भागवत की कथा का श्रवण के साथ मनन और चिंतन भी करना चाहिए : शास्त्री

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । मड़देवरा गांव में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस में पं.कमलेश कृष्ण शास्त्री ने कहा कि सातों दिन आपको पहले दिन से कथा सुननी चाहिए और फिर श्रवण के बाद चिंतन करना चाहिए, मनन करना चाहिए। जो आपने आज सुना उसका घर में जाकर चिंतन करो कि आज हमने कथा में क्या सुना, तो जब हम यह पूछेंगे कि कल हम कहां पर है तो सबसे पहले आपके मुंह से निकलेगा कल आपने यहां कथा सुनाई थी इसका मतलब आपको याद बना रहा। आप घर में जरूर रहे लेकिन घर में रहते हुए भी कथा में ही बैठे रहे इसलिए श्रवण मनन श्रवण के बाद मन जरूर करना चाहिए।
रामायण हमें जीना सीखाती है और भागवत हमें मरना सीखाती है।
अगर आप चाहते हो कि आपके घर में कलयुग ना आए तो इन 4 चीजों से बच के रहो। जुआ मत खेलो, मदिरापान मत करो, स्त्रियां वेश्या गवन मत करो, हिंसा मत करो। घर में जो 24 घंटे क्लेश रहता है ना यह कलयुग की निशानी है आप देखेंगे घरों में इतना बुरा हाल है कि अगर घर में 3 आदमी हैं तो तीनों प्राणी भी घर में रहते तो चैन से नहीं रहेंगे एक का मुंह पूरब की तरफ तना है एक का मुंह पश्चिम की ओर तना है।और उन्होंने कहा भगवान की भक्ति से बड़ा कोई कोहिनूर नहीं हैं।
आज भी साधु-संतों को कलयुग नहीं सता रहा। आज भी भजन-आनंदी जो घर है, परिवार है उनको कलयुग नहीं सता सकता। क्योंकि हमारे संतो ने कहा है जिस घर में भागवत सुनी अथवा पढ़ी जाती है उस घर में कलयुग प्रवेश नहीं कर सकता।
शास्त्रों से अच्छा मार्गदर्शन कहीं नहीं मिल सकता हैं शास्त्री जी ने कथा में कहा भगवान ने आपको सिन्दूर चढ़ाने के लिए पैदा किया है, चादर या कैंडिल नहीं। हमें अपने धर्म पर विश्वास होना चाहिए भरोसा हमारा दृढ.होना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा हमें भगवान से मिलने का पात्र बनाती हैं। चित को एकाग्र कर सुनी हुई कथा आपको मनवांछित फल देती है।