एमपी में भूमाफियाओं के संरक्षण में राजस्व विभाग तो सुना था लेकिन राजस्व विभाग भी भूमाफिया निकला

शासकीय पट्टे की भूमि को कागजों में हेराफेरी कर फर्जी नाम चढ़ाया और उसे भूस्वामी बना कर जमीन का कर दिया नामांतरण।
रिपोर्टर : विनोद साहू
बाड़ी । एमपी अजब हैं गजब का श्लोगन वैसे तो पर्यटन विभाग के लिए बनाया गया था जिसे मध्यप्रदेश के अधिकारियों ने आत्मसात कर लिया नतीजतन ऐसे ऐसे कारनामे अधिकारियों के सामने आने लगे जिन्हें देखकर सुनकर ही मन से बरबस ही निकल जाता हैं कि वाकई एमपी अजब है गजब हैं । ताजा मामला रायसेन जिले की बाड़ी तहसील का सामने आया है । सत्तर की दशक में मध्यप्रदेश शासन ने हरिजन आदिवासियों के लिए जमीनें शासकीय पट्टे के तहत उनकी जीविकोपार्जन के लिए दी ..ऐसी ही एक जमीन ग्राम चैनपुर के गयाप्रसाद अहिरवार को मिली जिसका खसरा क्र 41 और रकवा 4.5850 हेक्टेयर लगभग 15 एकड़ भूमि दी , पट्टे धारी गयाप्रसाद अहिरवार की मृत्यु के बाद पटवारी तहसीलदार ने उस भूमि का फौती नामांतरण न करते हैं किसी दूसरे व्यक्ति रामप्रसाद के नाम पर आ गई और गया प्रसाद अहिरवार के दोनों पुत्रों को इस जमीन से कागजों में हेराफेरी कर गायब कर दिया और इस पट्टे की भूमि को भूस्वामी में बदल दिया गया । मामला तब सामने जब गयाप्रसाद अहिरवार के पुत्र के पास सोसाइटी से करीब सबा लाख रुपए की बसूली का नोटिस मिला ।
जनसुनवाई में दिया कलेक्टर को आवेदन।
परिजन अपने परिवार के सार पूरे दस्तावेजों के साथ जनसुनवाई समय में कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और नियमानुसार पिता के नाम की भूमि को दोनों पुत्रों के नाम पर करने का आवेदन दिया । अब देखना यह कि अभी तक भूमाफिया से ही जनता ही परेशान रहती लेकिन अब तो राजस्व अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल हो गये .. यह चुनावी साल हैं ऐसे में मध्यप्रदेश के सह्रदय और गरीबों के हमदर्द मुख्यमंत्री क्या गरीब परिवार को न्याय दिला पायेगें ..?
जब इस मामलें को जानकारविदों से सांझा किया तो उन्होंने इसे पूर्णतः फर्जी बताते हुए कहा कि शासकीय भूमि का नामांतरण होना संभव ही नहीं हो सकता ।
इस संबंध में मुकेश सिंह, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बरेली का कहना है कि में पूरा प्रकरण देखने के बाद ही कुछ बता पाऊंगा मेरे पास कल आवेदन भी आ गया।

