनता है। डर, संदेह, संशय शांति के सबसे बड़े दुश्मन हैं। इनके कारण ही लोग अफवाहों पर विश्वास कर शांति खो देते हैं अर्थात् शांति के लिए दृढ़ता, संतोष, धैर्य विश्वास के साथ समझ अत्यावश्यक है।स्थितियों को स्वयं के विवेक से समझना, चुगलियों एवं अफवाहों पर ध्यान नहीं देना, व्यक्ति, परिवार, समाज व राष्ट्र की शांति के लिए आवश्यक है।मनुष्य का मन ऐसा है की दु:ख में ही भगवान को याद करता है। सुख में भगवान को भूल जाता है। यदि मनुष्य सुख में भगवान को न भूले तो वह महासुख की दशा में पहुँच जाता है। जिस प्रकार दुख में भगवान को याद करने से दुख दूर हो जाता है, उसी प्रकार सुख में भगवान को याद करने से सुख भी नहीं रहता अर्थात मनुष्य को महासुख अर्थात आनंद की प्राप्ति हो जाती है। सुख के विपरीत दुख होता है पर आनंद के विपरीत कुछ नहीं होता। सामन्यात: मनुष्य दुख से सुख में और सुख से दुख में पदार्पण करता है। सुख में भगवान को भूल जाने के कारण महासुख की ओर उसकी यात्रा आरम्भ ही नहीं होती। यदि वह यह बात गांठ बांध ले कि सुख में पहुँचना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है तो वह सुख से आगे की महासुख की यात्रा पर निकल सकता है। सुख को परिभाषित करते हुए भगवान बुद्ध कहते हैं कि जब हम चिंताग्रस्त लोगों के बीच चिंतामुक्त होकर रहते हैं तो वही सुख है। सुख एक प्रकार की मानसिक स्थिति है। इसका भौतिक सम्पन्नता से कोई लेना-देना नहीं है।सुख वाली मानसिक स्थिति में पहुँचने के लिए मनुष्य को अच्छाई का मार्ग अपनाना चाहिए। बुराई के मार्ग पर चलकर कोई कभी सुख की मासिक स्थिति में नहीं पहुँच सकता। सुखाकांक्षी को परामर्श देते हुए महान चिंतक ओशो कहते हैं कि संसार से शांति मांगो, सुख नहीं। शांति मिलने पर शांति की छाया की तरह सुख स्वयमेव चला आता है। ओशो की ही भांति अन्य अनेक दार्शनिकों का भी मत है कि सुख को शांति से अलग नहीं किया जा सकता। एक दार्शनिक ने उदाहरण दिया है कि सुख और शांति एक तितली की भांति है। यदि आप तितली को दौड़कर पकड़ना चाहेंगे तो वह आप से दूर भागेगी। पर यदि आप उसके पास शांत होकर बैठ जाए तो वह तितली आप के शरीर पर आकर बैठ जायेगी। यदि हम किसी से पूछे कि आपको क्या चाहिए तो वह यही कहेगा कि उसे सदैव बनी रहने वाली सुख-शांति चाहिए ऐसी सुख-शांति अंतःकरण की वस्तु है, जो आत्मज्ञान से प्राप्त होती है यह अनुभव तब तक नहीं हो सकता जब तक जीवन से दुःख, निराशा, अवसाद, अकेलापन, ईर्ष्या और अहंकार कि विदाई ना हो जाए। सारांश यह है कि निष्कपटता ही सुख-शांति और आनंद की सहचरी है। इस दौरान विधायक विजय राघवेंद्र सिंह, सरपंच अटल ब्यौहार, मास्टर शिवकुमार चौरसिया, सुखदेव चौरसिया, धर्मदास चौरसिया, कालूराम चौरसिया, ज्ञानचंद चौरसिया, दम्मी चौरसिया, सत्तू सोनी, पत्रकार सतीश चौरसिया उपास्थित रहे l

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