शतचंडी यज्ञ : विश्व कल्याण के लिए हमारी प्राचीन परंपरा है

ब्यूरो चीफ : शब्बीर अहमद
बेगमगंज । बाबा रामदास आश्रम में राम बाबा के सानिध्य में चल रहे शतचंडी यज्ञ के सातवें दिन 51 ब्राह्मणों को बिदाई महाराज जी के द्वारा दी गई वहीं 21 सो दक्षिणा ब्राह्मणों को दी। श्री शतचंडी महायज्ञ मानव कल्याण के लिए किया जा रहा है। शास्त्री जी ने बताया विश्व कल्याण के लिए हमारी प्राचीन परंपरा है यज्ञ उन्होंने यज्ञ की आत्मा के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि स्वाहा शब्द यज्ञ की आत्मा है। इसका अर्थ होता है वाणी में मधुरता। जब भी हम किसी से बात करें मधुर वाणी बोलें। यज्ञ के दौरान हम लोग इदं मम ओउम अग्ने स्वाहा…। बोलते हैं इसका अर्थ होता है, हमारे जीवन में त्याग की भावना हो। कहा कि यज्ञ हवन वायु को सूक्ष्म करके वायुमंडल में फैला देता है। यज्ञ हवन से जो सुगंध फैलती है उससे वातावरण शुद्ध होता है , यही यज्ञ का सार है। जो हमें किसी न किसी रूप में वापस कर देता है। जिसमे यज्ञ आचार्य पंडित शिवनारायण शास्त्री तिंसुआ वालो ने बताया सूर्य भगवान अपने प्रकाश को फैलाकर सभी को लाभ देते हैं। इसी प्रकार प्रकृति भी अपना धर्म निभाती है। यज्ञ हवन के दौरान मंत्र बोलने से हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ मिलता है इससे हमें कई प्रकार की प्रेरणा भी मिलती है। जिस प्रकार हवन यज्ञ की लपट और धुआं ऊपर उठता है। इससे हमें हमेशा ऊपर उठने की प्रेरणा मिलती है। यज्ञ हवन करने से हमारे अंदर दैवीय गुण प्राप्त होता है। इसमें हम सारे देवी देवताओं की पूजा आराधना कर लेते हैं।