धार्मिकमध्य प्रदेश

पंचकल्याणक के बाहरी दृश्य वहिरंग का एक पक्ष है, लेकिन इन बाहरी दृश्यों को देखकर अंतरंग का पक्ष मजबूत होंना चाहिये : मुनि श्री

पंचकल्याणक के तीसरे दिवस गर्भ कल्याणक के उत्तर रुप पर प्रात: कालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किये
रिपोर्टर : फ़ारूक़ मंसूरी
बम्होरी
। पंचकल्याणक महोत्सव के तीसरे दिवस मुनि श्री समता सागर महाराज ने मुखारबिंद से कहा कि बाहरी रुप से हम भले ही स्थापना निक्षेप से पाषाण और धातुओं की प्रतिमाओं को भगवान बनाने जा रहे है लेकिन हमारे अंतरंग के परिणाम हमेशा यह होंना चाहिये कि जब तक हमारी आत्मा परमात्मा न बन जाऐ तब तक हम इसी प्रकार जिनेन्द्र भगवान की पूजा करते रहें। उन्होंने जिनधर्म को आगे बढ़ाने के लिये श्रावक और साधू दोनो का होंना आवश्यक । बताते हुये कहा कि जैसे रथ को आगे बढ़ाने के लिये बराबर के चाक होंना चाहिये तभी रथ आगे बढ़ता है, उसी प्रकार जिन शासन की महिमा तब ही तक है जब साधू ज्ञान और ध्यान में लीन रहे तथा गृहस्थ दान और पूजा को करता रहे।
इस अवसर पर मुनि श्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा कि पंचमकाल में कलिकाल का प्रभाव है वर्तमान में कोई ऐसी भाग्यशाली मां नहीं है, जो कि परमात्मा बनने वाले महापुरुषों का जन्म दे दे। सामान्य संतान को जन्म देने वाली माता तो बहूत होती है, लेकिन दिव्य पुरुषों को जन्म देने वाली माता विरली ही होती है। मुनि श्री ने सकारात्मक सोच की और इशारा करते हुये कहा कि सकारात्मक सोच हमारे अंदर की ऊर्जा प्रदान करती है, वही नकारात्मक सोच हमारे अंदर राग द्वैष को बढ़ाते है। वही राजा श्रैणिक एवं रानी चेलना के जीवन चरित्र पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत की गयी। राजा श्रैणिक द्वैष से तपस्या में लीन यशोधर मुनि महाराज पर मरा हुआ सर्प डाल आते है, जब रानी चेलना को इस बात की जानकारी मिलती है तो वह राजा श्रैणिक से कहती है कि आपने बहूत ही अनर्थ किया है, तथा राजा श्रैणिक को साथ ले जाकर मुनि महाराज का उपसर्ग दूर करती है। मुनि श्री उपसर्ग दूर होंने के उपरांत दौनों को समान आशीर्वाद प्रदान करते है। राजा श्रैणिक प्रायश्चित कर भगवान महावीर के समवसरण में अनुयायी वन जिन धर्म की प्रभावना कर करते है। 27 मई को अयोध्या नगरी पंचकल्याणक स्थल पर भगवान का जन्म कल्याणक मनाया जाऐगा एवं सौधर्म इन्द्र ऐरावत हाथी पर उत्साह के साथ जूलूस के रुप में बालक आदि कुमार को पांडुक शिला पर जाकर इन्द्र परिवार के साथ जन्माभिषेक करेंगे। आज प्रातः कालीन बेला में भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा तथा गर्भ कल्याणक की पूजा संपन्न हुई। तथा आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की पूजन की गयी जिसका मंत्रोच्चारण ऐलक श्री निश्चय सागर जी महाराज ने किया। गर्भ कल्यायणक दिवस पर सिलवानी से राजेंद्र जैन सिलवानी, गौरझामर से अरुण गुरहा तथा सियरमऊ से गुडडा एवं बहनों ने उत्साह के साथ पूजन सामग्री लेकर आऐ, कमेटी द्वारा उनकी सामग्री को स्वीकार कर आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर मुनिसंघ को शास्त्र भेंट संजय जैन ठेकेदार, एवं ब्र. बहनों ने किया। तथा महाआरती का सौभाग्य कमलरानी जैन स्व. सेठ छिदामीलाल जैन परिवार को मिला।

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