फिनो बैंक बन रही है सरपंच व सचिवों के लिए कोहिनूर हीरा

एक ही बैंक में जिले की सभी ग्राम पंचायतों के खाते खोले जाना कई सवाल खड़े करता है
मनरेगा काम के नाम पर सिर्फ कागजों में दौड़ाएं जा रहे हैं घोड़े
ब्यूरो चीफ : भगवत सिंह लोधी
दमोह । दमोह जिले के संपूर्ण ब्लाकों में फिनो बैंक चल रहा खेल जनपद पंचायत जबेरा की ग्राम पंचायतों भ्रष्टाचार खेल जोरों पर है सूत्र बताते हैं कि इस फिनो बैंक के जरिए ऑनलाइन खाते हो जाते हैं सवाल तो जब खड़े हो जाते हैं और हद तो तब हो जाती है कि सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने वाले सरकारी नुमाइंदे ही जुटे हुए हैं। जिले की लगभग सभी ग्राम पंचायतों के खाते फिनो बैंक में ही क्यों खुलवाए जा रहे हैं। सवाल यहां भी एक खड़ा होता है की सरकार के द्वारा मजदूरों के नाम पर यह मनरेगा योजना चलाई जा रही है उसके बावजूद भी यह योजना का दुरुपयोग क्या हो रहा है ग्राम पंचायतों में अगर सही तरीके से जांच जाए तो जो सरकार का पैसा फर्जी तरीके से हड़प लिया गया है तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा ज्यादातर पंचायतों में सिर्फ मनरेगा काम सिर्फ कागजों में चल रहा है अगर धरातल पर देखा जाए तो कई जगह सिर्फ कागजों में तालाब नाले और भी कई योजना हैं वह सिर्फ कागजों में लिखी हुई है की बन गई हैं लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो वह चीजें ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे ग्राम पंचायतों में क्योंकि वह जमीनी स्तर पर बना ही नहीं गई है सिर्फ कागजों में बनाई गई है। सिर्फ कागजों में काम हो रहा है फर्जी तरीके से मस्टर डालकर सरकार के पैसों को हड़पा जा रहा है जब सरकार को मशीनरी ओं द्वारा और सिर्फ कागजों में ही काम करवाने हैं तो फिर ग्राम पंचायतों में मजदूरों का नाम क्यों खराब किया जा रहा है कि हम मजदूरों के लिए काम दे रहे हैं क्या इतना बड़ा भ्रष्टाचार पूरे जिले में पनप रहा है उसके बावजूद भी सरकार और प्रशासनिक अधिकारी सो रहे हैं।यह मनरेगा योजना सीधे-सीधे मशीनरी ओं के द्वारा ही सरकार को करा देनी चाहिए क्योंकि मजदूरों को काम तो दिया नहीं जा रहा है लेकिन उनके नाम पर फर्जीवाड़ा जरूर किया जा रहा है कई ग्राम पंचायतों में तो सिर्फ कागजों में काम दर्शा कर फर्जी तरीके से पैसे निकाल लिए जा रहे हैं एक बात और मेरे मन में आन पड़ी है की ग्राम पंचायतों में कई जगह मशीनरी ओं द्वारा मनरेगा का काम हो चुका है लेकिन मजदूरों के नाम से पैसा निकाला जा रहा है जब मशीनरी ओं द्वारा काम कराया गया है तो मशीनरी के नाम से पैसा क्यों नहीं निकाला जा रहा है यह तो एक सरा सर भ्रष्टाचारी का आलम बनता जा रहा है जब मशीनों से काम हो रहा है तो फिर मजदूरों के नाम से क्यों पैसे निकाले जाते हैं मजदूरों के नाम से पैसे निकाले जा रहे हैं उन बेसहारा कम पढ़े लिखे लोगों को यह भी मालूम नहीं है कि हमें पंचायत मैं सरपंच और सचिव के द्वारा फर्जी तरीके से हमें मजदूर बनाया गया है और हमारे नाम से काम दर्शा कर पैसे निकाले जा रहे हैं उन लोगों को यह भी मालूम नहीं है की हमारे नाम से फर्जी बैंक खाते भी खुलवाए गए हैं उन बैंक खातों के एटीएम कार्ड भी बने हुए हैं यह सब फर्जीवाड़ा ग्राम पंचायतों में सरपंच सचिव की मिलीभगत से चल रहा है मजदूरों के फर्जी बैंक खाते खुलवा कर एटीएम कार्डों को सरपंच और सचिव चुपचाप अपने पास रखे हुए हैं और फर्जी मजदूर बनाकर फर्जी मस्टर डालकर उन खातों में पैसा डलवा लेते हैं और मजदूरों के रखे हुए एटीएम कार्ड ओं से फिनो बैंक एजेंट को बुलाकर तुरंत पैसे को निकालवा लेते हैं इतने बड़े फर्जी तरीके से हो रहे फर्जीवाड़े में फिनो बैंक एजेंट भी शामिल होते नजर आ रहे हैं। उनको पूरी जानकारी होती है कि सरपंच और सचिव फोर्जरी तरीके से लोगों को गुमराह करके उनके अंगूठा लगवा कर खाता खुलवा लेते हैं अब सवाल यह है कि जिले में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है क्या अब कुंभकरण की नींद से जागेंगे प्रशासनिक अधिकारीगण या फिर कुंभकरण की भांति सोते रहेंगे। अब देखना यह होगा की इस फर्जीवाड़े को लेकर ऊपर बैठे अधिकारियों द्वारा क्या एक्शन लिया जाता है या फिर मोन बन कर बैठे रहेंगे या फिर हाथ पर हाथ रखे हुए अपने कमीशन का इंतजार करेंगे। अगर इन सभी बातों में सच्चाई नहीं है तो हो रहे फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा जिन ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार हुआ है उन ग्राम पंचायतों के सरपंच और सचिव के ऊपर कार्रवाई भी होगी अन्यथा बात सही है तो कार्रवाई नहीं होगी ना ही जांच शुरू होगी अब देखने वाली बात होगी ।