मध्य प्रदेश

दबंगों द्वारा हरे – भरे वृक्षों की कटाई कर जमीन में किया कब्जा

रिपोर्टर : सतीश चौरसिया
उमरियापान  | ढीमरखेड़ा क्षेत्र में इन दिनों अवैध कब्जा जमकर चालू हैं जिसका तात्कालिक मामला ग्राम पंचायत पचपेढी़ के ग्राम पकरिया में देखने को मिल सकता हैं। जहां सरकार के द्वारा आम नागरिकों को वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं वही ग्राम पकरिया में दबंगों के द्वारा खुलेआम वृक्षों की कटाई करके कब्जा किया जा रहा हैं। पेड़ों को बचाने के लिए सरकार ने वन क्षेत्रों से जलाऊ लकड़ी काटने पर रोक लगा रखी है।  इसके बावजूद लगातार अवैध कब्जा को लेकर पकरिया में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई तार बाड़ी लगा कर अवैध कब्जा कर लिया गया। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार सख्त एक्शन लेने की बजाय राजस्व विभाग और वन विभाग मौन हैं । विभाग जिस तरह कार्रवाई कर रहा है, उससे भी साफ है कि वनों की कटाई रोकने में विभाग फेल साबित हो रहा है ।
*वन अधिनियम 1953 के तहत यह है प्रावधान*
पिछले सालों में वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का कागजी आंकड़ा कुछ राहत भरा जरूर है, लेकिन हकीकत अलग है। हर साल अनेकों मामले दर्ज किए जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में केवल जुर्माना वसूलने तक की कार्यवाही कर इति श्री की जा रही है। छह महीने तक की जेल का प्रावधान है। वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई करने वालों के खिलाफ वन अधिनियम 1953 व संशोधित अधिनियम 2014 के तहत कार्रवाई का प्रावधान हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 447 के अनुसार सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा करने पर व्यक्ति को 3 माह की सजा और जुर्माने का प्रावधान हैं। अवैध कब्जा करने वाले दबंगों को सजा और जुर्माने दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
*ठोस नीति का अभाव*
सरकार के पास अवैध रूप से पेड़ों की कटाई रोकने के लिए कोई ठोस नीति नहीं है ।  विधानसभा में भी इस संबंध में विधायक के द्वारा प्रश्न पूछा गया था, जिसमें सरकार ने साफ किया है केवल  वन अधिनियम 1953 व संशोधित अधिनियम 2014 और वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा के तहत ही कार्रवाई की जाती है।
रोड में तार – बाड़ी लगाकर किया कब्जा
स्मरण रहे कि शासन – प्रशासन के जिम्मेदारो को खुली चुनौती देकर तार – बाड़ी लगाकर पकरिया में दबंगों द्वारा हरे – भरे वृक्षों की कटाई कर जमीन में कब्जा किया गया है लिहाज़ा सरकारी ज़मीन जो कि राजस्व के तहत आती हैं तो इसमें क्या पटवारी या शासन प्रशासन के जिम्मेदार हैं अपनी नजरे क्या नहीं बनाए हुए हैं क्या या फ़िर कोई भी दबंग कहीं भी सरकारी ज़मीन पर कब्जा कर लेगा और शासन प्रशासन के जिम्मेदार बेखबर रहेंगे अब देखना होगा कि समाचार प्रकाशन के बाद दबंगो के ऊपर क्या कार्यवाही होती हैं ।

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