मध्य प्रदेश

सड़कों के निर्माण की सुस्त रफ्तार वाहन चालक हो रहे परेशान……

156.50 करोड़ रुपए लागत: ये कैसा सड़क निर्माण: 2018 में स्वीकृत, प्रक्रिया में ही लग गए 4 साल, अब दो साल में बन पाएगी
रिपोर्टर : शिवलाल यादव
रायसेन।
जिले में जब भी कहीं खराब सड़कों की बात आती है, तो जिन चार सड़कों के नाम सबसे पहले सामने आते हैं। उनके निर्माण की प्रक्रिया चलते हुए ही पूरे चार साल का समय बीत चुका है। जबकि उनका निर्माण ही दो साल में पूरा किया जाना है। ये सड़कें हैं, अमरावद- भारकच्छ, औबेदुल्लागंज -मगरपूंछ, आशापुरी -भोजपुर, चिकलोद -रायसेन और गढ़ी-अहमदपुर आदि शामिल हैं। इनके निर्माण की कहानी भी गजब है। इन 77.1 किमी लंबाई वाली चार सड़कों के निर्माण के लिए वर्ष 2018 में स्वीकृति मिल गई। इसके बाद वर्ष 2019 में एमपीआरडीसी द्वारा 156.50 करोड़ की लागत के टेंडर जारी कर दिए। इसी बीच प्रदेश में सरकार बदल गई और इन सड़कों का निर्माण ठंडे बस्ते में चला गया।
फिर दूसरी बार सरकार बदली तो फिर फाइलें बाहर निकाली। वर्ष 2021 में एग्रीमेंट भी हो गया। लेकिन वर्क आर्डर ही जारी नहीं हो पाया। एमपीआरडीसी के एजीएम एमएच रिजवी ने बताया कि एग्रीमेंट के चार महीने के अंदर वर्क आर्डर जारी करना होता है। एग्रीमेंट हुए 20-21 मार्च को पूरे चार महीने हो जाएंगे। इसके बावजूद एमपीआरडीसी द्वारा ठेकेदार कंपनी वेलकी रतनसी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को वर्कआर्डर जारी नहीं किया गया है।जबकि इन सड़कों से गुजरने वालों लोगों को एक-एक दिन भारी पड़ रहा है।
चिकलोद -रायसेन सड़क : लंबाई-24.80 किमी, लागत- 45.40 करोड़
चिकलोद रायसेन रोड़ बीते 25 सालों से खराब हैं। इस रोड पर गिट्टी क्रेशर मशीनें लगी होने से यहां से बड़ी संख्या में गिट्टी और पत्थरों से भरे डंपरों की आवाजाही होती हैं। इससे सड़क बदहाल होती चली गईं।लेकिन न तो सुधार कार्य हुए और न ही निर्माण। पेनगवां में रहने वाले किसान राजेंद्रसिंह कहते हैं पता नहीं इस सड़क की इतनी उपेक्षा क्यों की गई हैं। कई सालों बाद जैसे-तैसे सड़क स्वीकृत हुई तो अब निर्माण कार्य ही शुरु नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदारों को आम लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार ही नहीं है।
अमरावद- भारकच्छ सड़क: लंबाई- 19.50 लागत- 29.75 करोड़ रुपए
बाड़ी क्षेत्र में आने वाली अमरावद- भारकच्छ सड़क भी जिले की सबसे खराब सड़कों में शामिल हैं। करीब 30 से 50 गांव के लोग इस सड़क से अमरावद तक आना-जाना करते हैं। स्कूली बच्चों से लेकर ग्रामीण सामान खरीदने के लिए अमरावद पहुंचते हैं। सालों से उन्हें खराब सड़क के कारण परेशान होना पड़ रहा है। वहीं स्कूली बच्चों को इस खस्ताहाल सड़क से स्कूलों तक पहुंचना होता है। पूरे ब्लॉक के अंदर इस सड़क का खराब सड़कों में सबसे अव्वल माना जाता है।लेकिन जिम्मेदारों की देरी के चलते सड़क के लिए वर्कआर्डर तक जारी नहीं हो पाया है।
काम शुरू तो हुआ पर जल्द बंद भी हो गया…..
औबेदुल्लागंज- मगरपूंछ, आशापुरी- भोजपुर सड़क लंबाई-14.20 किमी, लागत-25.55 करोड़ रुपए जिस खराब सड़क के लिए ग्रामीण कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। 30 से 35 हजार की आबादी जहां से अमूमन गुजरती है। विशेष मौकों पर भोजपुर मंदिर में होने वाले आयोजन में शामिल होने के लिए इसी सड़क से गुजरने वाले लोगों की संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है। इतना ही नहीं विश्व धरोहरों में शामिल भीम बेठिका के पहुंच मार्ग भी यही है। इसके बावजूद वर्ष 2008 के बाद से ही सड़क खबरा पड़ी है। 14.20 किमी लंबी इस सड़क का जैसे-तैसे निर्माण शुरू भी हुआ। लेकिन फिर बंद कर दिया गया। गढ़ी अहमदपुर की सड़क महज 18.60 किमी लंबाई वाली हैं, लेकिन गढ़ी, गैरतगंज, सिलवानी, उदयपुरा विदिशा,नरसिंहपुर और गाडरवारा के लोग इस सड़क से आना-जाना करते हैं, लेकिन कई जगह तक यहां सड़क दिखाई ही नहीं देती। 5 से 7-7 फीट लंबे गड्ढे होने से इस दूरी को तय करने में 2 से 2.30 घंटे का समय लग जाता है। सड़क खराब होने से कई लोग तो गढ़ी रायसेन होते सांची से विदिशा तक 20 किमी अधिक दूरी तय करके पहुंच रहे हैं। इससे खराब सड़क के कारण वे एक्सीडेंट और वाहनों में होने वाली टूट-फूट से बच रहे सकें, लेकिन लोगों की तकलीफें सरकारी सिस्टम को दिखाई ही नहीं देती।

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