अब सेटेलाइट के माध्यम से नरवाई जलाने की निगरानी

रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन । किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने किसानों से नरवाई नहीं जलाने की अपील निरन्तर की जा रही है। इसके बाद भी किसानों द्वारा नरवाई जलाएं जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है। प्रदेश में अब नरवाई जलाने की घटनाओं की निगरानी सेटेलाइट के माध्यम से सीधे की जा रही है। जिसकी जानकारी भी ई-मेल तथा व्हाटसएप के माध्यम से जिलों को प्राप्त हो रही है।
कृषक नरवाई में आग लगाते हैं तो उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। मप्र शासन पर्यावरण विभाग के नोटिफिकेशन तथा से पर्यावरण सुरक्षा के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अंतर्गत फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है।
जिला कृषि विभाग ने बताया कि जिले में फसलों की कटाई में कम्बाईन हार्वेस्टर का चलन व्यापक रूप से होता है। कम्बाईन हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को देखते हुए, रबी की कटाई में कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम को लगाने की अनिवार्यता सुनिश्चित की गई है।
यदि कृषक स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं करते है, तो उन्हें स्ट्रारीपर का उपयोग कर के फसल अवशेषों से भूसा प्राप्त करना अनिवार्य है। इसके उपरांत भी यदि कृषक नरवाई में आग लगाते हैं तो उनके विरूद्ध पर्यावरण विभाग द्वारा नोटिफिकेशन अनुसार नरवाई में आग लगाने की घटनाओं को प्रतिबंधित करके दण्ड अधिरोपित करने का प्रावधान है।
पर्यावरण प्रदूषण हो रहा…
नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषण, जनहानि, वन सम्पदा व अन्य प्रकार की हानियां होती है। साथ ही साथ भूमि में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म जीवांणु, कैंचुआ आदि नष्ट हो जाते है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। कृषक भाईयों से अपील की जाती है कि खेतों में नरवाई न जलाकर कर उसको रोटावेटर या प्लाऊ के माध्यम जुताई कर खेतो में मिलाए।