क्राइम

नकली शराब का अवैध कारोबार चरम पर, बगैर बिल की शराब पहुँच रही गाँव गाँव

ठेके पर बिक रही एमआरपी से अधिक कीमत में शराब
यह अवैध शराब आसमान से टपकी या मोटरसाइकिल बाले ने खुद बनाई, इसका खुलासा क्यों नहीं होता ?

रिपोर्टर : विनोद साहू
बाड़ी । मध्यप्रदेश में नशे का कारोबार युद्ध स्तर पर चल रहा जिसमें गाँजा, अफीम, स्मैक प्रतिबंधित दवाएं में सबसे अधिक नशा लोग शराब का करते हैं .. इसे रोकने के बजाए आबकारी अधिकारी ठेकेदार की मुनीम की भूमिका निभा रहे हैं ..
छह पेटी शराब जब्त तो ठीक हैं लेकिन यह आई किस दुकान से ?
बैसे तो पूरा मध्यप्रदेश ही नशे की गिरफ्त में जकड़ गया लेकिन शराब का कारोबार सरकारी होने से यह खुलेआम गाँव गाँव पैर पसार चुका जिसकी प्रमाणिकता खुद आबकारी विभाग ने मोटरसाइकिल पकड़कर सिद्ध कर दी ।
बरेली में 22 मई को आबकारी विभाग के द्वारा मुखबिर की सूचना पर बरेली पिपरिया मार्ग पर मोटरसाइकिल से 6 पेटी देसी शराब 54 लीटर का अवैध रूप से परिवहन करते हुए युवक को मोटरसाइकिल के सहित गिरफ्तार किया है। कार्यवाही को लेकर आबकारी उप निरीक्षक राजेश विश्वकर्मा ने बताया कि गस्त के दौरान मुखबिर की सूचना पर बरेली पिपरिया मार्ग पर आरोपी शिवनारायण पिता रसिक विहारी रघुवंशी 27 वर्ष निवासी खैरी मुगली थाना बरेली को बिना नम्बर की होंडा ड्रीम योगा मोटर साइकिल पर अवैध रूप से परिवहन की जा रही 6 पेटियों से 54 लीटर देशी शराब के साथ गिरफ्तार किया। जप्त शराब और मोटरसाइकिल की बाजार कीमत 75 हजार रुपए है।
आरोपी युवक के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 34(2) के तहत प्रकरण कायम कर विवेचना में लिया। ज्ञात रहे कि आरोपी का यह तीसरा 34(2) आबकारी एक्ट का अपराध है इसलिए प्रकरण में धारा 45 आबकारी एक्ट का इजाफा किया गया है।
लेकिन आबकारी विभाग ने यह नहीं बताया कि यह शराब किस दुकान से आई थी ।
ठेकेदार के इशारे पर आबकारी विभाग।
जिले में शराब ठेकेदार बदलने से इस बार शहर की शराब दुकानों से कीमत से चौथाई कम कीमत पर बिकी जिससे महज दस दिन में लगभग तीन करोड़ की देशी विदेशी शराब का कारोबार हुआँ । लेकिन आबकारी विभाग के पास कितनी लिखापढ़ी होगी यह तो बहीं जाने । लेकिन अगर शराब एक्सरसाइज डीयुटी चुका कर लाई गई होती तो इतनी कम कीमत पर बिक्री संभव नहीं हो सकती । यह आबकारी विभाग की कार्यवाही भी ठेकेदार के इशारे पर होना लगती हैं अगर आबकारी विभाग चुस्त दुरुस्त रहता तो आज बाड़ी शहर की शराब दुकानों में एमआरपी से अधिक में शराब का बिक्रय नहीं हो सकता था ।
ठेकेदारों के शराब ऐरिया चिंहित ।
बैसे तो यह शराब मध्यप्रदेश सरकार की बनाई हुई शराब होती जिसे ठेकेदार लायसेंस प्राप्त कर सरकार से ठेका हासिल करता और एक्सरसाइज डीयुटी चुका कर डिमांड पर शराब खरीदकर लाता हैं । लेकिन यह कैसी सरकारी शराब जो ठेके पर एमआरपी से अधिक और ठेकेदार से पेटी लेने पर 30 प्रतिशत कीमत कम पर कैसे उपलब्ध हो जाती । जब हमने शराब के कारोबारियों से जानकारी चाही तो उन्होंने बहुत ही संक्षेप में बताया कि जो एक्सरसाइज डीयुटी पेड शराब होती हैं बह कम कीमत पर नहीं बेच पाते लेकिन इसमें दो नंबर की शराब शामिल कर लेते हैं इसलिए दो नंबर की शराब सस्ती कीमत पर उपलब्ध हो जाती है । और इसी दो नंबर की शराब को गाँव गाँव में पहुँचाकर मोटा मुनाफा कमाया जाता जिसकी कमाई से सभी अधिकारियों की इच्छा पूर्ति की जाती हैं । यह शराब भी किसी दूसरे ठेके से खरीदकर लाया होगा जिसे आबकारी विभाग से पकड़वा दिया ।
आबकारी विभाग क्यों नहीं करता खुलासा।
चलो मान लिया कि यह अवैध शराब थी और आबकारी विभाग ने पकड़ ली, लेकिन यह मोटरसाइकिल बाला डिपो से तो लाया नहीं इसे किसी न किसी शराब ठेकेदार ने ही दी होगी तो आबकारी विभाग उस व्यक्ति से उस शराब ठेकेदार का नाम क्यों उगलवाता क्यों शराब को अवैध कहकर अपना दागदार दामन बचा लेता हैं । अगर आबकारी विभाग जहाँ से यह शराब उपलब्ध हुई उस ठेकेदार पर कार्यवाही करे तो नकली शराब का भांड़ा फूट सकता हैं लेकिन बह अपना नुकसान नहीं कर सकता ।

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