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आदमखोर की मौत पर विलाप क्यों ?

दिव्य चिंतन : हरीश मिश्र, लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार ) स्वरदूत क्रमांक -९५८४८१५७८१
अपराधी से माननीय बने ! आतंक के पर्याय अतीक अहमद के अंत का समाचार प्रसारित होते ही उत्तर प्रदेश में माफिया सरगना चिन्तित हैं और जनसमूह सुख की अनुभूति कर रहा है। पत्रकार के रुप में आए तीनों अपराधियों ने गंगा किनारे की मुलायम मिट्टी के कुख्यात अपराधी, जो हाथी पर सवार होकर माया ठगने का सिद्धहस्त फकीर बना, उसके नरमुण्ड पर प्रहार किया ।
चैनलों पर प्रमुख समाचार आने लगे। अति”का” अंत हो गया ! आतंक का मर्दन हो गया! पीड़ित पक्षकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की जय-जय कार करने लगे। कुछ दिनों पहले लोकतंत्र के मंदिर में उन्होंने ललकारा था ” माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे…” शायद सरस्वती कंठ पर बैठ गई । माफिया मिट्टी में मिल गया।
हत्या हमेशा निंदनीय होती है अतीक अहमद की जिस तरीके से हत्या हुई, निंदनीय है। लेकिन कभी-कभी सभ्य समाज भी किसी अपराधी से माननीय बने माया”वी” औलाद की मौत पर सुख की अनुभूति करता है। इसे बरसों से प्रतिशोध, अन्याय, उत्पीड़न की भावना से ग्रस्त समाज की नकारात्मक सुख की अनुभूति माना जा सकता है।
अपराधी को कठोरतम दंड मिले ऐसी अपेक्षा पीड़ित पक्ष सरकार, पुलिस और न्यायालय से रखता है। विशेष कर उत्तर प्रदेश में सामाजिक, राजनैतिक
स्वच्छता अभियान की जरूरत भी है।
प्रयागराज गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है। दुर्भाग्य से समाजवादी गंदे नाले का प्रवाह इतने पास हो गया कि पता ही नहीं चला कब नाले की गंदगी, गंगा, यमुना और सरस्वती में मिल गई। नदी और नाले का यह संगम सत्ता के महत्वाकांक्षी धृतराष्ट्र नेताजी के संरक्षण में हुआ। कांग्रेस, समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी से इस संगम के तटों को प्रदूषण मुक्त करने की उम्मीद भी नहीं थी और ना है‌‌। क्योंकि नाले का उद्गम इन्हीं दलों की कोख से हुआ है ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गंदे नाले का प्रवाह रोकने, प्रदूषण मुक्त करने की कसम खाई है‌। तो यह अभिनंदनीय है।
जब अन्याय-अत्याचार की पराकाष्ठा हो जाती है , तब जगत नियंता जगत को नियंत्रित करने के लिए माध्यम खोज लेता है।जब आदमखोर को पुलिस और न्यायालय कठोरतम दंड नहीं दे पाए, तब जगत नियंता, पालनहार ने अतीक को दंड देने के लिए तीन अपराधिक प्रवृत्ति के अपराधियों को भेज दिया । अब जाकर सभ्य समाज ने चैन की सांस ली है। सवाल यह है आदमखोर को जंगल से लाकर बस्तियों में किस ने छोड़ा ? सजा उन्हें भी मिलना चाहिए जो सत्ता में बैठकर आदमखोर के लिए बिरयानी की व्यवस्था करते थे।
नेताओं को लोकतंत्र में ज्ञानी ध्यानी, अनुभवी, अनुरागी माना जाता है । लेकिन ऐसे नेता ही अपराधियों को संरक्षण देते हैं। सत्ता में बने रहने के लिए क्या कुछ नहीं करते । उनकी महत्वाकांक्षा उन्हें कहां ले जाए और वह सत्ता प्राप्ति के लिए कैसे कैसे षड्यंत्र करते हैं इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
जब समाजवाद के संरक्षण से संक्रमण के कारण शरीर से मवाद निकल रहा हो, हाथी पागल हो जाए तो उसका उपचार करना आवश्यक हो जाता है।सपा, बसपा, कांग्रेस , ए आई एम आई एम के प्रवक्ता और नेता संविधान की दुहाई देने लगे‌। अपराधियों को संरक्षण देने वाले टी वी चैनलों पर अट्टहास करने लगे। योगी जी के शासन में जिस प्रकार की कार्यवाही हुई हैं, वह कठोर होते भी अनिवार्य हैं।

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