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कांग्रेस की संघ पर प्रतिबंध की प्रबलेच्छा तुष्टिकरण की विष बेल है!

लेखक : सत्येंद्र जैन वरिष्ठ पत्रकार
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार का गठन हुए एक सप्ताह ही व्यतीत हुआ है । वहां पर तुष्टीकरण, अपीजमेंट पॉलिटिक्स प्रारंभ हो गई है । तुष्टीकरण देश के विकास में विष बेल की भांति है। वर्ग संघर्ष को बढ़ावा मिलता है। अल्पसंख्यक समुदाय को प्रसन्न करने के लिए, कर्नाटक सरकार में मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वक्तव्य से कर्नाटक में ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत में भूचाल आया हुआ है। यह अप्रत्याशित नहीं है क्योंकि कांग्रेस की यूपीए सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का अधिकार पहले है। कांग्रेस ने जनता को दी गईं पाँच गारंटी पर काम ना करते हुए संघ पर, बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की, धर्मांतरण अधिनियम, गोवंश हत्या अधिनियम की समीक्षा की भावना से ऐसा प्रतीत होता है कि एक वर्ग विशेष को प्रसन्न करने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार गाय को माता रूप में पूजा कर रही है। कर्नाटक की विधानसभा को गोमूत्र से पवित्र किया जा रहा है । शुद्धिकरण किया जा रहा है।वहीं गोवंश का वध करने के लिए गौ वध अधिनियम को कमजोर करने हेतु विचार किया जा रहा है।बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पहले से ही सम्मिलित की है। यह तो राहुल गाँधी के संकल्प ‘नफरत के बाजार को बंद कर, मोहब्बत की दुकान खोलने ‘ को बड़ा आघात है। समरसता निर्माण के पथ में बिष कंटक हैं। कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष नलिन कुमार कतील ने भी प्रत्युत्तर दिया है कि ‘कांग्रेस संघ पर प्रतिबंध लगाने की सोचती है तो वह जलकर खाक हो जाएंगे । ’साथ ही कहा की पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और पी.वी. नरसिंहराव की कांग्रेसी सरकारों ने अपने कार्यकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया था ।किंतु वह सफल नहीं हो पाए । न्यायालय के आदेश से प्रतिबंध हटाने के लिए विवश होना पड़ा है। मध्य प्रदेश में भी वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार ने संघ के समिधा भवन की सुरक्षा हटा ली थी । मात्र कुछ दिनों बाद ही कांग्रेस सरकार को स्वमेव पुनः सुरक्षा व्यवस्था करने को विवश होना पड़ा था। इतिहास साक्षी है जब भी संघ पर प्रतिबंध लगाया गया, संघ और अधिक शक्तिशाली हुआ है। वर्तमान काल मे संघ विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है। वर्तमान में एक करोड़ से अधिक स्वयंसेवक हैं। लगभग 50 से अधिक आनुषंगिक संगठन है। भारत में 68000 से अधिक शाखाएँ नित्य लगती हैं। 50 से अधिक देशों में कार्यरत है। संघ के द्वारा असंख्य आपातकालीन, प्राकृतिक आपदाओं जैंसे भूकंप, सुनामी, बाढ़,कोरोना महामारी इत्यादि के समय सभी मतावलम्बियों की बिना भेद भाव के जीवन रक्षा की है।सेवा की है। केरल में बाढ़ हो, कश्मीर में बाढ़ हो, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैंसे राज्यों में भीषण चक्रवात, गुजरात, महाराष्ट्र में आये भीषण भूकंप हों, भोपाल गैस त्रासदी हो, देश के सभी राज्यों में आयी अनेक आपदाओं में संघ के स्वयंसेवकों ने सर्वस्व न्योछावर कर मानवता की रक्षा की है।मानव सेवा का यह दिव्य भाव अभिनंदनीय है, स्तुत्य है। समस्त सामाजिक संगठनों को प्रेरणादायी है। संघ ने सीमा पार से हुए विदेशी आक्रमणों अथवा चीन, पाकिस्तान से हुए अनेक युध्दों में अपनी देशभक्ति से भली भांति परिचय कराया है।चीन युद्ध के उपरांत 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में संघ के हजारों स्वयं सेवक सम्मिलित हुए थे ।कांग्रेस की पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने आमंत्रित किया था। वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भी श्रीनगर के हवाई अड्डे से बर्फ को हटा कर विमानों का आवागमन सुचारू किया था ।स्मरण रहे कि शीत काल में कश्मीर में वायुमार्ग से ही आवागमन संभव होता है। गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्ति दिलाने में संघ का अविस्मरणीय योगदान रहा है। गोवा मुक्ति आंदोलन के प्रारंभिक समय में स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने गोवा में सेना भेजने से इंकार किया था।संघ के विरुद्ध षड़यंत्र भी रचे जाते रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व ही मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में मुस्लिम धर्म स्थल मस्जिद के आसपास संघ और बजरंग दल द्वारा अमरावती में सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं को धर्म परिवर्तन कराने के असत्य पर्चे बांटे गए। शिवराज सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संज्ञान लिया।अनुसंधान उपरांत पुलिस ने कहा कि फर्जी पर्चे बाँटने में धर्म विशेष के पाँच आरोपी बनाए गए हैं। अस्सी कैमरे के फुटेज खंगालने पर सुराग हाथ लगा है।सभी राज्य सरकारों को ,संघ को इन कुत्सित षड़यंत्रकारियों से सावधान रहने की भी आवश्यकता है।

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