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राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता का अब क्या होगा ?

रिपोर्टर : तारकेश्वर शर्मा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की अदालत ने 4 साल पुराने मानहानि केस में 2 साल की सजा सुनाई है. हालांकि उन्हें तुरंत बेल भी मिल गई है. कोर्ट ने राहुल गांधी को सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दोनों का समय दिया है।
राहुल गांधी मामले की सुनवाई के वक्त गुरुवार को सूरत कोर्ट में मौजूद थे. राहुल गांधी की वकीलों की टीम ने मीडिया से बातचीत में कहा की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वे किसी समुदाय को अपने बयान से ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे।
राहुल गांधी ने कथित तौर पर ये बयान दिया था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है?” राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत केस दर्ज किया गया था. भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामले में अधिकतम 2 साल की सजा का प्रावधान है।
मौजूदा सांसद होने की वजह से राहुल गांधी की संसदीय फिलहाल खतरे में नहीं है. उनके पास इस फैसले को चुनौती देने के लिए 30 दिन का समय है. जानकारों के मुताबिक सिर्फ दोषी साबित होने से सदन का कोई सदस्य अयोग्य नहीं हो जाता. राहुल को तुरंत हाईकोर्ट यानी गुजरात हाईकोर्ट में अपील करनी होगी और फैसले पर स्टे लेना होगा।
हालांकि कुछ लोगों का कहना है की सूरत कोर्ट के आदेश के आधार पर लोकसभा सेक्रेटेरिएट राहुल गांधी को आयोग ठहरा सकता है और उनकी वायनाड सीट को खाली घोषित कर सकता है. इसके बाद चुनाव आयोग सीट के लिए विशेष चुनाव की घोषणा करेगा. हालांकि यह परिदृश्य तब देखने को मिलेगा जब उच्च न्यायालय द्वारा सजा को रोक नहीं दिया जाता. यदि किसी उच्च न्यायालय द्वारा फैसला रद्द नहीं किया जाता है तो राहुल गांधी को भी अगले 8 वर्षों तक चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
राहुल गांधी ने 2019 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में चुनावी सभा में मोदी उपनाम वालों को लेकर बयान दिया था. उस समय कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था चौकीदार सौ फ़ीसदी चोर है।

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